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अगली पीढ़ी के सुधार और विकसित भारत दृष्टि हेतु केंद्र ने राजीव गौबा की अध्यक्षता में पैनल गठित किए

भारत सरकार ने नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य एवं पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के नेतृत्व में दो उच्च स्तरीय समितियाँ बनाई हैं। इन समितियों का उद्देश्य अगली पीढ़ी के सुधारों को तेज़ी से लागू करना और “विकसित भारत” (2047 तक विकसित राष्ट्र) की महत्वाकांक्षी दृष्टि को साकार करना है।

नई समितियों की संरचना

  1. विकसित भारत लक्ष्यों पर समिति

    • 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु दीर्घकालिक नीतियों और कार्ययोजनाओं पर रणनीति बनाएगी।

  2. गैर-वित्तीय विनियामक सुधार समिति

    • गैर-वित्तीय क्षेत्रों के विनियामक ढांचे को सरल एवं पारदर्शी बनाने पर कार्य करेगी।

    • इसका उद्देश्य आर्थिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना और “Ease of Doing Business” में सुधार लाना है।

समन्वित शासन दृष्टिकोण

  • ये समितियाँ अलग-अलग उद्देश्यों पर कार्य करेंगी, परंतु मंत्री-स्तरीय पैनलों के साथ समन्वय में रहेंगी।

  • गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूहों से इन समितियों को शीर्ष स्तर का राजनीतिक समर्थन मिलेगा।

  • साथ ही, कैबिनेट सचिव टी. वी. एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय विनियामक सुधार समिति भी गठित की गई है, ताकि राज्यों में मौजूद अड़चनों को दूर किया जा सके।

समितियों की संरचना

इन समितियों में नीति-निर्माताओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ भी शामिल हैं –

  • प्रमुख मंत्रालयों के सचिव (जैसे उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग, व्यय, MSME, ऊर्जा)

  • उद्योग और अर्थव्यवस्था से जुड़े विशेषज्ञ – पवन गोयनका, मनीष सभरवाल (एचआर विशेषज्ञ), जन्मेजय सिन्हा (बीसीजी इंडिया चेयरमैन)

  • उद्योग मंडलों के महासचिव – सीआईआई, फिक्की और एसोचैम

पृष्ठभूमि : विकसित भारत दृष्टि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में “अगली पीढ़ी के सुधारों” की आवश्यकता पर बल देते हुए इस लक्ष्य हेतु विशेष टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की थी।
“विकसित भारत” दृष्टि के मुख्य आयाम हैं –

  • भारत को $5 ट्रिलियन और उससे आगे की अर्थव्यवस्था बनाना

  • सुशासन और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना

  • औद्योगिक नवाचार और डिजिटल ढांचे को प्रोत्साहन देना

  • संघीय सहयोग को मजबूत करना ताकि नीतियाँ पूरे देश में सहजता से लागू हो सकें।

यह कदम भारत की विकास यात्रा को और गति देगा, तथा केंद्र और राज्यों दोनों स्तरों पर सुधारों को लागू करने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाएगा।

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