केंद्र (कानून मंत्रालय विभाग) ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 में सुधार की सिफारिश के लिए समिति गठित की है। यह समिति पूर्व विधि सचिव टी. के. विश्वनाथन के नेतृत्व में गठित की गई है। इस समिति में 15 सदस्य हैं। पूर्व कानून सचिव टी के विश्वनाथन के नेतृत्व में, समिति का उद्देश्य 1996 के मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधारों की सिफारिश करना है।
भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने की कोशिशों के बीच सरकार ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो अदालतों पर से मुकदमों का बोझ कम करने के उद्देश्य से मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधारों की सिफारिश करेगी। अटॉर्नी जनरल एन वेंकटरमणी केंद्रीय कानून मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का भी हिस्सा हैं।
कानून मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजीव मणि, कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता, निजी कानूनी फर्म के प्रतिनिधि और विधायी विभाग, नीति आयोग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), रेलवे और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के अधिकारी इसके अन्य सदस्य हैं।
समिति के संदर्भ की शर्तों के अनुसार यह मध्यस्थता अधिनियम के कामकाज सहित देश के वर्तमान मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र के संचालन का मूल्यांकन और विश्लेषण करेगी। इसकी मजबूती, कमजोरियों और अन्य महत्वपूर्ण विदेशी अदालतों की तुलना में चुनौतियों को उजागर करेगी। बुधवार को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया कि समिति को 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
Find More News Related to Schemes & Committees
सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन का…
मनोज बाजपेयी की बहुचर्चित फिल्म "द फेबल" ने 38वें लीड्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ…
पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन तुलसी गबार्ड को 13 नवंबर, 2024 को अमेरिका के राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप…
जीएमआर हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (GHIAL) ने सऊदी एयरपोर्ट प्रदर्शनी 2024 के दौरान आयोजित प्रतिष्ठित…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। यह दो…
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जारी एक नए डेटा के अनुसार, एशिया और अमेरिका के…