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सीसीईए ने लद्दाख में 13 गीगावॉट ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर को मंजूरी दी

सीसीईए ने लद्दाख में 13 गीगावॉट ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर को मंजूरी दी |_3.1

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने लद्दाख में 13-गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजना के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) चरण- II – इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) को हरी झंडी दे दी है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य को नया आकार देने के लिए तैयार है।

 

लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य लद्दाख में एक विशाल 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना स्थापित करना है। लद्दाख अपने जटिल भूखण्ड, कठोर जलवायु परिस्थितियों और रक्षा संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बताया कि इस परियोजना की अनुमानित कुल लागत ₹20,773.70 करोड़ है। केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) परियोजना लागत का 40 प्रतिशत, ₹8,309.48 करोड़ को कवर करेगी।

 

पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया: कार्यान्वयन एजेंसी

लद्दाख के परिदृश्य और जलवायु से उत्पन्न अद्वितीय चुनौतियों को देखते हुए, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (पावर ग्रिड) को इस विशाल परियोजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। विश्वसनीय और कुशल ट्रांसमिशन सुनिश्चित करने के लिए, अत्याधुनिक तकनीक को नियोजित किया जाएगा, जिसमें वोल्टेज सोर्स कनवर्टर (वीएससी) आधारित हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) और एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज अल्टरनेटिंग करंट (ईएचवीएसी) सिस्टम सम्मिलित होंगे।

 

ट्रांसमिशन और इंटीग्रेशन

इस परियोजना द्वारा उत्पन्न बिजली के एवेक्यूशन के लिए डिज़ाइन की गई ट्रांसमिशन लाइन हरियाणा के कैथल तक पहुंचने से पूर्व हिमाचल प्रदेश और पंजाब से होकर गुजरेगी, जहां यह राष्ट्रीय ग्रिड के साथ समेकित होकर एकीकृत हो जाएगी। इसके अलावा, इस लद्दाख परियोजना को मौजूदा लद्दाख ग्रिड से जोड़ने के लिए एक इंटरकनेक्शन की योजना बनाई गई है, जिससे क्षेत्र में स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। 

 

713 किमी ट्रांसमिशन नेटवर्क के माध्यम से बिजली आपूर्ति बढ़ाना

इसके अतिरिक्त, इसे जम्मू-कश्मीर को बिजली प्रदान करने के लिए लेह-अलुस्टेंग-श्रीनगर लाइन से जोड़ा जाएगा। इस व्यापक दृष्टिकोण में 713 किमी की ट्रांसमिशन लाइनें सम्मिलित हैं, जिसमें 480 किमी की एचवीडीसी लाइन और पंग (लद्दाख) और कैथल (हरियाणा) दोनों में 5 गीगावॉट क्षमता के एचवीडीसी टर्मिनलों की स्थापना सम्मिलित है।

 

ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता की ओर एक कदम

इस परियोजना का महत्व इसकी प्रभावशाली तकनीकी विशिष्टताओं से कहीं अधिक है। यह राष्ट्र की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और कार्बन फुट्प्रिन्ट को काफी हद तक कम करके पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकास में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र में कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिकों के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करके, यह सामाजिक-आर्थिक विकास की व्यापक दृष्टि के अनुरूप है।

 

अतिरिक्त उपलब्द्धि

यह परियोजना चल रहे इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण- II (इनएसटीएस जीईसी-II) का पूरक है, जो पहले से ही गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रगति पर है। इनएसटीएस जीईसी-II योजना ग्रिड के एकीकरण और लगभग 20 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए समर्पित है और इस योजना के 2026 तक पूरा होने के अनुमान है।

 

विस्तार योजनाएँ

यह प्रयास 10,753 सर्किट किमी (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइनों और 27,546 एमवीए सबस्टेशनों की क्षमता को जोड़ने का लक्ष्य रखता है, जिसकी अनुमानित परियोजना लागत ₹12,031.33 करोड़ है, जो 33 प्रतिशत सीएफए द्वारा समर्थित है, जो कि ₹3,970.34 करोड़ है।

 

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FAQs

हरित ऊर्जा परियोजना क्या है?

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार, हरित ऊर्जा उच्चतम पर्यावरणीय लाभ प्रदान करती है और इसमें सौर, पवन, भूतापीय, बायोगैस, कम प्रभाव वाले जलविद्युत और कुछ योग्य बायोमास स्रोतों द्वारा उत्पादित बिजली शामिल है।