कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, सैंपल कलेक्ट करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। कैबिनेट ने वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना को भी मंजूरी दे दी है। दोनों मिशन को साल 2028 तक लॉन्च करने का प्लान बनाया गया है।
एक बयान में कहा गया कि ‘चंद्रयान-4’ अभियान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को (वर्ष 2040 तक) चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत टेक्नोलॉजी को विकसित करेगा। साथ ही चंद्रमा से नमूने लाकर उनका विश्लेषण करना है। साथ ही चांद और मंगल के बाद अब भारत ने शुक्र ग्रह की ओर कदम बढ़ाए हैं और सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दी है।
बयान में कहा गया है कि ‘चंद्रयान-4’ अभियान के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की धनराशि की आवश्यकता है। इसमें कहा गया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से इस अभियान को मंजूरी मिलने के 36 महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। बयान में कहा गया कि इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय हमें 2035 तक एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन के करीब ले आएगा। मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने ‘चंद्रयान-4’ मिशन के लिए 2,104 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
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