आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में ₹24,634 करोड़ की लागत वाली चार प्रमुख रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंज़ूरी दे दी है। इन परियोजनाओं से भारतीय रेलवे नेटवर्क में 894 रूट किलोमीटर (आरकेएम) जुड़ जाएँगे, जिससे सालाना 78 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई संभव हो सकेगी। इस कदम का उद्देश्य भारत की लॉजिस्टिक्स क्षमता को मज़बूत करना, यात्री और माल ढुलाई संपर्क में सुधार लाना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
स्वीकृत चार प्रमुख परियोजनाएँ
| परियोजना | लंबाई (rkm) | राज्य |
|---|---|---|
| वर्धा – भुसावल तीसरी एवं चौथी लाइन | 314 | महाराष्ट्र |
| वडोदरा – रतलाम तीसरी एवं चौथी लाइन | 259 | गुजरात एवं मध्य प्रदेश |
| गोंदिया – डोंगरगढ़ चौथी लाइन | 84 | महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ |
| इटारसी – भोपाल – बीना चौथी लाइन | 237 | मध्य प्रदेश |
कुल निवेश: ₹24,634 करोड़
नेटवर्क वृद्धि: 894 रूट किमी
अतिरिक्त माल ढुलाई क्षमता: 78 मिलियन टन प्रति वर्ष
माल परिवहन को बढ़ावा
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ये परियोजनाएँ कोयला, सीमेंट, कंटेनर, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न और स्टील जैसे औद्योगिक माल के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
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नई लाइनों से भारतीय रेल की वार्षिक माल ढुलाई क्षमता 1.61 बिलियन टन (FY 2024–25) से बढ़कर 2 बिलियन टन तक पहुँचने की संभावना है।
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भारत वर्तमान में दुनिया में रेल माल ढुलाई में दूसरे स्थान पर है।
कनेक्टिविटी और पर्यटन विकास
नई ट्रैकों के निर्माण से यात्रियों और माल परिवहन दोनों के लिए बेहतर संचालन, समयबद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी।
साथ ही, ये मार्ग कई प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ेंगे, जैसे —
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सांची – यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
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सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व
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भीमबेटका रॉक शेल्टर्स
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हज़ारा जलप्रपात
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नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान
इससे घरेलू पर्यटन और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
संभावित लाभ
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रेल नेटवर्क की गति और क्षमता में वृद्धि
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भीड़भाड़ में कमी और परिचालन दक्षता में सुधार
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उद्योगों और लॉजिस्टिक हब्स के लिए बेहतर कनेक्टिविटी
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पर्यटन और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन
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दीर्घकालिक आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में योगदान
संक्षिप्त तथ्य (Static Facts)
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| कुल परियोजनाएँ | 4 |
| कुल निवेश | ₹24,634 करोड़ |
| कुल लंबाई | 894 रूट किमी |
| अतिरिक्त माल ढुलाई क्षमता | 78 मिलियन टन प्रति वर्ष |
| प्रमुख राज्य | महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ |
| प्रमुख उद्देश्य | लॉजिस्टिक क्षमता और क्षेत्रीय विकास |


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