Categories: Uncategorized

भारत में भूजल की मुख्य समस्या क्या है?

जल मानव की रोजमर्रा की आवश्यकताओं में से एक है इसीलिए यह जरूरी है कि समाज अपने जल संसाधनों का उचित प्रबंधन एवं उसका समान वितरण सुनिश्चित करे। जल की विभिन्न कार्यों में उपयोगिता सर्वविदित है, जो कि चर्चा का विषय नहीं है, असली मुद्दा इसकी उपलब्धता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हाल की प्रगति के बावजूद, भारत के भूजल संकट के कारण लगभग 50% ग्रामीण परिवारों के पास अभी भी नल का पानी नहीं है।

Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams



अभी तक देश की सरकारें जल संरक्षण तथा उसके दुरुपयोग को रोकने के लिये कोई गंभीर प्रयास नहीं कर सकी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि स्थिति में यदि सुधार नहीं किया जाता तो आने वाले कुछ वर्षों में भारत को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। बढ़ते जनसंख्या और शहरीकरण के विस्फोट की वजह से सबसे ज्यादा असर भूजल पर पड़ा है। इसके अंधाधुंध दोहन से आज भूजल संकट में है।

भारत कृषि प्रधान देश

भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन जल संरक्षण के क्षेत्र में भारत काफी ज्यादा पिछड़ा हुआ है। खेती के लिए अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के भारत भूजल पर ही निर्भर है।

भारत में जल की स्थिति

भारत में जल उपलब्धता व उपयोग के कुछ तथ्यों पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताज़े जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद है जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत (भारतीय आबादी) हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, वर्ष 2010 में देश में मौजूद कुल ताज़े जल स्रोतों में से 78 प्रतिशत का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा रहा था जो वर्ष 2050 तक भी लगभग 68 प्रतिशत के स्तर पर बना रहेगा। 

भारत में सिंचित क्षेत्र

भारत के लगभग 198 मिलियन हेक्टेयर फसल क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा ही सिंचित हैं। सिंचाई के लिये सर्वप्रमुख स्रोत के रूप में भूमिगत जल (63 प्रतिशत) का उपयोग किया किया जाता है, जबकि नहर (24 प्रतिशत), जलकुंड/टैंक (2 प्रतिशत) एवं अन्य स्रोत (11 प्रतिशत) भी इसमें अंशदान करते हैं। इस प्रकार, भारतीय कृषि में सिंचाई का वास्तविक बोझ भूमिगत जल पर है जो किसानों के निजी निवेश से संचालित है।

भारत में भूजल की मुख्य समस्या

भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण नदियों के प्रवाह में कमी, भूजल संसाधनों के स्तर में कमी एवं तटीय क्षेत्रों के जलभृतों में लवण जल का अवांछित प्रवेश हो रहा है। कुछ आवाह क्षेत्रों में नहरों से अत्यधिक सिंचाई के परिणामस्वरूप जल ग्रसनता एवं लवणता की समस्या पैदा हो चुकी है।

Find More National News Here

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]

Recent Posts

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…

2 hours ago

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…

3 hours ago

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: मुख्य निकाय, कोष, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियां

यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…

4 hours ago

मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का 73 वर्ष की उम्र में निधन

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…

6 hours ago

Aadhaar प्रमाणीकरण लेनदेन नवंबर में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 231 करोड़ हुए

भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…

7 hours ago