केंद्रीय कैबिनेट ने यूएई के साथ रणनीतिक तेल भंडार समझौते को मंजूरी दे दी है. भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटड (आईएसपीआरएल) और यूएई की कंपनी अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के बीच जनवरी में ये करार हुआ था.
करार के मुताबिक यूएई भारत के मंगलौर में बन रहे भूमिगत भंडार में करीब 8.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल रखेगा. इसमें से एक हिस्सा भारत को मुफ्त में मिल जाएगा. यह हिस्सा 5 लाख टन के करीब होगा. बता दें कि भारत को अपनी कुल जरूरत का 79 फीसदी कच्चा तेल आयात करना पड़ता है. किसी भी खाड़ी देश का भारत के ऊर्जा क्षेत्र में ये पहला निवेश है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में आने वाले उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम, कर्नाटक के पाडुर और मेंगलुरु में जमीन के नीचे रणनीतिक तेल भंडार बनाए जा रहे हैं. इनमें 53.30 लाख टन कच्चे तेल को स्टोर किया जा सकेगा. वैश्विक उठा-पटक और आपात स्थिति में इन भंडारों का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
करार के मुताबिक यूएई भारत के मंगलौर में बन रहे भूमिगत भंडार में करीब 8.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल रखेगा. इसमें से एक हिस्सा भारत को मुफ्त में मिल जाएगा. यह हिस्सा 5 लाख टन के करीब होगा. बता दें कि भारत को अपनी कुल जरूरत का 79 फीसदी कच्चा तेल आयात करना पड़ता है. किसी भी खाड़ी देश का भारत के ऊर्जा क्षेत्र में ये पहला निवेश है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में आने वाले उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम, कर्नाटक के पाडुर और मेंगलुरु में जमीन के नीचे रणनीतिक तेल भंडार बनाए जा रहे हैं. इनमें 53.30 लाख टन कच्चे तेल को स्टोर किया जा सकेगा. वैश्विक उठा-पटक और आपात स्थिति में इन भंडारों का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
स्रोत – पीआईबी