
होली रंग का एक धार्मिक त्योहार है जो बसंत ऋतू के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है. होली का त्यौहार इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि इसे सभी धर्मों के लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ एक साथ मिलकर मनाते हैं. होली को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने रिश्तों में आई खटास को मिठास में तब्दील कर देते हैं, सभी मिलजुल कर रंगों से खेलते हैं एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं.
हिन्दू पुराणों के अनुसार, जब दानवों के राजा हिरण्यकश्यप ने देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन हो रहा है. तो उन्हें अत्यंत क्रोध आया. उन्होंने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वो प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए. क्योंकि होलिका को यह वरदान था की अग्नि उसे नहीं जला सकती. परन्तु जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी को वह पूरी तरह जलकर राख हो गयी और नारायण के भक्त प्रह्लाद को एक खरोंच तक नहीं आई. तब से इसे आज तक इस पर्व को इसी दृश्य की याद में मनाया जाता है जिसे होलिका दहन कहते है। यहाँ लकड़ी को होलिका समझकर उसका दहन किया जाता है.




मेटा इंडिया ने अमन जैन को सार्वजनिक नीति...
Year Ender 2025: भारत में प्रमुख संवैधान...
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा क्षे...

