24 जुलाई, 2024 को बिहार विधानसभा ने सरकारी भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी से निपटने के लिए पेपर लीक विरोधी विधेयक पारित किया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए न्यूनतम 10 साल की जेल की सज़ा और कम से कम ₹1 करोड़ के जुर्माने सहित कठोर दंड का प्रस्ताव है। विपक्ष द्वारा वॉकआउट के बीच विधेयक पारित किया गया, जिन्होंने कथित रूप से बिगड़ती कानून व्यवस्था और केंद्र द्वारा बिहार को विशेष दर्जा देने से इनकार करने का विरोध किया।
एंटी-पेपर लीक बिल के प्रमुख प्रावधान
- दंड: परीक्षा में गड़बड़ी के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों और संगठनों को 10 साल तक की जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- संपत्ति कुर्क करना: इस विधेयक में दोषी पाए जाने वाले लोगों की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।
- जमानत की शर्तें: इससे परीक्षा में अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों के लिए जमानत प्राप्त करना कठिन बना दिया गया है।
- अपराध की प्रकृति: इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और असंज्ञेय होंगे।
NEET-UG 2024 पेपर लीक विवाद
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
उच्चतम न्यायालय ने हजारीबाग और पटना में स्थानीय स्तर पर लीक के बावजूद NEET-UG 2024 परीक्षा की वैधता को बरकरार रखा और निष्कर्ष निकाला कि इन घटनाओं से देश भर में परीक्षा की समग्र अखंडता पर कोई आंच नहीं आई।
बिहार बना उपरिकेंद्र
बिहार NEET पेपर लीक विवाद के केंद्र में रहा है, जिसमें बिहार पुलिस के EOU और CBI द्वारा कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
पृष्ठभूमि और प्रभाव
हाल की घटनाएँ
पिछले वर्ष बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्रों के लीक होने से गड़बड़ी का मुद्दा सामने आया।
संजीव मुखिया गैंग
बिहार के नालंदा जिले के इस कुख्यात गिरोह पर NEET-UG, BPSC शिक्षक भर्ती और राज्य पुलिस बल में कांस्टेबल भर्ती के पेपर लीक का आरोप है।
जनता की प्रतिक्रिया
समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है तथा उम्मीद जताई है कि नए कानून के सख्ती से लागू होने से परीक्षाओं में गड़बड़ी पर रोक लगेगी।