बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल की शपथ लेने के बाद नई गठबंधन सरकार के मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया है। एनडीए गठबंधन के तहत बनी इस नई कैबिनेट में भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी सहयोगी के रूप में उभरी है और उसे सबसे अधिक मंत्री पद भी मिले हैं। एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत भाजपा के सम्राट चौधरी को बिहार का गृह मंत्री नियुक्त किया गया है — यह वह सशक्त विभाग है जो परंपरागत रूप से मुख्यमंत्री के पास ही रहता था।
मुख्य मंत्रिपरिषद नियुक्तियाँ और विभाग
बिहार के नवनियुक्त मंत्रिपरिषद में विभागों का बंटवारा इस प्रकार किया गया है—
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गृह विभाग: सम्राट चौधरी
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भूमि व राजस्व; खान एवं भूविज्ञान: विजय कुमार सिन्हा
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स्वास्थ्य व विधि: मंगल पांडे
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उद्योग: दिलीप जायसवाल
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सड़क निर्माण; नगर विकास एवं आवास: नितिन नवीन
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कृषि: रामकृपाल यादव
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पर्यटन; कला, संस्कृति एवं युवा: अरुण शंकर प्रसाद
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सूचना एवं जनसंपर्क; खेल: श्रेयसी सिंह
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श्रम संसाधन: संजय टाइगर
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पशु एवं मत्स्य संसाधन: सुरेंद्र मेहता
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आपदा प्रबंधन: नारायण प्रसाद
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अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण: लखेंद्र पासवान
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पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण: रमा निपत
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सहकारिता; पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन: प्रमोद चंद्र बंशी
गठबंधन की संरचना और शक्ति संतुलन
नवगठित NDA-नेतृत्व वाली बिहार कैबिनेट में कुल 26 मंत्री शामिल हैं, जिनमें विभिन्न सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
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भाजपा: सबसे बड़ा दल, 89 सीटों के साथ
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जदयू: 8 मंत्री
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लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास): 2 मंत्री
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हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM): 1 मंत्री
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राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM): 1 मंत्री
सहयोगी दलों को मिले विभाग
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LJP(R): गन्ना उद्योग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण
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HAM: लघु जल संसाधन विभाग
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RLM: पंचायती राज विभाग
यह बंटवारा भाजपा की प्रमुख भूमिका को दर्शाता है, साथ ही छोटे NDA घटक दलों को भी संतुलित हिस्सेदारी प्रदान करता है।
सम्राट चौधरी की नियुक्ति का महत्व
बिहार के गृह विभाग की कमान सम्राट चौधरी को सौंपना—जो भाजपा के प्रमुख चेहरे और तेजतर्रार नेता माने जाते हैं—एक महत्वपूर्ण रणनीतिक फैसला है।
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यह पहली बार है जब नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में गृह विभाग भाजपा नेता के पास गया है।
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निर्णय स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भाजपा अब प्रशासनिक ढांचे में अपनी भूमिका को और सशक्त करना चाहती है।
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यह नियुक्ति इस बात का संकेत भी है कि भाजपा शासन-प्रक्रिया में अधिक प्रत्यक्ष और प्रभावी भागीदारी स्थापित कर रही है, जबकि जदयू मुख्यमंत्री पद के साथ अपना केंद्रीय स्थान बनाए हुए है।