भारतीय रिज़र्व बैंक के नवीनतम साप्ताहिक सांख्यिकीय सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में अब तक भारत में बैंक ऋण वृद्धि घटकर 1.4% रह गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 2.3% थी। इस बीच, जमा वृद्धि 3.4% पर स्थिर रही है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 3.5% थी।
वर्ष-दर-वर्ष रुझान
25 जुलाई 2025 को समाप्त पखवाड़े के लिए,
जमा: वर्ष-दर-वर्ष 10.2% की वृद्धि।
ऋण वितरण: वर्ष-दर-वर्ष 10% की वृद्धि।
यह दर्शाता है कि जहां जमा संग्रहण स्वस्थ बना हुआ है, वहीं चालू वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में ऋण वितरण की गति कुछ धीमी पड़ी है।
ऋण वृद्धि की धीमी रफ्तार के कारण
क्रेडिट विस्तार में यह मामूली वृद्धि मुख्यतः निम्न कारणों से है—
कॉरपोरेट ऋण की कम मांग, क्योंकि कंपनियां अब वित्तपोषण के लिए बॉन्ड जैसे बाज़ार-आधारित साधनों की ओर अधिक झुक रही हैं।
हालिया ब्याज दर में कटौती के बावजूद, आवास ऋण की मांग अपेक्षा के अनुसार तेज़ी से नहीं बढ़ी है।
वित्तीय संसाधनों का व्यापक प्रवाह
हालांकि पारंपरिक बैंक ऋण वितरण में सुस्ती आई है, लेकिन वाणिज्यिक क्षेत्र को मिलने वाले कुल वित्तीय संसाधनों का प्रवाह—जिसमें ऋण, बाज़ार से उधारी और अन्य साधन शामिल हैं—बढ़ा है। यह निवेश में कमी के बजाय वित्तपोषण पैटर्न में बदलाव को दर्शाता है।
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