प्रतिष्ठित प्रित्जकर पुरुस्कार के विजेता और मशहूर आर्केिटेक्ट बालकृष्ण दोशी (Balkrishna Doshi) का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर साझा करते हुए आर्किटेक्टर डाइजेस्ट ऑफ इंडिया ने इंस्टाग्राम पर लिखा “रुप और प्रकाश के मास्टर दोशी ने एक अमित विरासत छोड़ी है। एक प्यार करने वाला पति, पिता, दादा, परदादा और इस देश के लोगों के लिए एक सच्ची प्रेरणा। वास्तुकला, कला, जीवन, संस्कृति और दर्शन में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”
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मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी को मई 2022 में रॉयल गोल्ड से सम्मानित किया गया था। बीवी दोशी उस कुछ चुनिंदा लोगों में से थे जिन्हें गोल्ड मेडल और प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार दोनों से सम्मानित किया गया था। जिसे वास्तुकला के क्षेत्र में नोबल भी कहा जता है। उन्हें अहमदाबाद की कुछ सबसे प्रतिष्ठित इमारतों को डिजाइन करने का भी गौरव हासिल है।
बालकृष्ण दोशी का जन्म 1927 को महाराष्ट्र के पुणे में फर्नीचर बनाने वाले परिवार में हुआ था। जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने ले कॉर्बूसियर के साथ पेरिस में एक सीनियर डिजाइनर के रुप में लगभग 4 सालों कर काम किया। उन्होंने गुजरात और अहमदाबाद में कई प्रोजेक्ट को भी लीड किया है। दोशी ने इंडियन मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट अहमदाबाद के निर्णाण प्रोजेक्ट में एक सहयोगी के रुप में लुइस कान के साथ काम किया है।
इसके बाद साल 2018 में, उन्हें वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाने वाला प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार मिला, जो सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वास्तुकार बन गए। इसके बाद साल 2020 में उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
उन्होंने अहमदाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, सीईपीटी यूनिवर्सिटी और कनोरिया सेंटर फॉर आर्ट्स, बैंगलोर में भारतीय प्रबंधन संस्थान और इंदौर में निम्न से मध्यम आय वाले परिवारों के लिए एक टाउनशिप अरन्या लो कॉस्ट हाउसिंग जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उनके कामों के लिए 1995 में उन्हें वास्तुकला के लिए प्रतिष्ठित आगा खान पुरस्कार से नवाजा गया था।
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