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अटल इनोवेशन मिशन ने भारत भर में स्थानीय भाषा में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु भाषिनी के साथ साझेदारी की

भारत के नवाचार परिदृश्य में भाषाई बाधाओं को दूर करने के एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, नीति आयोग के अंतर्गत अटल नवाचार मिशन (एआईएम) और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के डिजिटल इंडिया भाषा प्रभाग, भाषानी ने आज दिल्ली में एक आशय पत्र (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत के विविध उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र में भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देना और स्थानीय भाषा में नवाचार को बढ़ावा देना है।

भाषा के माध्यम से नवाचार को सशक्त बनाना

यह सहयोग एआईएम (AIM) के व्यापक नवाचार ढांचे और भाषिणी की अत्याधुनिक भाषा तकनीकों को एक साथ लाता है। दोनों पक्षों के नेताओं — दीपक बागला, मिशन निदेशक, एआईएम, और अमिताभ नाग, सीईओ, भाषिणी — ने एक रणनीतिक बैठक के दौरान इस आशय पत्र (SoI) को औपचारिक रूप दिया। यह पहल एआईएम के जमीनी स्तर के कार्यक्रमों में बहुभाषी क्षमताओं को एकीकृत करने पर केंद्रित है, ताकि नवाचार को देशभर में गैर-अंग्रेज़ी भाषी लोगों के लिए सुलभ बनाया जा सके।

“यह सहयोग हमारे व्यापक लक्ष्य — समावेशी नवाचार को बढ़ावा देने — का समर्थन करता है,” बागला ने कहा। “भाषा को अवसरों तक पहुंच में बाधा नहीं बनना चाहिए। भाषिणी के टूल्स के माध्यम से, हम हर भारतीय को नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने में सक्षम बना रहे हैं।”

अनुवाद, तकनीक और प्रशिक्षण

तत्काल कदम के रूप में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) अकादमी के शिक्षण संसाधनों का अनुवाद भाषिणी के प्लेटफॉर्म का उपयोग करके कई भारतीय भाषाओं में किया जाएगा। यह पहल एआईएम, डब्ल्यूआईपीओ और नीति आयोग के बीच चल रही साझेदारी का हिस्सा है।

इसके अलावा, भविष्य में बहुभाषी सामग्री को गेम आधारित बनाना और स्टार्टअप्स को सैंडबॉक्स वातावरण प्रदान करना शामिल होगा, ताकि वे भाषा-समावेशी उत्पादों का परीक्षण और विकास कर सकें।

जमीनी स्तर पर समावेशी नवाचार

योजना में भाषिणी के तकनीकी टूल्स को एआईएम की मौजूदा संरचनाओं — जैसे अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (AICs) और अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स (ACICs) — तक विस्तारित करना और नए भाषा समावेशी कार्यक्रम नवाचार केंद्र (Language Inclusive Program for Innovation – LIPI) स्थापित करना शामिल है। ये केंद्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी पृष्ठभूमि के नवाचारकर्ताओं के लिए कौशल और क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

“भाषा को कभी भी नवाचार में बाधा नहीं बनना चाहिए,” अमिताभ नाग ने कहा। “इस सहयोग के माध्यम से, हम हर नवाचारकर्ता को — चाहे उसकी भाषाई पृष्ठभूमि कुछ भी हो — भारत के डिजिटल और उद्यमशील भविष्य में सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाना चाहते हैं।”

डिजिटल समानता की ओर एक कदम

यह साझेदारी नवाचार तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, खासकर भाषाई अल्पसंख्यकों और क्षेत्रीय नवाचारकर्ताओं के लिए। नवाचार कार्यक्रमों में भाषा तकनीकों को शामिल करके, एआईएम और भाषिणी एक अधिक समावेशी, सुलभ और डिजिटल रूप से सशक्त भारत की नींव रख रहे हैं।

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