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असम मंत्रिमंडल ने गांवों, श्रमिकों और छात्रों के लिए नई योजनाओं को मंजूरी दी

असम सरकार ने 2025–26 के बजट लक्ष्यों के तहत ग्रामीण जीवन, शिक्षा और पारंपरिक उद्योगों में सुधार के लिए कई अहम फैसलों को मंजूरी दी है। इन निर्णयों में गांव प्रधानों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में वृद्धि, मानव-हाथी संघर्ष से निपटने के लिए गजा मित्र योजना, छात्रों और कारीगरों के लिए वित्तीय सहायता, और एक विश्वविद्यालय का नाम बदलना शामिल है।

गांव प्रधान और आंगनवाड़ी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी

कैबिनेट ने गांव प्रधानों के मासिक वेतन को ₹9,000 से बढ़ाकर ₹14,000 कर दिया है, जो 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा। यह बढ़ोतरी वन गांवों के गांव प्रधानों पर भी लागू होगी। इसी तरह, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अब ₹8,000 और सहायिकाओं को ₹4,000 मासिक मानदेय मिलेगा। इसका उद्देश्य इन कर्मचारियों की आजीविका में सुधार लाना और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सेवा वितरण को प्रोत्साहित करना है।

गजा मित्र योजना: मानव-हाथी संघर्ष से निपटने की पहल

असम सरकार ने गजा मित्र योजना को मंजूरी दी है, जिसे आठ ज़िलों—गोलपाड़ा, उदालगुरी, नागांव, बक्सा, सोनीतपुर, गोलाघाट, जोरहाट और विश्वनाथ—में लागू किया जाएगा।

योजना के तहत 80 सामुदायिक निगरानी एवं प्रतिक्रिया टीमों का गठन किया जाएगा, जो धान की फसल के मौसम में हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखेंगी और संघर्ष की स्थिति को नियंत्रित करेंगी। इसका उद्देश्य मानव सुरक्षा के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण भी है।

संतों और छात्रों को सहायता

राज्य सरकार ने सत्रों (धार्मिक मठों) में रहने वाले उदासीन भकतन (ब्रह्मचारी संन्यासी) को ₹1,500 मासिक वजीफा देने का निर्णय लिया है, ताकि असम की धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।

शिक्षा के क्षेत्र में कैबिनेट ने प्रेरणा आसनी योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत ASSEB (Div-1) विद्यालयों के कक्षा 10 के छात्र नवंबर 2025 से लेकर 2026 की HSLC परीक्षा तक ₹300 प्रतिमाह की सहायता राशि प्राप्त करेंगे।

कारीगरों के लिए सहायता और विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन

पारंपरिक कारीगरों को सहायता देने हेतु सरकार ने असम GST प्रतिपूर्ति योजना 2025 की शुरुआत की है। इसके तहत स्थानीय कांसे के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को उनके द्वारा अदा किए गए SGST की वापसी की जाएगी, जिससे वे प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें।

इसके अलावा, कैबिनेट ने रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर रवींद्रनाथ ठाकुर विश्वविद्यालय रखने की मंजूरी दी है। यह बदलाव असमिया उच्चारण और सांस्कृतिक पहचान को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए किया गया है।

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