तुर्की–अमेरिका परमाणु समझौता : वैश्विक ऊर्जा शक्ति संतुलन में नया बदलाव

एक बड़ी भू-राजनीतिक और ऊर्जा संबंधी सफलता के रूप में, तुर्की और अमेरिका ने 25 सितंबर, 2025 को राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन की व्हाइट हाउस की हाई-प्रोफाइल यात्रा के दौरान एक रणनीतिक असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता द्विपक्षीय संबंधों को, विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा के उच्च-तकनीकी क्षेत्र में, गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय प्रभाव पर व्यापक प्रभाव पड़ेंगे।

वैश्विक प्रभाव वाली परमाणु साझेदारी

  • मुख्य बिंदु:

    • बड़े पैमाने पर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का विकास

    • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) की तैनाती

  • रणनीतिक महत्व:

    • रूस के साथ चल रही परमाणु परियोजनाओं का संतुलन

    • चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ जारी वार्ताओं में शक्ति संतुलन

    • तुर्की को विविधीकृत परमाणु ऊर्जा खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना

  • अन्य ऊर्जा कदम:

    • राष्ट्रपति एर्दोआन की अमेरिका यात्रा के दौरान BOTAS ने 75.8 अरब घन मीटर एलएनजी आयात अनुबंध (Mercuria–स्विट्ज़रलैंड, Woodside Energy–ऑस्ट्रेलिया) पर हस्ताक्षर किए।

तुर्की की परमाणु महत्वाकांक्षा

अक्कूयू : पहला कदम

  • निर्माणकर्ता: रूस की Rosatom

  • लागत: 20 अरब डॉलर

  • रिएक्टर: 4 वीवीईआर (VVER) इकाइयाँ

  • कुल क्षमता: 4,800 मेगावॉट

  • पहली इकाई चालू होने की समय-सीमा: 2026

आगामी परियोजनाएँ

  • सिनोप (काला सागर तट)

  • थ्रेस क्षेत्र (उत्तर-पश्चिम)

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए खुले, जिसमें नया अमेरिका–तुर्की समझौता मजबूत दावेदार है।

SMRs (भविष्य की दिशा)

  • औद्योगिक क्षेत्रों के पास तैनाती

  • नवीकरणीय ऊर्जा के साथ एकीकरण

  • पारंपरिक संयंत्रों की तुलना में तेज़ निर्माण

  • तुर्की को क्षेत्रीय SMR हब बनाने की क्षमता

स्थिर तथ्य (Static)

बिंदु विवरण
हस्ताक्षर तिथि 25 सितंबर 2025
हस्ताक्षरकर्ता बायराक्तर (तुर्की) एवं रुबियो (अमेरिका)
केंद्रबिंदु नागरिक परमाणु सहयोग — बड़े संयंत्र व SMRs
अन्य सक्रिय परियोजना अक्कूयू (रूस, 4,800 मेगावॉट)
अन्य ऊर्जा कदम 75.8 अरब घन मीटर एलएनजी आयात अनुबंध (Mercuria, Woodside Energy)
रणनीतिक उद्देश्य ऊर्जा विविधीकरण, गैस आयात में कमी, ग्रिड आधुनिकीकरण

दुबई के सड़क और परिवहन प्राधिकरण ने दुबई स्वायत्त क्षेत्र के शुरूआत की घोषणा की

दुबई के सड़क और परिवहन प्राधिकरण ने दुबई स्वायत्त क्षेत्र के शुरूआत की घोषणा की है। यह चालक रहित वाहनों और समुद्री परिवहन के लिए 15 किलोमीटर का समर्पित गलियारा है। इसके 2026 में चालू होने की संभावना है। इस क्षेत्र में अल जद्दाफ मेट्रो स्टेशन, दुबई क्रीक हार्बर और दुबई फेस्टिवल सिटी शामिल हैं। प्राधिकरण की सार्वजनिक परिवहन एजेंसी के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अहमद बहरोज़यान ने कहा कि इस व्‍यवस्‍था में टैक्सियों से लेकर सड़क की सफाई करने वालों तक, सब कुछ स्वचालित रूप से संचालित होता है। यह परियोजना दुबई की उस महत्वाकांक्षा के अनुरूप है, जिसके तहत वह 2030 तक अपनी 25% दैनिक यात्राओं को स्वचालित (autonomous) बनाना चाहता है। यह ज़ोन 2026 की शुरुआत में चालू होगा और इसमें अल जद्दाफ मेट्रो स्टेशन, दुबई क्रीक हार्बर और दुबई फेस्टिवल सिटी जैसे प्रमुख हब शामिल होंगे।

पूर्णतः एकीकृत ऑटोनॉमस नेटवर्क

  • ड्राइवरलेस मेट्रो

  • रोबोटैक्सी और रोबोबस

  • ऑटोनॉमस शटल व लॉजिस्टिक वाहन

  • डिलीवरी रोबोट और रोड-क्लीनिंग बॉट्स

  • सेल्फ-ड्राइविंग मरीन अब्रास (वाटर टैक्सी)

RTA के पब्लिक ट्रांसपोर्ट एजेंसी के सीईओ अहमद बहरोज़यान ने कहा कि यह “भविष्य की वह तस्वीर है, जहाँ टैक्सी से लेकर सड़क साफ़ करने वाली मशीन तक—सब कुछ स्वचालित होगा और अधिकतम दक्षता से जुड़ा रहेगा।”

रोबोटैक्सी और साझेदारी

  • Uber और WeRide के साथ साझेदारी

  • 2025 के अंत तक रोबोटैक्सी का पायलट ट्रायल

  • 2028 तक 1,000 ऑटोनॉमस टैक्सियों का लक्ष्य

  • 2026 की शुरुआत में ऐप आधारित सेवा शुरू होगी

  • यात्रियों को कम लागत, तेज़ सेवा और पर्यावरण अनुकूल ई-फ्लीट का लाभ मिलेगा

सुरक्षा और परीक्षण

  • जुमेराह क्षेत्र में 50 से अधिक ऑटोनॉमस वाहनों का परीक्षण जारी

  • ट्रैफिक रिस्पॉन्स, पैदल यात्री सुरक्षा और सेंसर की विश्वसनीयता का आकलन

  • अबू धाबी के TXAI प्रोग्राम की सफलता से प्रेरणा, जिसने बिना किसी बड़े हादसे के 4.3 लाख किमी पूरे किए

त्वरित तथ्य (Static)

  • परियोजना: दुबई ऑटोनॉमस ज़ोन (DAZ)

  • लंबाई: 15 किमी (अल जद्दाफ से फेस्टिवल सिटी)

  • लॉन्च वर्ष: 2026

  • लक्ष्य: 2030 तक 25% दैनिक यात्राएँ ऑटोनॉमस

  • परिवहन साधन: रोबोटैक्सी, रोबोबस, मरीन अब्रास, डिलीवरी बॉट्स

  • साझेदार: Uber, WeRide

रविचंद्रन अश्विन बीबीएल में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने

भारत के अनुभवी ऑफ़-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इतिहास रच दिया है। वे बिग बैश लीग (BBL) से अनुबंध करने वाले पहले टेस्ट-खेल चुके भारतीय पुरुष क्रिकेटर बन गए हैं। अश्विन आगामी बीबीएल 2025–26 सीज़न में सिडनी थंडर की ओर से खेलेंगे। यह भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से चला आ रहा एक बड़ा अवरोध तोड़ने जैसा है। अब तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) सक्रिय भारतीय पुरुष खिलाड़ियों को विदेशी टी20 लीग में भाग लेने से रोकता रहा है। हालांकि भारतीय महिला खिलाड़ी नियमित रूप से विमेंस बिग बैश लीग (WBBL) में खेलती रही हैं, लेकिन पुरुष खिलाड़ियों की भागीदारी केवल घरेलू क्रिकेट और आईपीएल तक सीमित थी। अश्विन का यह कदम उनके इस साल आईपीएल से संन्यास लेने के बाद संभव हो पाया, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय टी20 फ्रेंचाइज़ी अनुबंधों के पात्र हो गए।

यह कदम क्यों अहम है?

प्रतिबंधात्मक दौर का अंत

  • दशकों तक BCCI के नियमों ने भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग से दूर रखा, ताकि आईपीएल की विशिष्टता बनी रहे।

  • मौजूदा खिलाड़ियों के लिए यह पाबंदी जारी रहेगी, लेकिन अश्विन जैसे संन्यास ले चुके खिलाड़ी अब स्वतंत्र हैं।

  • यह कदम भविष्य में अन्य वरिष्ठ भारतीय खिलाड़ियों के लिए भी रास्ता खोल सकता है, जो संन्यास के बाद विदेशी लीगों में करियर बढ़ाना चाहेंगे।

रणनीतिक समय और दोहरी लीग भागीदारी

  • अश्विन ने इंटरनेशनल लीग टी20 (ILT20), यूएई से भी अनुबंध किया है (2 दिसंबर से 4 जनवरी तक)।

  • बीबीएल का सीज़न 14 दिसंबर से शुरू होगा, ऐसे में अश्विन का बीबीएल डेब्यू जनवरी की शुरुआत में, यानी टूर्नामेंट के मध्य में होने की संभावना है।

  • भले ही शुरुआत देर से हो, लेकिन उनसे उम्मीद है कि वे सिडनी थंडर के लिए निर्णायक चरण में अहम भूमिका निभाएँगे।

सांस्कृतिक और टीम पर असर

  • अश्विन की मौजूदगी टीम को क्रिकेटिंग अनुभव के साथ-साथ बड़ा मार्केटिंग आकर्षण भी देगी।

  • सिडनी की बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी के बीच उनका जुड़ाव फैन एंगेजमेंट को और बढ़ाएगा।

  • साथ ही, फ्रेंचाइज़ी को विश्वास है कि उनका अनुभव स्थानीय प्रतिभाओं को विकसित करने और टीम को प्लेऑफ़ की दौड़ में मज़बूत बनाने में मदद करेगा।

सुधांशु वत्स एएससीआई के अध्यक्ष, सुब्रमण्येश्वर उपाध्यक्ष नियुक्त

भारत की प्रमुख विज्ञापन नियामक संस्था एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) में महत्वपूर्ण नेतृत्व बदलाव हुआ है। सुधांशु वत्स, प्रबंध निदेशक (MD) पिडिलाइट इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को ASCI का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह घोषणा संस्था की 39वीं वार्षिक आम बैठक में की गई, ठीक उस समय जब ASCI अक्टूबर 2025 में अपनी 40वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। यह नियुक्ति ऐसे दौर में हुई है जब विज्ञापन जगत तेजी से बदल रहा है और स्वनियमन (self-regulation) तथा नैतिक विज्ञापन प्रथाओं की अहमियत और बढ़ गई है।

नया नेतृत्व

  • सुधांशु वत्स – अध्यक्ष (President)

  • एस. सुब्रमण्येश्वर, मुलनलो ग्लोबल – उपाध्यक्ष (Vice Chairman)

  • परीतोष जोशी, प्रिंसिपल, प्रोवोकेट्योर एडवाइजरी – मानद कोषाध्यक्ष (Honorary Treasurer)

इन नियुक्तियों का उद्देश्य है कि विज्ञापन, कॉरपोरेट और परामर्श क्षेत्रों से विविध दृष्टिकोण लेकर ASCI को नई चुनौतियों के लिए तैयार किया जाए — जैसे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और एआई-जनित कंटेंट

एएससीआई की नई पहलें

  1. AdWise कार्यक्रम (छात्रों के लिए मीडिया साक्षरता)

    • 10 लाख से अधिक स्कूली छात्रों को शिक्षित करना

    • भ्रामक/हानिकारक विज्ञापनों की पहचान करना सिखाना

    • विज्ञापन संदेशों का समालोचनात्मक मूल्यांकन

    • ब्रांड प्रभाव और उपभोक्ता अधिकारों पर जागरूकता

  2. जेन अल्फा (Gen Alpha) पर एथ्नोग्राफिक रिसर्च

    • डिजिटल युग में पैदा हुई नई पीढ़ी के विज्ञापन उपभोग का अध्ययन

    • बच्चों के लिए जिम्मेदार विज्ञापन ढाँचा तैयार करना

    • लक्षित संदेशों से होने वाले मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक जोखिमों की रोकथाम

  3. भौगोलिक विस्तार (Geographical Expansion)

    • नई उपस्थिति और निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए बेंगलुरु और नई दिल्ली में विस्तार

    • स्थानीय विज्ञापनदाताओं, एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों से नेटवर्क मजबूत करना

याद रखने योग्य मुख्य तथ्य

  • सुधांशु वत्स बने ASCI के नए अध्यक्ष (2025)

  • एस. सुब्रमण्येश्वर उपाध्यक्ष, परीतोष जोशी कोषाध्यक्ष

  • AdWise कार्यक्रम के ज़रिए 10 लाख छात्रों को विज्ञापन साक्षरता

  • Gen Alpha पर विशेष शोध, बच्चों के लिए जिम्मेदार विज्ञापन

  • दिल्ली और बेंगलुरु में ASCI का विस्तार

भारत ने आईआईटी-मद्रास को संयुक्त राष्ट्र एआई उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया

भारत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में अपनी वैश्विक भूमिका को मजबूत करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT-Madras) को संयुक्त राष्ट्र (UN) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) फॉर एआई के रूप में नामित किया है। यह घोषणा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा न्यूयॉर्क में आयोजित एक उच्चस्तरीय संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में की गई। यह कदम विशेषकर ग्लोबल साउथ देशों के लिए एआई क्षमता निर्माण, कौशल विकास और समावेशी डिजिटल प्रगति में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

IIT-Madras: वैश्विक एआई हब

  • संस्थान उत्कृष्टता (Institute of Eminence) का दर्जा प्राप्त IIT-Madras भारत में एआई अनुसंधान, नवाचार और कौशल विकास का प्रमुख केंद्र रहा है।

  • अब इसे UN Office for Digital and Emerging Technologies (ODET) के वैश्विक एआई हब नेटवर्क का हिस्सा बनाया गया है।

  • यह केंद्र काम करेगा:

    • एआई कौशल अंतर (skills gap) को दूर करने में

    • नैतिक और जिम्मेदार एआई शासन (ethical AI governance) को बढ़ावा देने में

    • एआई तकनीकों तक सभी की समावेशी पहुँच सुनिश्चित करने में

ग्लोबल साउथ को सशक्त बनाना

IIT-Madras का CoE बनना इस बात का प्रतीक है कि भारत उन देशों की मदद करना चाहता है, जिनके पास एआई कौशल और कंप्यूटिंग अवसंरचना की कमी है। इसके तहत भारत:

  • ओपन-सोर्स एआई मॉडल साझा करेगा

  • कौशल विकास कार्यक्रमों में सहयोग करेगा

  • स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में स्थानीय नवाचारों को समर्थन देगा

भारत का एआई मिशन और लक्ष्य

भारत ने इंडिया एआई मिशन शुरू किया है, जिसके तहत:

  • 38,000 GPUs सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराए गए हैं

  • 300 ओपन-सोर्स एआई मॉडल विकसित और साझा किए गए हैं

  • लक्ष्य: हर साल 1 करोड़ (10 मिलियन) लोगों को एआई से संबंधित कौशल में प्रशिक्षित करना

यह विश्व के सबसे बड़े एआई कार्यक्रमों में से एक है, जो भारत को घरेलू शक्ति के साथ-साथ वैश्विक योगदानकर्ता भी बनाता है।

UN ODET और वैश्विक एआई नेटवर्क

  • संयुक्त राष्ट्र ODET का उद्देश्य उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे एआई) से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों का समाधान करना है।

  • इसके तहत, सदस्य देशों द्वारा नामित CoE केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं जो:

    • क्षेत्रीय ज्ञान हब (knowledge hubs) बनेंगे

    • प्रशिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देंगे

    • एआई सुरक्षा, नैतिकता और शासन के लिए वैश्विक मानक तय करेंगे

प्रमुख तथ्य

  • IIT-Madras को संयुक्त राष्ट्र का एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नामित किया गया

  • भारत का लक्ष्य: एआई कौशल विकास और वैश्विक योगदान

  • इंडिया एआई मिशन के तहत 1 करोड़ लोगों को हर साल प्रशिक्षित करने का लक्ष्य

  • फरवरी 2026 में एआई इम्पैक्ट समिट की मेज़बानी करेगा भारत

  • फोकस: People, Compute, Data, Safety के ज़रिए एआई डिवाइड को कम करना

तिरुमाला में तीर्थयात्रियों के लिए भारत का पहला एआई-आधारित कमांड सेंटर स्थापित

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् (TTD) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) शुरू किया है। इसका शुभारंभ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 25 सितंबर 2025 को किया। यह केंद्र विश्व के सबसे व्यस्त धार्मिक स्थलों में से एक तिरुमला मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, सुरक्षा और दर्शन प्रबंधन को पूरी तरह बदलने जा रहा है। यह पहल विशेष रूप से उन अवसरों पर अहम है जब लाखों भक्त एक साथ तिरुमला पहुंचते हैं।

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) क्या है?

यह 24×7 संचालन केंद्र है जो आधुनिक तकनीक से लैस है। यह निगरानी और प्रबंधन करता है:

  • भीड़ घनत्व और कतार की लंबाई

  • वास्तविक समय में दर्शन की स्थिति

  • आवास की जानकारी

  • आपातकालीन स्थिति की पहचान और प्रतिक्रिया

यह केंद्र वैikuntham Queue Complex में स्थापित है और एकीकृत डैशबोर्ड व विभागीय समन्वय के साथ तीर्थयात्रियों को सहज अनुभव दिलाता है।

एआई की भूमिका: तिरुमला ICCC की विशेषताएँ

वास्तविक समय कतार प्रबंधन

  • एआई-आधारित एनालिटिक्स से इंतज़ार का समय बताना

  • भीड़ का घनत्व मैप करना

  • “सर्व दर्शनम” के प्रवाह को संतुलित कर भीड़ से राहत देना

सुरक्षा और निगरानी

  • पहचान सत्यापन और गुमशुदा व्यक्तियों की खोज हेतु फेशियल रिकग्निशन

  • संदिग्ध गतिविधि पर अनियमितता अलर्ट

  • त्वरित प्रतिक्रिया के लिए ड्रोन निगरानी

  • भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों का 3D मैपिंग

क्यों बनाया गया यह केंद्र?

2024 में आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री की अगुवाई में वैश्विक तकनीकी विशेषज्ञों के साथ हुई चर्चाओं से प्रेरणा लेकर यह विचार आया। स्मार्ट सिटी मॉडल, डिजिटल ट्विन तकनीक और एआई-आधारित सेवाओं से सीख लेकर सरकार ने इसे परंपरा और तकनीक के संगम के रूप में विकसित किया।

मुख्य तथ्य

  • भारत का पहला एआई-सक्षम ICCC, 25 सितंबर 2025 को शुरू हुआ

  • उद्घाटन: मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू

  • स्थान: वैikuntham Queue Complex, तिरुमला

  • सुविधाएँ: वास्तविक समय कतार एनालिटिक्स, ड्रोन निगरानी, फेशियल रिकग्निशन

  • उद्देश्य: भीड़ प्रबंधन, साइबर निगरानी और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना

विश्व गर्भनिरोधक दिवस 2025: सशक्त विकल्प, सक्षम स्वतंत्रता

हर साल 26 सितंबर को विश्व स्वास्थ्य समुदाय विश्व गर्भ निरोध दिवस (World Contraception Day) मनाता है। यह पहल 2007 में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य लोगों में गर्भनिरोधक विधियों की जानकारी, समझ और पहुंच बढ़ाना है। यह दिन नागरिक समाज, एनजीओ, स्वास्थ्य प्रदाताओं और सरकारों के लिए प्रजनन स्वास्थ्य, अधिकार और परिवार नियोजन पर संवाद को मजबूत करने का एक मंच बन गया है।

स्थापना और विकास

  • 2007 में परिवार नियोजन संगठनों के गठबंधन ने इसे स्थापित किया।

  • उद्देश्य: हर व्यक्ति को यह अधिकार और साधन मिले कि वह तय कर सके कि कब, कितने और कितने बच्चे होने चाहिए।

  • समय के साथ, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, चिकित्सा संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों का समर्थन मिला।

  • इस दिन आयोजित अभियानों का लक्ष्य मिथकों को तोड़ना, कलंक कम करना और विस्तृत गर्भनिरोधक विकल्पों तक पहुंच सुनिश्चित करना है।

2025 का थीम

“A choice for all — agency, intention, access”
तीन मुख्य अधिकारों पर जोर:

  1. Agency (सशक्तिकरण): व्यक्ति स्वतंत्र रूप से प्रजनन निर्णय ले सके।

  2. Intention (इरादा): निर्णय जानबूझकर और सूचित हों।

  3. Access (पहुँच): सभी के लिए गर्भनिरोधक विधियाँ, समर्थन और सेवाएँ उपलब्ध हों।

महत्व और उद्देश्य

  • अनचाही गर्भधारण और मातृ स्वास्थ्य रोकना

    • आधुनिक गर्भनिरोधक विधियाँ मातृ मृत्यु दर कम करने और जन्म अंतराल बेहतर करने में प्रभावी हैं।

  • लिंग समानता और सशक्तिकरण

    • जब महिलाएँ और पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता नियंत्रित कर सकते हैं, तो शिक्षा और आर्थिक अवसर बढ़ते हैं।

  • असुरक्षित गर्भपात कम करना

    • गर्भनिरोधक अनुपलब्ध होने पर अनचाहे गर्भ जन्म देते हैं, जिससे असुरक्षित गर्भपात की घटनाएँ बढ़ती हैं।

  • मिथक और कलंक को कम करना

    • जानकारी और संवाद बढ़ाकर गर्भनिरोधक के बारे में खुला संवाद सुनिश्चित किया जाता है।

गर्भनिरोधक विधियाँ

1. अस्थायी / पलटने योग्य (Reversible Methods)

  • मौखिक गोली (Oral contraceptive pills)

  • इंजेक्शन (Injectables)

  • पैच और रिंग (Transdermal patches, Vaginal rings)

  • इम्प्लांट (Implants)

  • इन्ट्रायूटेरिन डिवाइस (IUDs)

  • प्रजनन जागरूकता आधारित विधियाँ

  • वापसी विधि (Withdrawal method)

2. स्थायी (Permanent Methods)

  • पुरुष नसबंदी (Vasectomy)

  • महिला नसबंदी (Tubal ligation)

  • स्तनपान आधारित गर्भनिरोधक विधि (LAM)

वैश्विक तथ्य और चुनौतियाँ

  • 1.1 अरब महिलाओं में से लगभग 874 मिलियन आधुनिक विधियाँ उपयोग करती हैं।

  • लगभग 257 मिलियन महिलाएँ सुरक्षित आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही।

  • विश्व में आधे गर्भ अनचाहे हैं।
    मुख्य बाधाएँ:

  • दुष्प्रभाव का डर

  • सांस्कृतिक या धार्मिक विरोध

  • लिंग आधारित दबाव

  • सेवाओं की कमी या खराब गुणवत्ता

  • विकल्पों की कमी

  • मिथक और गलत सूचना

विश्व गर्भ निरोध दिवस की भूमिका

  • गर्भनिरोधक विकल्प और सुरक्षित प्रथाओं पर जागरूकता बढ़ाना

  • समावेशी और सुलभ प्रजनन स्वास्थ्य नीतियों की वकालत

  • कलंक कम करने के लिए समुदाय स्तर पर संवाद को बढ़ावा

  • कम संसाधन वाले क्षेत्रों में सेवा वितरण सुधारना

  • सरकार, एनजीओ और निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं के बीच साझेदारी को बढ़ावा

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

  • कुछ देशों में नीति और कानून प्रतिबंधक

  • स्वास्थ्य प्रदाता की पूर्वाग्रह और प्रशिक्षण की कमी

  • कुछ विधियों पर अत्यधिक ध्यान, जो सभी उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त नहीं

  • प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए अपर्याप्त धनराशि

  • निगरानी और डेटा प्रणाली की कमी

निष्कर्ष:
विश्व गर्भ निरोध दिवस यह याद दिलाता है कि गर्भनिरोधक तक पहुंच एक अधिकार है, केवल सुविधा नहीं। इसे सुनिश्चित करने के लिए सतत प्रयास, नीति सुधार और जागरूकता अभियान जरूरी हैं।

भारत ने रेल-आधारित लांचर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का परीक्षण किया

भारत ने रेल-आधारित मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म से अग्नि-प्राइम (Agni-Prime) मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में एक बड़ी उपलब्धि है। इस सफलता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है—जैसे अमेरिका, चीन और रूस—जो रेल प्लेटफ़ॉर्म से बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम हैं। यह परीक्षण न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भारत की सेकंड-स्ट्राइक क्षमता और नाभिकीय निवारक स्थिति को भी मजबूत करता है।

अग्नि-प्राइम क्या है?

अग्नि-प्राइम (Agni-P), डीआरडीओ द्वारा विकसित भारत की अग्नि मिसाइल श्रृंखला का नवीनतम संस्करण है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • श्रेणी: लगभग 2,000 किमी

  • प्रोपल्शन: दो-स्टेज ठोस ईंधन

  • लॉन्च प्रकार: कैनिस्टरीकृत (सुरक्षित और त्वरित तैनाती संभव)

  • मोबिलिटी: पहले रोड-मोबाइल संस्करण में शामिल, अब रेल-आधारित तैनाती सफल परीक्षण

  • सटीकता: हल्की, तेज और अधिक सटीक

उन्नत और स्वायत्त प्रणाली

अग्नि-प्राइम में शामिल हैं:

  • उन्नत संचार प्रणाली

  • स्वतंत्र लॉन्च प्रणाली

  • सुरक्षित संचालन के लिए सुरक्षा उपाय

  • ग्राउंड स्टेशनों ने पूरी उड़ान पथ की निगरानी की और मिशन उद्देश्यों की पुष्टि की

सफल लॉन्च का विवरण

  • सह-कार्यकारी संगठन: डीआरडीओ और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC)

  • स्थान: गुप्त

  • प्लेटफ़ॉर्म: विशेष रेल-मोबाइल लॉन्चर

  • विशेषता: पूरी प्रणाली स्वायत्त, तेजी से प्रतिक्रिया और छिपकर संचालन सक्षम

रणनीतिक महत्व

  1. सेकंड-स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि

    • रेल-आधारित प्लेटफ़ॉर्म नाभिकीय त्रि-साधन (भूमि, वायु, समुद्र) में एक महत्वपूर्ण परत जोड़ते हैं।

  2. तेजी से तैनाती, अधिक कवरेज

    • रेल नेटवर्क से लॉन्चिंग प्रतिक्रिया समय कम करता है और मिसाइल बलों को तेजी से पुनर्स्थापित करने की सुविधा देता है।

  3. कम कमजोरता

    • स्थिर मिसाइल साइलो की तुलना में रेल मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म दुश्मन के लिए ट्रैक करना कठिन बनाते हैं।

मुख्य बिंदु

  • अग्नि-प्राइम का पहला रेल-आधारित सफल परीक्षण

  • श्रेणी: 2,000 किमी, सटीक मार क्षमता

  • रणनीतिक मोबिलिटी: रेल पर तैनाती से कम पता चलना

  • भारत की नाभिकीय निवारक क्षमता में मजबूती

  • परीक्षण डीआरडीओ और SFC ने मिलकर ऑपरेशनल परिस्थितियों में किया

प्रधानमंत्री मोदी बिहार की 75 लाख महिलाओं को 10,000 रुपये ट्रांसफर करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर 2025 को बिहार की 75 लाख महिलाओं के खातों में ₹10,000-₹10,000 स्थानांतरित करेंगे। कुल ₹7,500 करोड़ की यह राशि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत दी जाएगी। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और स्वरोज़गार को बढ़ावा देना है। यह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा राजनीतिक और विकासात्मक कदम माना जा रहा है।

योजना क्या है?

  • बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई, ग्रामीण विकास विभाग और नगर विकास विभाग के सहयोग से लागू।

  • ₹10,000 की प्रारंभिक सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के ज़रिए।

  • छह माह बाद प्रदर्शन समीक्षा के आधार पर योग्य महिलाओं को ₹2 लाख का अनुदान

  • धनराशि से महिलाएँ दर्जी का काम, छोटी दुकानें, कृषि आधारित कार्य या अन्य सूक्ष्म उद्यम शुरू कर सकती हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • लॉन्च तिथि: 26 सितंबर 2025

  • लाभार्थी: 75 लाख महिलाएँ (ग्रामीण व शहरी)

  • पहली किश्त: ₹10,000 (गैर-वापसी योग्य)

  • अगला अनुदान: ₹2 लाख (प्रदर्शन पर आधारित)

  • कार्यान्वयन निकाय:

    • ग्रामीण क्षेत्र – ग्रामीण विकास विभाग

    • शहरी क्षेत्र – नगर विकास विभाग

पात्रता शर्तें

  • आयु: 18–60 वर्ष

  • आयकर दाता नहीं होना चाहिए

  • न्यूक्लियर परिवार से होना

  • जीविका स्व-सहायता समूह (SHG) की सदस्य हो या जुड़ने के लिए तैयार हो

  • विशेष पात्रता: अविवाहित वयस्क महिलाएँ जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं, तथा जीविका समूह की महिलाएँ

क्रियान्वयन रणनीति

  • अब तक 1.11 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए।

  • जिलों, प्रखंडों, क्लस्टर फेडरेशनों और गाँव संगठनों स्तर पर जागरूकता व वितरण कार्यक्रम आयोजित होंगे।

  • योजना को जीविका SHG नेटवर्क से जोड़कर लागू किया जाएगा।

त्वरित झलक

  • ₹10,000 की पहली किस्त – 75 लाख महिलाओं को, 26 सितम्बर 2025

  • कुल राशि: ₹7,500 करोड़ (DBT के ज़रिए)

  • 6 माह बाद ₹2 लाख का अनुदान (प्रदर्शन आधारित)

  • पात्र आयु: 18–60 वर्ष

  • कार्यान्वयन: ग्रामीण एवं शहरी विकास विभाग

  • राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: बिहार चुनाव 2025 से पहले महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल

बैंकिंग तरलता घाटा बढ़कर ₹87,183 करोड़ हुआ

भारतीय बैंकिंग प्रणाली की तरलता स्थिति में तेज गिरावट दर्ज की गई है। 23 सितंबर को तरलता घाटा ₹87,183 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि 22 सितंबर को यह केवल ₹31,987 करोड़ था। मार्च 2025 के अंत से अब तक बैंकिंग प्रणाली अधिशेष में थी, लेकिन हाल के अग्रिम कर (Advance Tax) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) भुगतान ने भारी धनराशि बाहर खींच ली, जिससे अल्पकालिक निधियों की उपलब्धता प्रभावित हुई।

आरबीआई की त्वरित कार्रवाई

  • 24 सितंबर को RBI ने ओवरनाइट वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी आयोजित की, जिसके तहत ₹1.50 लाख करोड़ की पेशकश की गई।

  • बैंकों ने ₹48,980 करोड़ की बोली लगाई, जिसे औसत दर 5.51% पर पूरी तरह स्वीकार कर लिया गया।

  • 25 सितंबर को एक और VRR नीलामी निर्धारित है, जिसमें ₹1.25 लाख करोड़ की तरलता प्रणाली में डाली जाएगी।

तरलता घाटे के कारण

  • अग्रिम कर भुगतान: कंपनियों ने तिमाही कर जमा किए, जिससे बैंकों में जमा घटे।

  • GST भुगतान: व्यवसायों ने टैक्स सरकार को दिए, जिससे तरलता और कम हुई।

  • मौसमी नकदी मांग: त्योहारों और सरकारी व्यय चक्र के कारण नकदी की खपत बढ़ी।

वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव

  • अल्पकालिक उधारी लागत बढ़ सकती है

  • बैंक ऋण वितरण घटा सकते हैं या जमा आकर्षित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं।

  • RBI को स्थिरता बनाए रखने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) और VRR नीलामियाँ जारी रखनी पड़ सकती हैं।

  • यह संकट अस्थायी माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्यतः कर भुगतान कैलेंडर से जुड़ा है।

मुख्य तथ्य

  • तरलता घाटा (23 सितंबर): ₹87,183 करोड़

  • मुख्य कारण: अग्रिम कर और GST भुगतान

  • RBI की कार्रवाई: ₹1.50 लाख करोड़ VRR नीलामी (24 सितंबर)

  • स्वीकृत बोली: ₹48,980 करोड़ (5.51% दर पर)

  • अगली नीलामी: ₹1.25 लाख करोड़ (25 सितंबर को)

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