निकोलस पूरन ने 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया

वेस्टइंडीज के विस्फोटक बाएं हाथ के बल्लेबाज और पूर्व व्हाइट-बॉल कप्तान निकोलस पूरन ने 10 जून 2025 को महज 29 वर्ष की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। पूरन ने अपने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश में कहा कि यह निर्णय उन्होंने “काफी विचार और आत्ममंथन” के बाद लिया है, लेकिन कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया।

रिकॉर्डधारी करियर

T20 अंतरराष्ट्रीय में दबदबा

  • 106 T20I मैच

  • 2275 रन @ औसत 26.14 और स्ट्राइक रेट 136.39

  • वेस्टइंडीज के T20I में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़

ODI करियर भी प्रभावशाली

  • 61 वनडे

  • 1983 रन @ औसत 39.66 और स्ट्राइक रेट 99.15

  • टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने कभी पदार्पण नहीं किया

संन्यास के कारण स्पष्ट नहीं

पूरन ने हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ T20I श्रृंखला से खुद को अलग कर लिया था। इसके अलावा, उन्होंने आईपीएल 2025 में लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए शानदार प्रदर्शन किया था।

उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच दिसंबर 2024 में बांग्लादेश के खिलाफ किंग्स्टाउन में था। उन्होंने 2023 वर्ल्ड कप के लिए विंडीज की क्वालिफिकेशन विफलता के बाद कोई वनडे नहीं खेला, जिससे यह संकेत मिला कि पूरन अब पूरी तरह फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं

फ्रेंचाइज़ी सुपरस्टार: दुनियाभर की लीगों में छाए पूरन

T20 लीगों में निरंतर चमक

  • आईपीएल, सीपीएल, ILT20, MLC, द हंड्रेड

  • 2024 में एक कैलेंडर वर्ष में सर्वाधिक 170 छक्के

  • आईपीएल 2025 में 524 रन, स्ट्राइक रेट 196.25, पांच अर्धशतक

वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए बड़ा नुकसान

T20 वर्ल्ड कप 2026 की तैयारी को झटका
पूरन को 2026 के T20 विश्व कप के लिए वेस्टइंडीज की योजना में एक अनुभवी और आक्रामक बल्लेबाज के रूप में अहम भूमिका निभानी थी। उनका अचानक संन्यास टीम की लीडरशिप, अनुभव और फिनिशिंग ताकत के लिए बड़ा झटका है।

निष्कर्ष

निकोलस पूरन का संन्यास वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए एक युग के अंत जैसा है। उन्होंने सीमित ओवरों में अपनी ताकतवर बल्लेबाजी, कप्तानी और फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट में निरंतर प्रदर्शन से दुनिया को प्रभावित किया।
हालाँकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है, लेकिन उनके छक्कों की गूंज दुनिया भर की T20 लीगों में अभी भी जारी रहेगी।

SBI ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सरकार को 8,076.84 करोड़ रुपये का लाभांश दिया

भारत सरकार के गैर-कर राजस्व को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)—देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक—ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹8,076.84 करोड़ का लाभांश (डिविडेंड) सरकार को प्रदान किया है। यह चेक सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को SBI के चेयरमैन सी. एस. सेटी द्वारा औपचारिक रूप से सौंपा गया। यह समारोह बैंक की मजबूत वित्तीय स्थिति और सरकारी राजकोष में योगदान को दर्शाता है।

लाभांश भुगतान: सरकारी खजाने को मजबूत समर्थन

यह भुगतान SBI के लाभ का वह हिस्सा है जो उसने अपने मुख्य शेयरधारक—भारत सरकार को वितरित किया है। FY24 में यह राशि ₹6,959.29 करोड़ थी, जिससे FY25 का भुगतान लगभग 16% अधिक है।

SBI ने प्रति शेयर ₹15.90 का लाभांश घोषित किया है, जो पिछले वर्ष के ₹13.70 प्रति शेयर से अधिक है—यह निवेशकों के लिए मूल्य निर्माण की बैंक की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

औपचारिक चेक सौंपने का समारोह

इस अवसर पर मौजूद प्रमुख अधिकारी:

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

  • वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजु

  • वित्त सचिव अजय सेठ

यह चेक सौंपने की औपचारिकता एक सार्वजनिक उत्तरदायित्व और पारदर्शिता का प्रतीक है, जो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी बजटीय प्रणाली के बीच साझेदारी को रेखांकित करती है।

SBI का रिकॉर्ड प्रदर्शन: FY25 में अब तक का सबसे ऊंचा शुद्ध लाभ

SBI ने FY2024-25 में ₹70,901 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया, जो FY24 के ₹61,077 करोड़ से 16% अधिक है।
इस अभूतपूर्व लाभ का कारण:

  • ऑपरेशनल दक्षता

  • संपत्ति प्रबंधन

  • डिजिटल, खुदरा और कॉर्पोरेट बैंकिंग में विस्तार

इसी मुनाफे ने बैंक को अधिक लाभांश देने में सक्षम बनाया।

लाभांश: वित्तीय स्थिरता और निवेशकों को भरोसा

बैंक द्वारा बढ़ाया गया लाभांश यह दर्शाता है कि SBI को अपने आय के स्थायित्व और पूंजी की ताकत पर पूरा भरोसा है। यह निवेशकों और बाजार दोनों को एक सकारात्मक संकेत देता है कि SBI एक मजबूत और विकासोन्मुखी संस्थान है।

सरकार की हिस्सेदारी और राजकोषीय महत्व

SBI में सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी होने के कारण, यह लाभांश सरकार की गैर-कर आय के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम करता है। इससे सरकार को:

  • बजटीय लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलती है

  • उधारी को सीमित रखने में सहायता मिलती है

  • नई कर दरें लगाए बिना खर्च का वहन करने की क्षमता मिलती है

FY25 में बुनियादी ढांचे, जनकल्याण और पूंजी निवेश पर सरकार के बढ़े हुए खर्च को देखते हुए, इस तरह के लाभांश बेहद महत्वपूर्ण राजकोषीय समर्थन के रूप में सामने आते हैं।

निष्कर्ष:
SBI का यह रिकॉर्ड लाभांश भुगतान न केवल बैंक की वित्तीय मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम किस प्रकार से भारत सरकार की विकास योजना में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं

होलंबी कलां में 11.4 एकड़ में बनेगा देश का पहला ई-कचरा ईको पार्क

सतत विकास और स्वच्छ शहरी जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, दिल्ली सरकार ने भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) ईको पार्क स्थापित करने की घोषणा की है। यह अत्याधुनिक सुविधा उत्तर दिल्ली के होलम्बी कलां क्षेत्र में बनाई जाएगी और इसे सर्कुलर इकोनॉमी (परिप्रचलन अर्थव्यवस्था) की दिशा में एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।

यह घोषणा सोमवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजीन्दर सिंह सिरसा ने दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (DSIIDC) के अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद की। बैठक के बाद यह भी निर्णय लिया गया कि वैश्विक तकनीकी साझेदारों को आमंत्रित करने के लिए एक ग्लोबल टेंडर (अंतरराष्ट्रीय निविदा) जारी किया जाएगा, जिससे दुनिया की सर्वोत्तम हरित तकनीक दिल्ली में लाई जा सके।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं: हरित नवाचार के लिए वैश्विक दृष्टिकोण

स्थान और दायरा

दिल्ली का ई-वेस्ट ईको पार्क उत्तर दिल्ली के होलम्बी कलां में 11.4 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। यह भारत भर में प्रस्तावित चार ई-वेस्ट पार्कों में से एक है और इसे डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल के तहत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) ढांचे में तैयार किया जाएगा।

प्रसंस्करण क्षमता

यह सुविधा प्रत्येक वर्ष 51,000 टन ई-कचरे को संसाधित करने की क्षमता रखेगी, जो ई-वेस्ट प्रबंधन नियम 2022 में सूचीबद्ध 106 श्रेणियों के कचरे को कवर करेगा। इसमें पुराने कंप्यूटर, मोबाइल फोन, घरेलू उपकरणों से लेकर औद्योगिक गैजेट्स तक शामिल होंगे।

राजस्व सृजन

इस परियोजना से ₹350 करोड़ से अधिक का राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है, जो दिल्ली की हरित अर्थव्यवस्था को बल देगा और भारत के अन्य शहरों के लिए एक दोहरे प्रयोग योग्य मॉडल बनकर उभरेगा।

परिप्रचलन अर्थव्यवस्था का प्रतीक

पर्यावरण मंत्री मंजीन्दर सिंह सिरसा ने कहा कि यह पार्क सिर्फ कचरे को पुनर्चक्रण करने की पहल नहीं है, बल्कि यह दिल्ली को एक सर्कुलर इकोनॉमी में बदलने की दिशा में एक कदम है—जहाँ “कोई संसाधन बर्बाद नहीं होता, और कोई श्रमिक पीछे नहीं छूटता।”

निर्माण समय और ढांचा

ईको पार्क का निर्माण 18 महीनों में पूरा होने की संभावना है। इसकी रूपरेखा में निम्नलिखित सुविधाएँ शामिल होंगी:

  • डिसमैंटलिंग, पुनः उपयोग (refurbishing) और प्लास्टिक पुनर्प्राप्ति के लिए अलग-अलग क्षेत्र

  • सेकेंड-हैंड इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार

  • श्रमिकों के लिए कौशल प्रशिक्षण केंद्र

  • अनौपचारिक पुनर्चक्रण कर्मियों के लिए पुनर्वास अवसंरचना

इससे यह सिर्फ एक पुनर्चक्रण संयंत्र नहीं रहेगा, बल्कि एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बन जाएगा जो भारत के ई-वेस्ट क्षेत्र को आधुनिकीकरण और औपचारिकरण की दिशा में ले जाएगा।

श्रमिक सशक्तिकरण: अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर

ईको पार्क का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य दिल्ली के हजारों अनौपचारिक ई-कचरा कर्मियों को सुरक्षित, संगठित और सरकारी लाभों से युक्त हरी नौकरियों की ओर लाना है।

श्री सिरसा ने बताया कि यह परियोजना 1,000 से अधिक ग्रीन जॉब्स उत्पन्न करेगी और अपस्किलिंग केंद्र के रूप में काम करेगी, जिससे इन श्रमिकों को बेहतर कार्य परिस्थितियाँ मिलेंगी।

राष्ट्रीय महत्व और भविष्य की दिशा

होलम्बी कलां ई-वेस्ट पार्क, भारत के लिए स्मार्ट कचरा प्रबंधन, रोजगार सृजन, और सतत शहरी ढाँचे का राष्ट्रीय उदाहरण बनने जा रहा है। चूँकि भारत अब दुनिया के शीर्ष ई-वेस्ट उत्पादकों में से एक बन गया है, ऐसे पार्कों की तत्काल आवश्यकता है।

यह पहल भारत के जलवायु लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में एक सशक्त संकेत है, जो जिम्मेदार इलेक्ट्रॉनिक्स निपटान, नवाचार और हरित शहरीकरण को बढ़ावा देगा।

मोदी सरकार के 11 वर्षों की सेवा, सुशासन और कल्याण का अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मनाया जश्न

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने मोदी सरकार के नेतृत्व में “11 वर्ष – सेवा, सुशासन और कल्याण” की उपलब्धियों को चिह्नित करते हुए एक विशेष समारोह का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मंत्रालय के मुख्यालय में आयोजित हुआ और भारत के अल्पसंख्यक कल्याण में हुए परिवर्तनकारी सुधारों को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित था।

नेतृत्व और उद्देश्यपूर्ण संकल्प

इस समारोह की अध्यक्षता डॉ. चंद्रशेखर कुमार, सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने की। इसमें मंत्रालय और इसके संबद्ध निकायों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित करना था, बल्कि विकसित भारत @2047 की दिशा में मंत्रालय की प्रतिबद्धता को भी दोहराना था।

11 वर्षों की परिवर्तनकारी यात्रा पर एक दृष्टि

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता

मंत्रालय ने सभी योजनाओं को डिजिटल पोर्टलों के माध्यम से संचालित करना सुनिश्चित किया है। इस कदम से:

  • पारदर्शिता में वृद्धि हुई है

  • लाभार्थियों को त्वरित और रियल-टाइम सेवा उपलब्ध कराई गई है

  • मानव हस्तक्षेप में कमी आई है, जिससे प्रक्रिया निष्पक्ष बनी है

थर्ड-पार्टी समीक्षा और ऑडिट प्रणाली

अब सभी योजनाओं के लिए बाहरी समीक्षा और लेखा परीक्षण अनिवार्य किया गया है। इससे:

  • फंड उपयोग, लक्ष्य प्राप्ति और योजनाओं के प्रभाव की निगरानी बेहतर हुई है

  • सबूत-आधारित शासन (Evidence-Based Governance) को बढ़ावा मिला है

समावेशी नीति निर्माण

नीति निर्माण में राज्यों, हितधारकों और समुदाय प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इससे केंद्र की योजनाएं स्थानीय जरूरतों के अनुरूप अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनी हैं।

महत्वपूर्ण विधायी और तकनीकी उपलब्धियाँ

वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025

  • यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और सशक्तिकरण लाने हेतु पारित किया गया।

  • संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया।

  • इससे समुदाय-स्वामित्व वाली संपत्तियों के कल्याणकारी उपयोग को बल मिलेगा।

“उम्मीद” केंद्रीय पोर्टल का शुभारंभ

  • 6 जून 2025 को लॉन्च किया गया यह पोर्टल अल्पसंख्यकों की विभिन्न योजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाता है।

  • यह सुविधा प्रदान करता है:

    • पात्रता जांच

    • आवेदन सहायता

    • स्थिति की निगरानी

    • प्रतिक्रिया तंत्र

वक्फ अधिनियम के अंतर्गत केंद्रीय नियमों का प्रारूप

  • मंत्रालय केंद्रीय नियमों के मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

  • इनसे एक समान नियामक ढांचा स्थापित होगा, जिससे राज्यों और केंद्र दोनों स्तरों पर बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

2047 तक समावेशी और समतामूलक भारत का संकल्प

कार्यक्रम का समापन एकता और निष्ठा की शपथ के साथ हुआ, जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने यह संकल्प लिया कि वे:

  • ईमानदारी, नवाचार और समावेशिता के साथ कार्य करेंगे

  • 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करेंगे

  • यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी समुदाय पीछे न छूटे

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को उप सेना प्रमुख (रणनीति) नियुक्त किया गया

भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सेना उपप्रमुख (रणनीति)Deputy Chief of Army Staff (Strategy) के पद पर नियुक्त किया गया है। यह पदभार उन्हें सेना की संचालन और खुफिया निदेशालयों की निगरानी का उत्तरदायित्व सौंपता है – जो भारतीय सेना की सबसे रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शाखाओं में से हैं।

अब दोहरी भूमिका में रहेंगे Lt Gen राजीव घई

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ले. जनरल घई वर्तमान में ‘महानिदेशक सैन्य संचालन’ (DGMO) के पद पर कार्यरत हैं, और वे इस नई नियुक्ति के साथ दोनों पदों की जिम्मेदारी एक साथ निभाएंगे। उन्होंने 25 अक्टूबर 2024 को DGMO का कार्यभार संभाला था।

सेना उपप्रमुख (रणनीति) का कार्यक्षेत्र

यह पद भारतीय सेना की संरचनात्मक सुधार योजना के तहत हाल के वर्षों में सृजित किया गया है। इसका उद्देश्य है:

  • रणनीतिक योजना निर्माण को मजबूत करना

  • खतरों का समयपूर्व मूल्यांकन और प्रतिक्रिया

  • संचालन, खुफिया और सूचना युद्ध जैसे घटकों का समन्वित नियंत्रण

इस पद के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख निदेशालय आते हैं:

  • सैन्य संचालन निदेशालय

  • सैन्य खुफिया निदेशालय

  • सूचना युद्ध और रणनीतिक योजना प्रभाग

इसका उद्देश्य है संकट की घड़ी में तेज़ और समन्वित निर्णय लेना, जो भारत की सुरक्षा संरचना को अधिक प्रभावी बनाता है।

चिनार कोर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक: एक रणनीतिक नेतृत्वकर्ता

ले. जनरल घई भारतीय सेना की प्रतिष्ठित कुमाऊं रेजीमेंट से हैं। DGMO बनने से पहले उन्होंने चिनार कोर (15 कोर, श्रीनगर) का नेतृत्व किया और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों की कमान संभाली।

ऑपरेशन सिंदूर – संयमित पराक्रम का उदाहरण:

  • यह अभियान पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचों को निशाना बनाकर किया गया था।

  • न तो एलओसी पार की गई, न ही अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन हुआ।

  • भारतीय वायुसेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक जैसी हवाई कार्रवाई की गई।

  • योजना और संचालन में ले. जनरल घई ने केंद्रीय भूमिका निभाई।

🗣️ उन्होंने एक प्रेस वार्ता में इसे क्रिकेट के अंदाज में समझाते हुए कहा:

“हमने विकेट पर फोकस किया, गेंदबाज़ी सटीक थी, और फील्डिंग तगड़ी – नतीजा स्पष्ट था।”

सम्मानित: उत्तम युद्ध सेवा पदक (UYSM)

4 जून 2025 को रक्षा अलंकरण समारोह (फेज-2) में ले. जनरल घई को “उत्तम युद्ध सेवा पदक” से नवाजा गया।
यह पदक उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक नेतृत्व और रणनीतिक दक्षता के लिए दिया गया।

मणिपुर की यात्रा – सीमा की नब्ज पर नजर

फरवरी 2025 में उन्होंने मणिपुर और भारत-म्यांमार सीमा (IMB) का दौरा किया।
इस दौरे में उन्होंने:

  • सीमा पर तैनात सेना की तैयारियों की समीक्षा की

  • बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रगति देखी

  • राज्य और केंद्र एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया

उन्होंने राज्य के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात की, जिनमें शामिल थे:

  • मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला

  • राज्य सुरक्षा सलाहकार

  • मुख्य सचिव

  • पुलिस महानिदेशक (DGP)

उन्होंने “Whole-of-Government Approach” अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, खासतौर से उग्रवाद, तस्करी और जातीय संघर्ष जैसे मुद्दों के समाधान हेतु।

रणनीतिक दूरदृष्टि और परिचालन नेतृत्व का संगम

ले. जनरल राजीव घई का करियर नीतिगत योगदान, युद्धक्षेत्र का अनुभव और संचालन स्तर की समझ का उत्कृष्ट मेल है।
उनकी यह दोहरी भूमिका
सेना उपप्रमुख (रणनीति)
DGMO
उन्हें लंबी अवधि की रणनीति और तत्काल संचालन, दोनों के केन्द्र में लाती है।

इससे भारतीय सेना को एकीकृत और प्रभावशाली नेतृत्व मिल रहा है, जो वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा खतरों से निपटने में सहायक सिद्ध होगा।

शतरंजः अरविंद चित्रंबरम ने छठा स्टीफन अवग्यान मेमोरियल जीता

भारतीय ग्रैंडमास्टर अरविंद चिथंबरम ने 6वां स्टेपान अवग्यान मेमोरियल शतरंज टूर्नामेंट जीत लिया है, जो जर्मुक, आर्मेनिया में आयोजित हुआ। अरविंद ने 9 राउंड में 6.5 अंक हासिल किए। हालांकि उन्होंने fellow भारतीय ग्रैंडमास्टर आर. प्रज्ञानानंद के साथ अंक बराबर किए, लेकिन टाईब्रेक सिस्टम के आधार पर अरविंद को विजेता घोषित किया गया।

टाईब्रेक सिस्टम क्या है?

इस टूर्नामेंट में विजेता का निर्णय सोनबोर्न-बर्जर (Sonneborn–Berger) प्रणाली से किया गया।
इस प्रणाली में यह देखा जाता है कि खिलाड़ी ने किन-किन प्रतिद्वंद्वियों को हराया और उन प्रतिद्वंद्वियों का प्रदर्शन कितना मजबूत रहा।

चूंकि अरविंद के खिलाफ खेलने वाले खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रज्ञानानंद के विरोधियों से बेहतर था, इसलिए उन्हें बढ़त मिली।

अरविंद चिथंबरम का प्रदर्शन

  • यह टूर्नामेंट 10 खिलाड़ियों के राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में खेला गया।

  • अरविंद पूरे टूर्नामेंट में अजेय रहे –
    4 मैचों में जीत
    5 ड्रॉ

  • अंतिम राउंड में उन्होंने काले मोहरों से खेलते हुए आर्मेनिया के अराम हकोब्यान को हराया।

आर. प्रज्ञानानंद का शानदार खेल

  • प्रज्ञानानंद ने भी बेहतरीन खेल दिखाया और 6.5 अंक प्राप्त किए।

  • अंतिम राउंड में उन्होंने आर्मेनिया के रॉबर्ट होवहाननिस्यान को हराया।

  • हालांकि, टाईब्रेक में थोड़ी कमी रह गई और विजेता अरविंद बने।

2025 – अरविंद के लिए सुनहरा साल

  • इस जीत के साथ, 2025 में अरविंद की दूसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि है।

  • इससे पहले उन्होंने प्राग चेस फेस्टिवल मास्टर्स भी जीता था।

  • मात्र 25 वर्ष की उम्र में चेन्नई के इस ग्रैंडमास्टर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर शानदार फॉर्म दिखाया है।

स्टेपान अवग्यान मेमोरियल टूर्नामेंट के बारे में

  • यह टूर्नामेंट हर साल आयोजित होता है और अब एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा बन चुका है।

  • इसमें दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ी भाग लेते हैं।

  • 2025 संस्करण में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा और रोमांचक मुकाबले देखने को मिले।

निष्कर्ष

अरविंद चिथंबरम की यह जीत न केवल उनकी प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि यह दिखाती है कि भारत के युवा ग्रैंडमास्टर्स अब विश्व शतरंज में दबदबा बना रहे हैं
उनका संयमित और रणनीतिक खेल आने वाले वर्षों में भारत को और भी गौरव दिला सकता है।

एमएस धोनी हुए ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल

क्रिकेट के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया जब महेंद्र सिंह धोनी, भारत के पूर्व कप्तान और अपने युग के सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेटरों में से एक, को ICC हॉल ऑफ फेम में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया। यह सम्मान लंदन में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के साथ, धोनी ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले 11वें भारतीय क्रिकेटर (और 9वें भारतीय पुरुष खिलाड़ी) बन गए हैं। यह सम्मान उन्हें खेल के प्रति उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

शांत स्वभाव, नेतृत्व और गौरव पर आधारित एक करियर

धोनी ने 2004 में भारत के लिए पदार्पण किया और बहुत जल्द ही क्रिकेट जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ दी।
2007 में कप्तानी संभालने के बाद, उन्होंने भारत को ICC की तीनों प्रमुख ट्रॉफियों में ऐतिहासिक जीत दिलाई:

  • 2007 T20 विश्व कप – भारत की पहली T20 विश्व कप जीत

  • 2011 ODI विश्व कप – 28 वर्षों बाद भारत में आयोजित ऐतिहासिक जीत

  • 2013 चैंपियंस ट्रॉफी – धोनी की कप्तानी में भारत अपराजित रहा

वे विश्व क्रिकेट के इकलौते कप्तान हैं जिन्होंने तीनों प्रमुख ICC ट्रॉफियां जीती हैं – यह रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया।

धोनी की उपलब्धियां – आँकड़ों में

ODI:

  • 350 मैच

  • 10,773 रन

  • औसत: 50.57

  • 10 शतक, 73 अर्धशतक

  • दुनिया के सबसे सफल फिनिशरों में से एक

टेस्ट:

  • 90 मैच

  • 4,876 रन

  • औसत: 38.09

  • 6 शतक

  • 294 टेस्ट में और 450+ ODI में विकेटकीपिंग डिसमिसल

धोनी का विकेटकीपिंग कौशल और फुर्ती उन्हें इस भूमिका में सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में शामिल करता है।

अन्य दिग्गजों की नजर में धोनी

  • पूर्व कोच रवि शास्त्री समेत कई दिग्गजों ने धोनी के शांत स्वभाव, दबाव में फैसले लेने की क्षमता, और अद्वितीय नेतृत्व की सराहना की है।
  • उन्होंने कहा कि धोनी की गेम को पढ़ने की कला और साहसी निर्णय लेने की क्षमता उन्हें बाकी कप्तानों से अलग बनाती है।

संन्यास के बाद भी प्रेरणा स्रोत

  • धोनी ने 15 अगस्त 2020 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। उनका अंतिम मैच 2019 विश्व कप का सेमीफाइनल था जिसमें भारत को न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा।
  • हालांकि अंतरराष्ट्रीय करियर से संन्यास लेने के बाद भी, वह आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के साथ सक्रिय हैं – युवा खिलाड़ियों के मार्गदर्शक और टीम की आत्मा के रूप में।

ICC हॉल ऑफ फेम 2025 – सितारों से सजी सूची

2025 में धोनी के साथ छह अन्य महान खिलाड़ी भी ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किए गए:

  1. मैथ्यू हेडन (ऑस्ट्रेलिया)

  2. डेनियल विटोरी (न्यूजीलैंड)

  3. हाशिम अमला (दक्षिण अफ्रीका)

  4. ग्रेम स्मिथ (दक्षिण अफ्रीका)

  5. सना मीर (पाकिस्तान)

  6. सारा टेलर (इंग्लैंड)

अब तक 122 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल हो चुके हैं, जो इस खेल की वैश्विक और कालातीत लोकप्रियता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

महेंद्र सिंह धोनी का ICC हॉल ऑफ फेम में प्रवेश न केवल उनके अद्वितीय करियर का सम्मान है, बल्कि हर भारतीय और क्रिकेट प्रेमी के लिए गर्व का क्षण भी है। यह सम्मान उनकी लीडरशिप, संयम, और योगदान की वैश्विक मान्यता है – जो उन्हें क्रिकेट के इतिहास में अमर बना देती है।

विश्व प्रत्यायन दिवस 2025: इतिहास और महत्व जानें

भारत की गुणवत्ता मानक संस्थाओं की शीर्ष संस्था, भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) ने विश्व प्रत्यायन दिवस 2025 को नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के साथ मनाया। इस वर्ष का विषय था – “प्रत्यायन: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सशक्त बनाना”, जिसका उद्देश्य गुणवत्तापरक नवाचार, समावेशी विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराना था। यह दिवस हर वर्ष 9 जून को मनाया जाता है।

वैश्विक समन्वय में भारत की भूमिका

QCI अपनी प्रमुख इकाइयों –

  • राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) और

  • राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज़ (NABCB)
    के माध्यम से कार्य करता है। ये दोनों संस्थाएं भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग (ILAC) और अंतरराष्ट्रीय प्रत्यायन मंच (IAF) जैसी वैश्विक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व करती हैं।

भारत की गुणवत्ता अवसंरचना को वैश्विक मानकों से जोड़कर, QCI भारतीय उत्पादों और सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति और भरोसे को मजबूत करता है, जिससे भारत वैश्विक गुणवत्ता प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है।

NABL पोर्टल का उन्नत संस्करण लॉन्च

कार्यक्रम में एक अहम पहल रही – नवीनतम NABL पोर्टल का शुभारंभ, जो एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में:

  • प्रत्यायन प्रक्रिया को सरल बनाता है

  • डिजिटल पहुंच को बेहतर करता है

  • प्रयोगशालाओं और MSMEs के लिए अनुपालन को सुगम करता है

  • पारदर्शिता और सेवा में दक्षता को बढ़ावा देता है

यह पोर्टल विशेष रूप से उन MSMEs को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, जो अक्सर जटिल नियामक प्रक्रियाओं में उलझ जाते हैं।

गुणवत्ता समर्पण: एक सार्वजनिक प्रतिबद्धता

कार्यक्रम का एक अन्य प्रमुख आकर्षण रहा – गुणवत्ता समर्पण (Gunvatta Samarpan), जो संगठनों को प्रत्यायित मानकों के प्रति अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता प्रकट करने का अवसर देता है। यह पहल गुणवत्ता के प्रति एक सामाजिक चेतना विकसित करती है और भारतीय उत्पादों और सेवाओं में आम जनता का विश्वास बढ़ाती है।

विषय-वस्तु: MSMEs के लिए अवसर

इस वर्ष का थीम “प्रत्यायन: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को सशक्त बनाना” इस बात पर केंद्रित था कि प्रत्यायन कैसे MSMEs को:

  • प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला सकता है

  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार तक पहुंच दिला सकता है

  • उत्पादों और सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ा सकता है

  • सतत विकास और नेट ज़ीरो लक्ष्यों की ओर उन्मुख कर सकता है

QCI ने इस थीम के ज़रिए यह संदेश दिया कि प्रत्यायन MSMEs के नवाचार, विकास और वैश्वीकरण का आधार बन सकता है।

नेतृत्व की दृष्टि और विषयवस्तु का उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय नेताओं के संदेशों और एक विषयगत वीडियो के साथ हुई, जिसने व्यवसायिक दुनिया में गुणवत्ता, नवाचार और स्थिरता की आवश्यकता को रेखांकित किया।

श्री अमरदीप सिंह भाटिया, आईएएस – सचिव, DPIIT

उन्होंने अपने मुख्य भाषण में कहा कि प्रत्यायन:

  • भारतीय MSMEs को वैश्विक बाज़ार से जोड़ता है

  • आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बल देता है

  • विकसित भारत @2047 की कल्पना को साकार करता है

  • प्रमाणन निकाय भारत की निर्यात क्षमताओं के लिए आवश्यक नींव तैयार करते हैं

श्री जक्षय शाह – अध्यक्ष, QCI

उन्होंने प्रत्यायन को “वैश्विक विश्वास का द्वार” कहा और बताया कि प्रत्यायन:

  • MSMEs को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाता है

  • उत्पादन में त्रुटियों और अस्वीकृति दर को कम करता है

  • उत्पादकता बढ़ाता है

  • नए बाज़ारों और ग्राहकों तक पहुंच बनाता है

तकनीकी सत्र और CEO फोरम

इन सत्रों में उद्योग विशेषज्ञों ने बताया कि प्रत्यायन कैसे:

  • परीक्षण एवं निदान अवसंरचना को सुदृढ़ करता है

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुगमता लाता है

  • प्रमाणित प्रबंधन प्रणालियों और उत्पादों को बढ़ावा देता है

  • तृतीय-पक्ष निरीक्षण को प्रोत्साहित करता है

  • सतत निर्माण कार्यप्रणालियों और नेट ज़ीरो लक्ष्यों को सहयोग देता है

विश्व प्रत्यायन दिवस का वैश्विक महत्व

विश्व प्रत्यायन दिवस, जो हर साल 9 जून को ILAC और IAF के संयुक्त प्रयासों से मनाया जाता है, का उद्देश्य है:

  • गुणवत्ता अवसंरचना को मजबूत करना

  • वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना

  • औद्योगिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना

भारत में QCI द्वारा आयोजित यह समारोह इस बात का प्रमाण है कि प्रत्यायन न केवल गुणवत्ता की कसौटी है, बल्कि MSMEs को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाने का एक प्रभावशाली साधन भी है।

सतपाल भानु LIC के अंतरिम सीईओ और एमडी नियुक्त

भारत सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के वर्तमान प्रबंध निदेशक सत पाल भानू को निगम का अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक (MD) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति पूर्व CEO और MD सिद्धार्थ मोहंती के कार्यकाल की समाप्ति के बाद की गई है। भानू 8 जून 2025 से अगले तीन महीनों तक या जब तक कोई स्थायी उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं हो जाता (जो भी पहले हो), इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह कदम LIC के संचालन में निरंतरता बनाए रखने और शीर्ष स्तर पर प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

समाचार में क्यों?

  • LIC भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है और इसके शीर्ष नेतृत्व में बदलाव पर बाजार और हितधारकों की करीबी नजर रहती है।

  • वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने यह अधिसूचना जारी की, जिससे भानू को पूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दिए गए हैं।

नियुक्ति का कारण

  • पूर्व CEO एवं MD सिद्धार्थ मोहंती का कार्यकाल जून 2025 में समाप्त हुआ।

  • LIC के संचालन में निरंतरता बनाए रखने के लिए अनुभवी नेतृत्व की आवश्यकता थी।

  • सत पाल भानू वर्तमान में LIC के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत थे और एक स्वाभाविक विकल्प माने गए।

सत पाल भानू के बारे में

  • बीमा और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में लंबा अनुभव।

  • LIC के विभिन्न विभागों और रणनीतिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।

  • नेतृत्व परिवर्तन के दौरान संगठन में स्थिरता बनाए रखने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।

कार्यकाल विवरण

  • प्रभावी तिथि: 8 जून 2025

  • कार्यकाल की समाप्ति: 7 सितंबर 2025 तक या स्थायी CEO/MD की नियुक्ति तक

LIC नेतृत्व का महत्व

  • LIC न केवल बीमा क्षेत्र में अग्रणी है, बल्कि पूंजी बाजार में भी एक प्रमुख निवेशक है।

  • नेतृत्व में बदलाव से बाजार की धारणा, निवेशकों का विश्वास और पॉलिसीधारकों की मानसिकता प्रभावित हो सकती है।

  • ऐसे समय में एक अनुभवी अधिकारी का शीर्ष पद पर होना रणनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।

एंडर्स एंटोनसेन, एन से-यंग ने 2025 इंडोनेशिया ओपन में एकल खिताब जीता

2025 इंडोनेशिया ओपन, बैडमिंटन के सबसे प्रतिष्ठित सुपर 1000 टूर्नामेंटों में से एक, का समापन 8 जून को जकार्ता में हुआ। इस प्रतियोगिता में डेनमार्क के एंडर्स एंटोनसेन ने पुरुष एकल और दक्षिण कोरिया की आन से-यॉन्ग ने महिला एकल खिताब अपने नाम किए।

एंटोनसेन ने दो बार उपविजेता रहने के बाद पहली बार इंडोनेशिया ओपन खिताब जीतकर अपने फाइनल्स के “अभिशाप” को तोड़ा। वहीं, विश्व नंबर 1 आन से-यॉन्ग ने शानदार वापसी करते हुए दूसरी बार यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया।

अन्य प्रमुख विजेता:

  • महिला डबल्स: चीन ने अपना दबदबा कायम रखते हुए खिताब जीता।

  • मिक्स्ड डबल्स: फ्रांस ने इतिहास रचते हुए पहली बार किसी सुपर 1000 बैडमिंटन टूर्नामेंट में खिताब जीता।

क्यों चर्चा में?

  • एंडर्स एंटोनसेन ने अपने करियर का सबसे बड़ा खिताब जीतकर वर्षों की मेहनत को मुकाम दिया।

  • विश्व नंबर 1 आन से-यॉन्ग ने महिला एकल में अपनी बादशाहत फिर साबित की।

  • फ्रांस ने पहली बार किसी सुपर 1000 बैडमिंटन खिताब पर कब्जा कर यूरोप में बैडमिंटन संस्कृति के उभार का संकेत दिया।

पुरुष एकल: एंडर्स एंटोनसेन की ऐतिहासिक जीत

  • जीते: ताइवान के चाउ तिएन-चेन को हराकर

  • स्कोर: 22-20, 21-14

  • पहली इंडोनेशिया ओपन जीत; 2019 और 2024 में फाइनल में हार चुके थे

  • जीत के बाद भावुक प्रतिक्रिया: “यह वर्षों की तपस्या का फल है।”

महिला एकल: आन से-यॉन्ग की ज़बरदस्त वापसी

  • जीतीं: चीन की वांग झियी को हराकर

  • स्कोर: 13-21, 21-19, 21-15

  • पहला गेम हारने के बाद शानदार वापसी

  • दूसरी बार इंडोनेशिया ओपन जीता (पहली बार 2021 में)

मिक्स्ड डबल्स: फ्रांस का पहला सुपर 1000 खिताब

  • विजेता: थॉम गिक्वेल और डेल्फ़िन डेलरू (फ्रांस)

  • हराया: थाईलैंड के डेचापोल और सुपिस्सरा को

  • स्कोर: 21-16, 21-18

  • इतिहास रचा: फ्रांस का पहला सुपर 1000 बैडमिंटन खिताब

  • डेलरू का बयान: “फ्रांस में बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाना गर्व की बात है।”

महिला डबल्स: चीन की श्रेष्ठता बरकरार

  • विजेता: लियू शेंगशु और टैन निंग (विश्व नंबर 1)

  • हराया: मलेशिया की थिनाह और पियर्ली टैन को

  • स्कोर: 23-25, 21-12, 21-19

  • चीन की महिला डबल्स में निरंतर श्रेष्ठता दर्शाई

पुरुष डबल्स: मेज़बानों को झटका

  • विजेता: दक्षिण कोरिया के किम वोन-हो और सियो सियुंग-जे

  • हराया: इंडोनेशिया के गुटामा और इस्फहानी को

  • स्कोर: 18-21, 21-19, 21-12

  • इंडोनेशिया को घरेलू मैदान पर खिताब से वंचित होना पड़ा

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