गृहमंत्री शाह ने ‘The Emergency Diaries का किया विमोचन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून 2025 को “द एमरजेंसी डायरीज़” नामक एक नई पुस्तक का विमोचन किया, जो 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक आपातकाल के दौरान एक युवा आरएसएस प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को उजागर करती है, जिसमें उन्होंने तानाशाही के विरुद्ध लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए गए प्रयासों को दर्शाया है। प्रत्यक्ष अनुभवों, संस्मरणों और अभिलेखीय दस्तावेजों पर आधारित यह पुस्तक लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करती है।

क्यों है यह ख़बरों में?

25 जून 2025 को भारत में आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसी अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने “The Emergency Diaries” पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी के विचारात्मक विकास और आपातकाल के दौरान उनके भूमिगत संघर्ष को चित्रित करती है। यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों को लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं की अहमियत समझाने का एक माध्यम है।

पुस्तक के बारे में

  • शीर्षक: द एमरजेंसी डायरीज़

  • विमोचन: अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

  • केंद्रबिंदु: युवा प्रचारक के रूप में नरेंद्र मोदी की भूमिगत गतिविधियाँ और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में योगदान

स्रोत:

  • पीएम मोदी के सहयोगियों के प्रत्यक्ष अनुभव

  • ऐतिहासिक दस्तावेज और अभिलेखीय सामग्री

उद्देश्य और महत्व:

  • तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष करने वालों के बलिदान की स्मृति

  • नई पीढ़ी को 1975–77 के आपातकाल और उस दौरान नागरिक अधिकारों के दमन की जानकारी देना

  • पीएम मोदी के लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारधारा की नींव को रेखांकित करना

  • भारत के सबसे अंधकारमय लोकतांत्रिक काल को प्रत्यक्ष दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना

पृष्ठभूमि – क्या था आपातकाल?

  • घोषणा: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा

  • अवधि: 21 महीने (मार्च 1977 तक)

  • मुख्य विशेषताएँ:

    • नागरिक स्वतंत्रताओं का निलंबन

    • प्रेस पर सेंसरशिप

    • विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी

    • जबरन नसबंदी अभियान और कर्फ्यू

  • आधिकारिक कारण: राष्ट्रीय सुरक्षा, लेकिन व्यापक रूप से इसे सत्ता बचाने का प्रयास माना गया

नेताओं के प्रमुख बयान:

  • अमित शाह:

    • “उस समय भारत एक जेल जैसा था।”

    • “आपातकाल वंशवादी शासन को बचाने के लिए एक तानाशाही शासक द्वारा थोपा गया था।”

    • पत्रकारों की गिरफ्तारी, नेताओं की नजरबंदी और फिल्मों/गीतों पर प्रतिबंध को उजागर किया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:

    • आपातकाल को “सीखने का अनुभव” बताया

    • इसे भारत के लोकतांत्रिक धैर्य की परीक्षा कहा

    • तानाशाही के खिलाफ खड़े होने और उस समय की सर्वदलीय एकता से प्रेरणा लेने की बात कही

यह पुस्तक न केवल अतीत की चेतावनी है, बल्कि भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक भी है कि लोकतंत्र की रक्षा में सतर्कता और नागरिक जागरूकता कितनी आवश्यक है।

2026 से साल में दो बार होगी 10वीं की बोर्ड परीक्षा, सीबीएसई ने दी मंजूरी

छात्रों के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने घोषणा की है कि 2026-27 शैक्षणिक सत्र से कक्षा 10 के छात्र बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार दे सकेंगे। पहली परीक्षा अनिवार्य होगी, जबकि जो छात्र इसमें उत्तीर्ण होंगे, उन्हें तीन तक अकादमिक विषयों में अपने अंक सुधारने का विकल्प दूसरी वैकल्पिक परीक्षा के माध्यम से मिलेगा। यह महत्वपूर्ण बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो परीक्षा प्रणाली को अधिक लचीला, छात्र-केंद्रित और तनाव-मुक्त बनाने पर बल देती है।

सीबीएसई ने 2026 से साल में दो बार कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मानदंडों को मंजूरी दी। यह जानकारी परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने दी है। सीबीएसई कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार आयोजित करेगा। पहला चरण फरवरी में आयोजित किया जाएगा और दूसरा चरण मई में होगा।

क्यों है यह खबरों में?

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026-27 शैक्षणिक सत्र से कक्षा 10 के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की घोषणा की है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य परीक्षा का दबाव कम करना और छात्रों को अधिक लचीलापन देना है।

उद्देश्य

  • छात्रों पर “एक मौका, एक परीक्षा” के भारी दबाव को कम करना।

  • विद्यार्थियों को तीन तक अकादमिक विषयों में अंक सुधार का अवसर देना।

  • मूल्यांकन प्रणाली को छात्र-केंद्रित और लचीला बनाना।

मुख्य विशेषताएं

परीक्षा अनिवार्यता समय उद्देश्य
पहली परीक्षा अनिवार्य फरवरी के मध्य में मूल प्रदर्शन मूल्यांकन
दूसरी परीक्षा वैकल्पिक मई में तीन तक विषयों में सुधार का अवसर
  • दूसरी परीक्षा में वही छात्र बैठ सकते हैं जो पहली परीक्षा में कम से कम 3 विषयों में पास हों।

  • जो छात्र तीन या अधिक विषयों में फेल होते हैं, उन्हें “Essential Repeat” श्रेणी में रखा जाएगा।

  • जो 1–2 विषयों में फेल होते हैं, वे “Compartment” श्रेणी में आकर दूसरी परीक्षा में पुनः उपस्थित हो सकते हैं।

नए नियमों के तहत और बातें

  • छात्रों को विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और दो भाषा विषयों में से कोई तीन विषय दोबारा देने का विकल्प मिलेगा।

  • दोनों परीक्षाओं में से बेहतर अंक अंतिम अंकपत्र में शामिल होंगे।

  • पहली परीक्षा के तुरंत बाद DigiLocker पर परिणाम उपलब्ध होंगे, जिससे कक्षा 11 में प्रवेश आसान होगा।

  • Compartment छात्रों को भी प्रवेश अस्थायी रूप से दिया जाएगा, जो दूसरी परीक्षा के परिणाम आने पर पक्का किया जाएगा।

विशेष प्रावधान

  • खेल कोटे के छात्र जिनकी परीक्षा और स्पर्धाएं एक साथ हों, वे दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।

  • बर्फबारी प्रभावित क्षेत्र (जैसे लद्दाख) के छात्रों को दोनों सत्रों में से कोई चुनने का विकल्प होगा।

  • जो छात्र किसी विषय को बदलकर नया विषय लेना चाहते हैं, वे दूसरी परीक्षा में उस विषय को दे सकते हैं ताकि आगे की पढ़ाई में पात्र बने रहें।

कंपार्टमेंट परीक्षा की समय-सारणी में बदलाव

  • अब पहली कंपार्टमेंट परीक्षा, दूसरी परीक्षा (सुधार परीक्षा) के साथ जून में होगी (पहले जुलाई में होती थी)।

  • दूसरी और तीसरी कंपार्टमेंट परीक्षा अगले वर्ष की मुख्य और सुधार परीक्षा के साथ समायोजित की जाएंगी।

पृष्ठभूमि

  • 2019 से CBSE ने सुधार परीक्षा की अनुमति दी थी लेकिन दो विषयों (व्यावसायिक विषय सहित) में ही।

  • नया नियम तीन अकादमिक विषयों में सुधार का विकल्प देता है, जो कुल पाठ्यभार का 60% कवर करता है।

RBI ने कॉल मनी, रेपो और TREP खंडों के लिए ट्रेडिंग समय में संशोधन किया

बाजार में तरलता और परिचालन लचीलेपन को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घोषणा की है कि 1 जुलाई 2025 से कॉल मनी मार्केट का समय दो घंटे बढ़ाकर शाम 7 बजे तक कर दिया जाएगा। आरबीआई ने एक विशेषज्ञ कार्य समूह की सिफारिशों के आधार पर वित्तीय बाजार के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अपनी व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में 1 अगस्त 2025 से बाजार रेपो और ट्राई-पार्टी रेपो (टीआरईपी) खंडों के लिए कारोबारी घंटे बढ़ाने का भी फैसला किया है।

क्यों है यह खबरों में?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 25 जून 2025 को एक अहम घोषणा में बताया कि कॉल मनी मार्केट की ट्रेडिंग टाइमिंग अब दो घंटे बढ़ाकर शाम 7 बजे तक की जाएगी। यह बदलाव 1 जुलाई 2025 से लागू होगा। इसके अलावा, मार्केट रेपो और ट्राई-पार्टी रेपो (TREP) के समय को भी 1 अगस्त 2025 से बढ़ाया जाएगा। यह निर्णय राधा श्याम राठौ की अध्यक्षता वाली कार्यसमूह की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है।

कॉल मनी मार्केट क्या है?

  • यह एक बिना जमानत (uncollateralised) वाला बाजार है।

  • इसमें बैंक और स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (SPDs) एक रात के लिए उधार लेते और देते हैं।

  • यह शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए बेहद जरूरी होता है।

संशोधित समय-सारणी

बाजार का नाम वर्तमान समय नया समय लागू तिथि
कॉल मनी मार्केट सुबह 9:00 से शाम 5:00 सुबह 9:00 से शाम 7:00 1 जुलाई 2025
मार्केट रेपो सुबह 9:00 से दोपहर 2:30 सुबह 9:00 से शाम 4:00 1 अगस्त 2025
ट्राई-पार्टी रेपो (TREP) सुबह 9:00 से दोपहर 3:00 सुबह 9:00 से शाम 4:00 1 अगस्त 2025
  • ऑपरेशनल लचीलापन (flexibility) बढ़ाना

  • तरलता समायोजन सुविधा (LAF) में सुधार

  • वैश्विक मानकों के अनुरूप ट्रेडिंग समय लाना

  • बैंकों और डीलरों को बेहतर जोखिम प्रबंधन और ट्रेडिंग सुविधा देना

किस पर होगा लागू?

  • कॉल मनी मार्केट (बिना जमानत)

  • मार्केट रेपो और TREP (जमानत आधारित)

यह बदलाव इन बाजारों पर लागू नहीं होगा:

  • सरकारी प्रतिभूतियां

  • विदेशी मुद्रा बाजार

  • ब्याज दर डेरिवेटिव्स

पृष्ठभूमि

  • RBI ने राधा श्याम राठौ की अध्यक्षता में एक कार्यसमूह बनाया था।

  • इस समूह ने बाजार सहभागियों से सुझाव लेकर रिपोर्ट तैयार की।

  • उसी के आधार पर यह समय विस्तार का निर्णय लिया गया।

निष्कर्ष:
यह कदम भारत के वित्तीय बाजारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और अधिक प्रतिक्रियाशील बनाएगा। इससे तरलता प्रबंधन, बाजार की गहराई, और बैंकों की कार्यकुशलता में सुधार होने की उम्मीद है।

भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग वैली जनवरी 2026 तक अमरावती में होगी लॉन्च

भारत में क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल के तहत, आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में देश की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग वैली की स्थापना जनवरी 2026 तक की जाएगी। इसकी घोषणा आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग (ITE&C) के सचिव कटमनेनी भास्कर ने 25 जून 2025 को विजयवाड़ा में आयोजित एक उच्चस्तरीय कार्यशाला के दौरान की।

यह वैली राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission – NQM) के उद्देश्यों के अनुरूप राष्ट्रीय नवाचार केंद्र (innovation hub) के रूप में कार्य करेगी, जो हेल्थकेयर से लेकर एग्री-टेक तक कई क्षेत्रों में क्वांटम कंप्यूटिंग की शक्ति को समाज और उद्योग के लाभ के लिए उपयोग में लाने का कार्य करेगी।

क्यों है खबरों में?

यह घोषणा 25 जून 2025 को विजयवाड़ा में ‘अमरावती क्वांटम वैली’ कार्यशाला के दौरान की गई। इस अवसर पर क्वांटम क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञ मौजूद थे:

  • अनिल प्रभाकर – राष्ट्रीय क्वांटम मिशन सदस्य

  • अमित सिंघी – IBM रिसर्च इंडिया निदेशक

  • ए. विजय राव – LTIMindtree प्रिंसिपल डायरेक्टर

उद्देश्य और लक्ष्य

  • जनवरी 2026 तक भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग वैली की स्थापना

  • अनुसंधान, नवाचार, स्टार्टअप और औद्योगिक समाधान को बढ़ावा देना

  • शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों और सरकारी निकायों के लिए राष्ट्रीय क्वांटम अवसंरचना हब बनाना

मुख्य विशेषताएं

  • अमरावती क्वांटम वैली टेक पार्क बनेगा नवाचार और रोजगार का केंद्र

  • युवाओं को क्वांटम स्किल्स में प्रशिक्षित किया जाएगा — रतन टाटा इनोवेशन हब की साझेदारी से

  • पारंपरिक कंप्यूटिंग को प्रतिस्थापित नहीं करेगा, बल्कि जटिल समस्याओं के हल में सहायक तकनीक होगी

रणनीतिक साझेदार

  • IBM अमरावती में लॉजिकल क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर स्थापित करेगा

  • LTIMindtree, TCS, और IBM मिलकर लॉजिस्टिक्स, वित्त, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में व्यावसायिक उपयोग विकसित करेंगे

  • अनिल प्रभाकर ने बताया कि क्वांटम का उपयोग दवाओं की खोज, ईवी बैटरी अनुकूलन और इमेज क्लासिफिकेशन जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा

क्वांटम कंप्यूटिंग के संभावित उपयोग

  • फार्मास्यूटिकल अनुसंधान

  • इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी अनुकूलन

  • रूट प्लानिंग और लॉजिस्टिक्स

  • क्वांटम क्रिप्टोग्राफी आधारित सुरक्षा

  • जलवायु मॉडलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

क्वांटम सुरक्षा

केंद्र सरकार QNu Project के तहत Quantum Secure Communication Network विकसित कर रही है ताकि पासवर्ड सुरक्षा और सुरक्षित डेटा साझा करने में क्वांटम एन्क्रिप्शन का उपयोग हो सके।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के साथ तालमेल

अमरावती परियोजना निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करेगी:

  • क्वांटम अवसंरचना का विकास

  • देश की कंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ाना

  • प्रतिभा निर्माण और वैश्विक साझेदारियों को प्रोत्साहन देना

निष्कर्ष:
अमरावती में बनने जा रही यह क्वांटम कंप्यूटिंग वैली भारत को क्वांटम तकनीक की दुनिया में अग्रणी देशों की श्रेणी में लाने का माध्यम बनेगी। इससे देश के युवाओं को भविष्य की तकनीकों में दक्ष बनाया जाएगा और उभरते हुए उद्योगों को नवाचार आधारित समाधान मिलेंगे।

क्रेडिट कार्ड खर्च में लगातार तीसरे महीने उछाल, मई में ₹1.89 लाख करोड़ के पार

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में भारत में क्रेडिट कार्ड खर्च ₹1.89 लाख करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.5% अधिक है। इस वृद्धि के पीछे लगभग 7.6 लाख नए क्रेडिट कार्डों का निर्गम मुख्य कारण रहा।

मुख्य बिंदु:

  • कुल खर्च: ₹1.89 लाख करोड़
    (महीना-दर-महीना: 2.7% वृद्धि, वर्ष-दर-वर्ष: 14.5% वृद्धि)

  • नए क्रेडिट कार्ड जारी: 7.6 लाख (मई 2025 में)

  • कुल कार्ड सर्कुलेशन: 11.11 करोड़ (YoY: 7.64% वृद्धि)

  • पीक खर्च: मार्च 2025 में ₹2 लाख करोड़ से अधिक

बैंकवार प्रदर्शन

HDFC बैंक

  • खर्च: ₹51,747 करोड़ (↑25% YoY)

  • नए कार्ड: 2,74,819

ICICI बैंक

  • खर्च: ₹34,515 करोड़ (↑8% YoY)

  • कार्डों में कमी: 31,645

SBI कार्ड्स

  • खर्च: ₹32,389 करोड़ (↑22.8% YoY)

  • नए कार्ड: 1,26,772

Axis बैंक

  • खर्च: ₹22,455 करोड़ (↑16.79% YoY)

  • नए कार्ड: 1,05,590

इस वृद्धि का महत्व

  • डिजिटल भुगतान को बढ़ावा: नकदी पर निर्भरता घटाना

  • वित्तीय समावेशन: अधिक लोगों तक औपचारिक क्रेडिट की पहुँच

  • उपभोक्ता सुविधा: कैशलेस और क्रेडिट आधारित खरीदारी में सुविधा

  • आर्थिक गतिविधियों का संकेत: मजबूत मांग और डिजिटल लेनदेन का विस्तार

निष्कर्ष:
मई 2025 में भारत का क्रेडिट कार्ड खर्च बढ़ना उपभोक्ता आत्मविश्वास, डिजिटल अर्थव्यवस्था की प्रगति, और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यह रुझान भविष्य में और अधिक डिजिटल और कैशलेस भारत की ओर संकेत करता है।

चीन में दो नए चमगादड़ वायरस की पहचान, इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता का खतरा

चीन के युन्नान प्रांत में वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों की किडनी में दो नए हेनिपा वायरस की पहचान की है, जो इंसानों में जानलेवा निपाह और हेंड्रा वायरस जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं। ये वायरस मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफेलाइटिस) और गंभीर श्वसन संक्रमण का कारण बन सकते हैं। चूंकि ये वायरस किडनी में पाए गए हैं – जो मूत्र उत्पादन का अंग है – विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चमगादड़ों के मूत्र से दूषित फल या पानी के माध्यम से ये इंसानों तक पहुंच सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चमगादड़ इंसानों के निवास के पास रहते हैं।

समाचार में क्यों?

एक वैज्ञानिक टीम ने 2017 से 2021 के बीच युन्नान प्रांत में 142 चमगादड़ों पर अध्ययन किया। इनमें से 22 अलग-अलग वायरस पाए गए, जिनमें से दो वायरस निपाह और हेंड्रा से बेहद मिलते-जुलते हैं। यह खोज COVID-19 महामारी के बाद बढ़ती ज़ूनोटिक (पशुजन्य) बीमारियों पर वैज्ञानिक ध्यान के बीच सामने आई है।

पृष्ठभूमि और खोज का तरीका

  • स्थान: युन्नान, चीन

  • समय: 2017–2021

  • नमूने: 142 चमगादड़ों की किडनी

  • तकनीक: जीन अनुक्रमण (genetic sequencing)

वैज्ञानिकों ने दो नए हेनिपा वायरस की पहचान की, जिन्हें नाम दिया गया:

  1. युन्नान बैट हेनिपावायरस 1

  2. युन्नान बैट हेनिपावायरस 2

मुख्य निष्कर्ष

  • ये वायरस निपाह और हेंड्रा से आनुवंशिक रूप से मिलते हैं।

  • चमगादड़ों की किडनी में पाए जाने के कारण मूत्र से फैलने की संभावना है।

  • दूषित फल और पानी के माध्यम से इंसानों में संक्रमण का खतरा।

  • ये वायरस पैदा कर सकते हैं:

    • एन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन)

    • गंभीर श्वसन रोग

यह पहली बार है जब चीन के चमगादड़ों में ऐसे हेनिपा वायरस के पूर्ण जीनोम पाए गए हैं।

विशेषज्ञ की राय

प्रोफेसर विनोद बालासुब्रमण्यम, आणविक विषाणुविज्ञानी:

  • इस खोज को “चिंताजनक” बताया।

  • दूषित खाद्य या जल के जरिए मानव संक्रमण की आशंका जताई।

  • महामारी से बचने के लिए सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया।

महत्व और वैश्विक संदेश

यह खोज दर्शाती है कि:

  • समय रहते पहचान करना किसी भी महामारी को रोकने के लिए बेहद जरूरी है।

  • हमें ज़रूरत है:

    • वैश्विक पैथोजन निगरानी की

    • ज़ूनोटिक बीमारियों की सतत निगरानी की

    • सुदृढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की

यह खोज फिर से याद दिलाती है कि वन्य जीवन, कृषि और मानव स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

‘विद्या शक्ति’: धीमी गति से सीखने वालों को सशक्त बनाने के लिए आंध्र प्रदेश का डिजिटल प्रयास

आंध्र प्रदेश ने 25 जून, 2025 को शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए ‘विद्या शक्ति’ की शुरुआत की, जो सरकारी स्कूलों में धीमी गति से सीखने वाले छात्रों पर केंद्रित एक सुधारात्मक शिक्षण पहल है। शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार, ड्रॉपआउट दरों को कम करने और नामांकन बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया यह कार्यक्रम समावेशी शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।

‘विद्या शक्ति’ क्या है?

विद्या शक्ति‘ आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया एक ऑनलाइन रिमेडियल (पुनःअध्ययन) शिक्षा कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे मुख्य विषयों में धीमे सीखने वाले छात्रों को मदद देना है।
इस पहल का मकसद है:

  • शैक्षणिक प्रदर्शन सुधारना

  • ड्रॉपआउट दर घटाना

  • नामांकन दर (GER) बढ़ाना

कहाँ और कैसे लागू किया जा रहा है?

विद्यालय शिक्षा निदेशक वी. विजय रामाराजु के अनुसार, ‘विद्या शक्ति’ कार्यक्रम फिलहाल इन संस्थानों में लागू किया गया है:

  • 4,424 जिला परिषद, सरकारी और नगर पालिका स्कूलों में

  • 576 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (KGBVs) में

  • आंध्र प्रदेश आवासीय और मॉडल स्कूलों में

कक्षाएं नियमित स्कूल समय के बाद चलेंगी, और शिक्षकों को 5-दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे इस रिमेडियल टीचिंग को प्रभावी ढंग से चला सकें।

कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य

  • मुख्य विषयों में सीखने के परिणाम बेहतर बनाना

  • संघर्षरत छात्रों के लिए ड्रॉपआउट को रोकना

  • राज्यभर में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (GER) को बढ़ाना

  • दसवीं कक्षा के छात्रों को विषय-वार शेड्यूल और मेंटरिंग देना

  • तेज छात्रों की पहचान कर उन्हें और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना

प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी: कार्यक्रम की रीढ़

इस पहल में IIT-मद्रास प्रवर्तक इनोवेशन हब के सहयोग से शिक्षकों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
शुभारंभ समारोह अमरावती में हुआ, जिसमें शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्रमुखों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि शामिल थे:

  • वी.एन. मस्तानय्या – सचिव, आंध्र प्रदेश आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसाइटी (APREIS)

  • के.वी. श्रीनिवासुलु रेड्डी – निदेशक, सरकारी परीक्षा विभाग

  • एम.वी. कृष्णा रेड्डी – निदेशक, AP SCERT

संरचित अध्ययन + व्यक्तिगत देखभाल

  • प्रत्येक छात्र को एक निर्धारित समय-सारणी के तहत पढ़ाया जाएगा

  • शिक्षक व्यक्तिगत रूप से छात्रों के सीखने की कमी को पहचानकर मदद करेंगे

  • शिक्षकों से यह अपेक्षा की गई है कि वे हर छात्र को अपना मानें – एक विचार जिसे श्री रामाराजु ने अपने संबोधन में विशेष रूप से रेखांकित किया

प्रभाव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण

‘विद्या शक्ति’ का उद्देश्य छात्रों को:

  • आत्मविश्वास देना

  • बुनियादी समझ मजबूत करना

  • स्वतंत्र रूप से सीखने की क्षमता विकसित करना है

यह पहल सरकारी स्कूलों में “सीखना पहले” संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक दृढ़ कदम है।

IAEA और रोमानिया ने ConvEx-3 (2025) का आयोजन किया

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), रोमानिया के साथ साझेदारी में, ConvEx-3 नामक अब तक का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु आपातकालीन अभ्यास आयोजित कर रही है। 36 घंटे का यह अभ्यास रोमानिया की एकमात्र परमाणु ऊर्जा सुविधा, सेर्नवोडा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में एक गंभीर परमाणु दुर्घटना का अनुकरण करता है। इसका उद्देश्य सरल लेकिन महत्वपूर्ण है – रेडियोलॉजिकल आपदा की स्थिति में वैश्विक आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं का आकलन करना।

ConvEx-3 क्या है?

24 जून 2025 से, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने रोमानिया के सहयोग से अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय परमाणु आपातकालीन अभ्यास ConvEx-3 शुरू किया है। यह 36 घंटे लंबा अभ्यास रोमानिया के Cernavodă न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक गंभीर परमाणु दुर्घटना का परिदृश्य तैयार करता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं की परीक्षा और सुधार करना है।

ConvEx-3 का उद्देश्य: वैश्विक परमाणु तैयारी को सशक्त बनाना

इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि देशों की आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियाँ किसी भी परमाणु या विकिरण आपदा से निपटने के लिए तत्पर, समन्वित और प्रभावी हों — खासकर जब उसका असर सीमाओं से परे हो।

प्रमुख बिंदु:

  • वास्तविक समय में निर्णय लेना

  • आपातकालीन संवाद और सूचना का आदान-प्रदान

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय

ऐतिहासिक महत्व: 20 साल बाद फिर मेज़बान बना रोमानिया

2005 के बाद पहली बार, रोमानिया ने ConvEx-3 अभ्यास की मेज़बानी की है। यह कदम रोमानिया की परमाणु सुरक्षा प्रतिबद्धता और वैश्विक सहयोग का संकेत है।
Cernavodă न्यूक्लियर पावर प्लांट, जो कि रोमानिया का एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, इस अभ्यास का केंद्र बिंदु है।

प्रतिभागी देश और संगठन: एक वैश्विक प्रयास

ConvEx-3 (2025) में भाग ले रहे हैं:

  • 75 से अधिक देश

  • 10 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन, जैसे:

    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

    • इंटरपोल (INTERPOL)

    • संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियाँ

    • IAEA का इमरजेंसी सेंटर (IEC)

प्रत्येक देश ने अपने राष्ट्रीय आपातकालीन केंद्र सक्रिय किए हैं, जो निम्नलिखित वैश्विक प्रणालियों से जुड़कर काम करते हैं:

  • USIE: यूनिफाइड सिस्टम फॉर इंफॉर्मेशन एक्सचेंज

  • IRMIS: इंटरनेशनल रेडिएशन मॉनिटरिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम

आपातकालीन परिदृश्य: यथार्थ के करीब अभ्यास

36 घंटे के अभ्यास में शामिल हैं:

  • प्रभावित लोगों का बचाव और निकासी

  • आयोडीन टैबलेट का वितरण

  • सार्वजनिक सूचना अभियान

  • खाद्य व व्यापार पर रेडिएशन आधारित प्रतिबंधों की समीक्षा

ये कार्य असली परमाणु आपदाओं की चरणबद्ध जटिलताओं की सटीक नकल करते हैं।

कानूनी और रणनीतिक आधार

ConvEx-3 का आयोजन दो अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अंतर्गत होता है:

  1. अर्ली नोटिफिकेशन कन्वेंशन – परमाणु दुर्घटनाओं की शीघ्र जानकारी साझा करने के लिए

  2. असिस्टेंस कन्वेंशन – अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने का ढाँचा

ConvEx अभ्यास तीन स्तरों में होता है:

  • ConvEx-1: आंतरिक परीक्षण

  • ConvEx-2: द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समन्वय

  • ConvEx-3: पूर्ण पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय अभ्यास (सबसे जटिल)

IACRNE की भूमिका: बहु-एजेंसी सहयोग

Inter-Agency Committee on Radiological and Nuclear Emergencies (IACRNE) इन एजेंसियों का समन्वय करता है:

  • विश्व मौसम संगठन (WMO)

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)

  • WHO

  • INTERPOL

इससे सुनिश्चित होता है कि अभ्यास का स्वरूप बहु-क्षेत्रीय और वास्तविक हो, जिसमें स्वास्थ्य, कानून, पर्यावरण और व्यापार जैसे क्षेत्रों की भूमिका शामिल हो।

महत्व: वैश्विक एकजुटता का संदेश

ConvEx-3 (2025) यह स्पष्ट करता है कि:

  • परमाणु सुरक्षा केवल एक देश की ज़िम्मेदारी नहीं

  • परमाणु दुर्घटनाएँ सीमाओं में नहीं बँधतीं

  • इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, पारदर्शिता और तत्परता अनिवार्य है

IAEA और उसके साझेदारों का यह प्रयास एक बेहतर, सुरक्षित और तत्पर वैश्विक भविष्य के लिए प्रतिबद्धता का परिचायक है।

 

नीरज चोपड़ा ने 85.29 मीटर थ्रो के साथ ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक 2025 जेवलिन थ्रो खिताब जीता

भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को गोल्डन स्पाइक मीट में पहली बार खेलते हुए खिताब जीता। प्रतिस्पद्र्धा में नौ खिलाड़ियों के बीच नीरज ने सर्वाधिक 85.29 मीटर का विजयी थ्रो किया। पेरिस डायमंड लीग जीतने के चार दिन बाद नीरज की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दूसरी जीत रही। मीट में दक्षिण अफ्रीका के डौव स्मिट ने 84.12 मीटर के साथ दूसरा और ग्रेनेडा के दो बार के विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स ने 83.63 मीटर के तीसरा स्थान हासिल किया। चोपड़ा मीट के दूसरे राउंड के अंत में तीसरे स्थान पर थे, लेकिन तीसरे राउंड में 85.29 मीटर के थ्रो के साथ वह शीर्ष पर पहुंच गए। उन्होंने अपने अगले दो प्रयासों में 82.17 मीटर और 81.01 मीटर के थ्रो किए और अंतिम प्रयास में फाउल किया। रियो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता जर्मनी के थामस रोहले 79.18 मीटर के खराब थ्रो के साथ यहां सातवें स्थान पर रहे।

नीरज चोपड़ा की थ्रो श्रृंखला

क्रम थ्रो (मीटर में)
1 फाउल (X)
2 83.45 मीटर
3 85.29 मीटर (सर्वश्रेष्ठ)
4 82.17 मीटर
5 81.01 मीटर
6 फाउल (X)

उनकी तीसरी थ्रो ही प्रतियोगिता की विजयी थ्रो साबित हुई।

मुख्य प्रतियोगी और अंतिम रैंकिंग

रैंक खिलाड़ी देश सर्वश्रेष्ठ थ्रो
1 नीरज चोपड़ा 🇮🇳 भारत 85.29 मीटर
2 डौव स्मिट 🇿🇦 दक्षिण अफ्रीका 84.12 मीटर
3 एंडरसन पीटर्स 🇬🇩 ग्रेनेडा 83.63 मीटर
4 टोनी केरानेन 🇫🇮 फिनलैंड 82.26 मीटर
5 मार्टिन कोनेचनी 🇨🇿 चेक गणराज्य 80.59 मीटर
6 मार्क एंथनी मिनिचेल्लो 🇺🇸 अमेरिका 80.15 मीटर

किसी भी खिलाड़ी की थ्रो नीरज की थ्रो से बेहतर नहीं रही, जिससे उनकी तकनीकी श्रेष्ठता और मानसिक मजबूती एक बार फिर साबित हुई।

2025 सीज़न में नीरज की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • पेरिस डायमंड लीग विजेता – जून 2025

  • ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक चैंपियन – 25 जून 2025

  • लगातार 85+ मीटर की थ्रो कर रहे हैं

  • विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 और एशियन गेम्स के लिए प्रमुख दावेदार

नीरज का यह आयोजन क्यों था खास?

ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक नीरज के लिए भावनात्मक रूप से भी खास है क्योंकि इस प्रतियोगिता के डायरेक्टर और आयोजक खुद महान भाला फेंक खिलाड़ी “जान ज़ेलेज़्नी” हैं, जो नीरज के निजी कोच भी हैं। इस मंच पर जीतना, उनके करियर में एक और प्रेरक अध्याय जोड़ता है।

 

नासा के एयर-स्पेस प्रोग्राम को पूरा करने वाली पहली भारतीय बनीं डांगेटी जाह्नवी

पश्चिम गोदावरी (आंध्र प्रदेश) के पालकोल्लु की रहने वाली डांगेटी जाह्नवी ने भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर लिया है। वे नासा के प्रतिष्ठित “इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम” को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। यह उपलब्धि भारत की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अभियानों में भागीदारी और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक है।

अंतरिक्ष विज्ञान में महिलाओं का नेतृत्व

जाह्नवी की यह सफलता STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का भी प्रतीक है। नासा के कड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम में उनकी सफलता भारत की प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए नए रास्ते खोलती है।

ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन चयन

जाह्नवी को “टाइटन ऑर्बिटल पोर्ट स्पेस स्टेशन” पर भेजे जाने के लिए चुना गया है, जो अमेरिका द्वारा बनाया जा रहा एक नवीनतम व्यावसायिक अंतरिक्ष स्टेशन है और अगले चार वर्षों में शुरू होने की संभावना है। उनका यह 2029 का मिशन उन्हें ऐसे पहले भारतीयों में शामिल करेगा जो किसी व्यावसायिक स्पेस स्टेशन के संचालन में भाग लेंगे। यह भारत की वैश्विक अंतरिक्ष साझेदारी में महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत है।

शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि

जाह्नवी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से पूरी की। इससे पहले उन्होंने पालकोल्लु में इंटरमीडिएट स्तर की शिक्षा प्राप्त की।

उनके माता-पिता श्रीनिवास और पद्मश्री वर्तमान में कुवैत में कार्यरत हैं और वहां से अपनी बेटी के सपनों में सहयोग कर रहे हैं। यह परिवारिक समर्थन वैश्विक करियर की सच्चाई और बलिदान को दर्शाता है।

STEM शिक्षा में नेतृत्व और आउटरीच

निजी उपलब्धियों से परे जाह्नवी एक प्रेरक STEM शिक्षा कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने ISRO के शैक्षिक कार्यक्रमों में भाषण दिए और देशभर में छात्रों को प्रेरित किया है। वे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (NITs) में भी युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मार्गदर्शन देती हैं।

प्रशिक्षण और वैज्ञानिक मिशनों में भागीदारी

उनका अंतरिक्ष प्रशिक्षण अत्यधिक विविध और कठोर है। वे एनालॉग मिशनों में भाग लेती हैं जो पृथ्वी पर अंतरिक्ष जैसी परिस्थितियों का अनुकरण करते हैं।

वह डीप सी डाइविंग (गहरे समुद्र में गोताखोरी) करती हैं, जो चरम परिस्थितियों और जीवन समर्थन प्रणालियों को समझने में मदद करती है — ये कौशल अंतरिक्ष में बेहद उपयोगी होते हैं।

इसके अतिरिक्त, वे ग्रह विज्ञान और दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा की स्थिरता से संबंधित वैश्विक सम्मेलनों में भाग लेती हैं और दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिकों से संवाद करती हैं।

वैज्ञानिक योगदान और खोज

जाह्नवी ने International Astronomical Search Collaboration (IASC) के साथ काम करते हुए Pan-STARRS टेलीस्कोप डाटा के आधार पर एक क्षुद्रग्रह की खोज की। यह खोज उनके वैज्ञानिक विश्लेषण कौशल और शोध-समर्पण को दर्शाती है।

अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण और मान्यता

जाह्नवी को Space Iceland के जियोलॉजिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया, जिसमें उन्होंने ज्वालामुखीय और ग्रह-समरूप भू-प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। वे इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली सबसे युवा विदेशी एनालॉग अंतरिक्ष यात्री और पहली भारतीय हैं।

सम्मान और पुरस्कार

जाह्नवी को उनके कार्यों के लिए कई सम्मान मिले हैं:

  • नासा स्पेस ऐप्स चैलेंज में पीपल्स चॉइस अवॉर्ड

  • इसरो के विश्व अंतरिक्ष सप्ताह समारोह में यंग अचीवर्स अवॉर्ड

ये पुरस्कार उनकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक समझ और जनप्रियता को दर्शाते हैं। वे आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत और रोल मॉडल बन चुकी हैं।

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