बिहार में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण

महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन करते हुए, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सरकारी नौकरियों में बिहार की मूल निवासी महिलाओं के लिए 35% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय 8 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। इस फैसले का उद्देश्य महिलाओं की सरकारी सेवाओं में भागीदारी बढ़ाना और उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक रूप से अधिक सशक्त बनाना है।

महिलाओं के आरक्षण में अधिवास नीति लागू

पहले सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए उपलब्ध 35% क्षैतिज आरक्षण सभी राज्यों की महिला उम्मीदवारों के लिए खुला था, चाहे वे बिहार की निवासी हों या नहीं। लेकिन नए निर्णय के तहत अब यह आरक्षण केवल बिहार की अधिवासी (डोमिसाइल) महिलाओं के लिए ही मान्य होगा। इसका मतलब है कि राज्य सरकार की सभी कैडर की सीधी भर्ती में केवल बिहार की निवासी महिलाएं ही इस 35% आरक्षण का लाभ उठा सकेंगी।

इस फैसले को सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के प्रस्ताव के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया है। यह हाल के वर्षों में महिलाओं के आरक्षण में अधिवास आधारित नीति को लागू करने वाला बिहार राज्य का पहला प्रयास है।

अन्य राज्यों की महिलाएं अब सामान्य श्रेणी में मानी जाएंगी

कैबिनेट सचिवालय विभाग के सचिव एस. सिद्धार्थ के अनुसार, अब बिहार के बाहर की महिला अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के रूप में गिना जाएगा। ऐसे में वे सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए दिए जा रहे 35% आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगी। इस बदलाव का उद्देश्य बिहार की स्थानीय महिलाओं को राज्य स्तरीय रोजगार में प्राथमिकता देना है, जिससे वे शासन और प्रशासन में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकें।

विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब बिहार विधानसभा चुनाव निकट हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सत्तारूढ़ सरकार द्वारा महिला मतदाताओं—जो पिछले चुनावों में प्रभावशाली भूमिका निभा चुकी हैं—के बीच अपना समर्थन आधार मजबूत करने की रणनीति हो सकता है।

नीतीश कुमार की सरकार ने पहले भी महिला-केंद्रित नीतियों को प्राथमिकता दी है, और यह निर्णय राज्य में लैंगिक समावेशी शासन की दिशा में एक और मजबूत संकेत माना जा रहा है।

बिहार युवा आयोग को भी मंत्रिमंडल की मंजूरी

युवाओं के कौशल विकास और रोज़गार पर केंद्रित पहल

मंत्रिमंडल की बैठक में एक और अहम फैसले के तहत बिहार सरकार ने “बिहार युवा आयोग” के गठन की घोषणा की है। यह आयोग राज्य के युवाओं को मार्गदर्शन देने, सशक्त बनाने और उन्हें आगे बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया जाएगा।

आयोग की प्रमुख जिम्मेदारियाँ होंगी

  • युवाओं के विकास से जुड़ी नीतियों पर सरकार को सलाह देना।

  • स्थानीय युवाओं के लिए शिक्षा और रोज़गार के अवसर सुनिश्चित करना।

  • निजी क्षेत्र की भर्तियों की निगरानी करना ताकि बिहार के युवाओं को प्राथमिकता मिले।

  • राज्य से बाहर रहने वाले बिहार के छात्रों और कामकाजी युवाओं के हितों की रक्षा करना।

आयोग की संरचना और उद्देश्य:

इस आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे। सभी सदस्य 45 वर्ष से कम आयु के होंगे, ताकि नीति-निर्माण में युवा दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जा सके। यह आयोग आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं, बेरोज़गारों और मेधावी छात्रों की स्थिति का मूल्यांकन करेगा और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए रणनीतियाँ सुझाएगा।

अंतरराष्ट्रीय अंपायर बिस्मिल्लाह जान शिनवारी का 41 वर्ष की आयु में निधन

बिस्मिल्लाह जान शिनवारी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के अंतर्राष्ट्रीय अंपायर पैनल के सम्मानित सदस्य, का 41 वर्ष की आयु में सोमवार, 7 जुलाई 2025 को दुखद निधन हो गया। वह पाकिस्तान के पेशावर में पेट की सर्जरी के दौरान जीवन की अंतिम लड़ाई लड़ रहे थे। उनके भाई सैदा जान ने उनके निधन की पुष्टि की। उनका अंतिम संस्कार 8 जुलाई को अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत के अचिन जिले में उनके पैतृक स्थान पर किया गया। शिनवारी का असमय निधन न केवल अफगान क्रिकेट जगत के लिए, बल्कि वैश्विक क्रिकेट समुदाय के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है।

पेशेवर उत्कृष्टता की एक प्रेरणादायक यात्रा

शिनवारी ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय अंपायरिंग की दुनिया में कदम रखा, जब उन्होंने शारजाह में अफगानिस्तान और आयरलैंड के बीच अपने पहले वनडे मैच में अंपायरिंग की। इसके बाद उनका करियर लगातार आगे बढ़ता गया, और वे वैश्विक मंच पर अफगानिस्तान के सबसे प्रमुख क्रिकेट अंपायरों में से एक बन गए। उनके बेहतरीन फैसलों, शांत व्यवहार और खेल के प्रति गहरी समझ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विशेष पहचान दिलाई।

समय के साथ उन्होंने जिन मैचों में अंपायरिंग की:

  • 34 वनडे अंतरराष्ट्रीय (ODIs)

  • 26 टी20 अंतरराष्ट्रीय (T20Is)

  • 31 फर्स्ट-क्लास मैच

  • 51 लिस्ट ए मुकाबले

  • 96 घरेलू टी20 मैच

मैदान पर उनके प्रदर्शन को हमेशा निष्पक्षता, सटीक निर्णय क्षमता और शांत स्वभाव के लिए सराहा गया। उन्होंने खुद को अंतरराष्ट्रीय अंपायरिंग समुदाय में सबसे भरोसेमंद और सम्मानित शख्सियतों में से एक के रूप में स्थापित किया।

उनका अंतिम अंतर्राष्ट्रीय अंपायरिंग

उनकी अंतिम अंतरराष्ट्रीय नियुक्ति फरवरी 2025 में हुई थी, जब उन्होंने ओमान के अल अमेरात में आयोजित आईसीसी मेन्स क्रिकेट वर्ल्ड कप लीग 2 मैचों में अंपायरिंग की थी। उच्च दबाव वाले मुकाबलों में उनकी उपस्थिति, संतुलित निर्णय क्षमता और शांति ने खिलाड़ियों, कोचों और सह-अंपायरों के बीच उन्हें गहरा सम्मान दिलाया।

केरल मत्स्य विभाग उत्कृष्टता पुरस्कार 2025: कासरगोड को प्रथम स्थान

केरल मत्स्य विभाग ने कासरगोड जिले को लोकप्रिय मत्स्य पालन परियोजना के अंतर्गत उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए “मत्स्य विभाग उत्कृष्टता पुरस्कार 2025” से सम्मानित किया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान कासरगोड की टिकाऊ और नवाचारी जलीय कृषि पद्धतियों में नेतृत्व क्षमता और जमीनी स्तर पर निरंतर प्रयासों को दर्शाता है। जिले ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की है और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। यह पुरस्कार राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करता है।

मत्स्य क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए राज्य स्तर पर सम्मान

कासरगोड जिले को केरल राज्य में मत्स्य विकास परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ जिला घोषित किया गया है। यह सम्मान केरल सरकार के वार्षिक राज्य किसान पुरस्कारों के तहत दिया गया, जिसे मत्स्य और जलीय कृषि क्षेत्रों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए शुरू किया गया है।

जिला प्रशासन के अनुसार, यह पुरस्कार कासरगोड की सक्रिय पहल को दर्शाता है, जिसमें जिले ने अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने, टिकाऊ जलीय कृषि पद्धतियों को अपनाने और स्थानीय किसानों को इस क्षेत्र में प्रोत्साहित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।

व्यक्तिगत श्रेणियों में स्थानीय मछली पालकों को सम्मान

जिले के साथ-साथ, कासरगोड के दो स्थानीय जलीय कृषि उद्यमियों को व्यक्तिगत श्रेणियों में भी पुरस्कार प्राप्त हुए:

  • पदन्ना के मत्स्य पालक रवि पी.पी. को “सर्वश्रेष्ठ बैकवाटर मत्स्य बीज उत्पादन किसान” श्रेणी में दूसरा स्थान मिला।

  • कुम्बला स्थित “सी पर्ल एक्वाफार्म” को “सर्वश्रेष्ठ नवाचारी मत्स्य पालन” श्रेणी में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।

ये पुरस्कार इस बात को रेखांकित करते हैं कि व्यक्तिगत नवाचार और उद्यमिता कैसे किसी जिले के मत्स्य क्षेत्र को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

नेतृत्व और समन्वय की सराहना

जिला कलेक्टर के. इनबासेकर ने इस सम्मान को प्राप्त करने में योगदान देने वाले सभी हितधारकों का आभार व्यक्त किया। विशेष रूप से उन्होंने मत्स्य पालन उपनिदेशक के.ए. लबीब की रणनीतिक दिशा और परियोजनाओं को सफलता तक पहुँचाने में उनके मार्गदर्शन के लिए प्रशंसा व्यक्त की।

राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन

यह पुरस्कार कासरगोड जिले के राज्य स्तरीय मान्यता के बढ़ते रिकॉर्ड में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है:

  • पूर्व वर्षों में भी कासरगोड को “मत्स्य कृषक पुरस्कार” योजना के तहत सर्वश्रेष्ठ जिला पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

  • वर्ष 2023 के राज्य जैव विविधता पुरस्कारों में जिले को “सर्वश्रेष्ठ जैव विविधता प्रबंधन समिति (BMC)” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

  • विशेष रूप से, कासरगोड की जिला पंचायत BMS देश की पहली इकाई बनी जिसने क्षेत्र की जैव विविधता पहचान को दर्शाते हुए एक आधिकारिक पेड़, फूल और पक्षी की घोषणा की थी।

ये उपलब्धियां कासरगोड के सतत प्रयासों और समर्पित नेतृत्व को दर्शाती हैं, जिससे जिले ने मत्स्य और जैव विविधता क्षेत्र में एक अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।

भारत ने पनडुब्बी रोधी रॉकेट प्रणाली का किया सफल परीक्षण

भारत ने एक विस्तारित रेंज वाली पनडुब्बी रोधी रॉकेट प्रणाली का परीक्षण किया है। इससे भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। विस्तारित रेंज एंटी सबमरीन राकेट (ईआरएएसआर) का परीक्षण आइएनएस कवरत्ती से सफलतापूर्वक किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, भारतीय नौसेना और इस प्रणाली के विकास एवं परीक्षण में शामिल उद्योग को बधाई दी।

भारतीय नौसेना ने कहा कि इसमें दो रॉकेट मोटर स्थापित है जो उच्च सटीकता और स्थिरता के साथ व्यापक रेंज की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इस दौरान कुल 17 ईआरएएसआर का विभिन्न श्रेणियों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। ईआरएएसआर के सफल परीक्षण से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमता में वृद्धि हुई है।

ERASR प्रणाली के परीक्षण INS कवारत्ती से किए गए

ईआरएएसआर (Extended Range Anti-Submarine Rocket) प्रणाली के परीक्षण भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत आईएनएस कवारत्ती से 23 जून से 7 जुलाई 2025 के बीच किए गए। ये परीक्षण समुद्र में वास्तविक युद्ध जैसी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए किए गए, ताकि प्रणाली की क्षमता और विश्वसनीयता का मूल्यांकन वास्तविक परिस्थितियों में किया जा सके।

परीक्षणों के दौरान कुल 17 रॉकेट दागे गए। प्रत्येक रॉकेट को अलग-अलग दूरी पर परीक्षण किया गया, ताकि विभिन्न रेंज पर इसकी सटीकता और प्रभावशीलता का आंकलन किया जा सके। ये परीक्षण भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमता को और अधिक मज़बूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

ईआरएएसआर प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ

एक्सटेंडेड रेंज एंटी-सबमरीन रॉकेट (ERASR) प्रणाली को समुद्र में छिपी पनडुब्बियों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली आधुनिक तकनीक, सटीकता और रेंज लचीलापन के कारण बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। नीचे इसकी प्रमुख विशेषताएँ दी गई हैं जो इसे भारतीय नौसेना के लिए एक बहुमूल्य संपत्ति बनाती हैं:

ट्विन-रॉकेट मोटर कॉन्फ़िगरेशन

ERASR में ट्विन-रॉकेट मोटर प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिससे यह विभिन्न दूरी पर लक्ष्यों को साधने में सक्षम है। यह प्रणाली मिशन की ज़रूरत के अनुसार शॉर्ट-रेंज और एक्सटेंडेड-रेंज दोनों लक्ष्यों के लिए उपयोगी है।

उच्च सटीकता और स्थिरता

ERASR को अत्याधुनिक टार्गेटिंग क्षमताओं के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह कठिन समुद्री परिस्थितियों में भी लगातार सटीकता बनाए रखती है।

इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ़्यूज़

रॉकेट में एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक फ़्यूज़ लगाया गया है जो विस्फोट के समय को नियंत्रित करता है। इससे वॉरहेड सही समय पर फटता है, जिससे छिपी हुई पनडुब्बी को नष्ट करने की संभावना बढ़ जाती है।

वॉरहेड कार्यक्षमता

परीक्षणों के दौरान वॉरहेड ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। प्रत्येक विस्फोट अपेक्षित मानकों पर खरा उतरा, जिससे यह सिद्ध हुआ कि यह प्रणाली वास्तविक युद्ध स्थितियों में तैनाती के लिए तैयार है।

परीक्षण परिणाम और उद्देश्य

भारतीय नौसेना ने पुष्टि की है कि उपयोगकर्ता परीक्षणों के सभी उद्देश्य पूरी तरह से सफल रहे, जिनमें शामिल हैं:

  • रेंज प्रदर्शन: रॉकेट्स ने विभिन्न दूरीयों को सफलतापूर्वक कवर किया।

  • इलेक्ट्रॉनिक फ़्यूज़ की कार्यक्षमता: प्रत्येक परीक्षण में यह सटीक और विश्वसनीय रहा।

  • वॉरहेड सक्रियण: सभी वॉरहेड्स ने योजना के अनुसार कार्य किया।

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

ERASR प्रणाली का सफल परीक्षण भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह प्रणाली DRDO, भारतीय नौसेना और भारतीय रक्षा उद्योग के सहयोग से विकसित की गई है। यह प्रमाण है कि भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर विश्व स्तरीय रक्षा तकनीक विकसित करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

PM मोदी ब्राजील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 08 जुलाई 2025 को ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ से सम्मानित किया। यह पुरस्कार पीएम मोदी को भारत-ब्राजील के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और ग्लोबल मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिए दिया गया। मई 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से पीएम मोदी को किसी विदेशी सरकार की तरफ से दिया गया यह 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

ब्राज़ील का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ ब्राज़ील का सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान है। यह पुरस्कार आम तौर पर राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने ब्राज़ील और अन्य देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में विशेष योगदान दिया हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सम्मान प्रदान करके ब्राज़ील ने भारत-ब्राज़ील रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में उनके प्रयासों की सराहना की है। साथ ही, उन्होंने BRICS, G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को बढ़ावा देने में जो भूमिका निभाई है, उसे भी इस सम्मान के माध्यम से वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है।

भारत-ब्राज़ील संबंधों की मज़बूती का प्रतीक

यह सम्मान भारत और ब्राज़ील, दो लोकतांत्रिक देशों, के बीच गहराते संबंधों का प्रतीक है। दोनों देशों के बीच साझा मूल्य हैं—जैसे संप्रभुता का सम्मान, सतत विकास, और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देना। बीते वर्षों में भारत और ब्राज़ील ने कई क्षेत्रों में मिलकर कार्य किया है, जैसे:

  • व्यापार और निवेश

  • नवीकरणीय ऊर्जा

  • कृषि तकनीक

  • अंतरिक्ष अनुसंधान

  • वैश्विक शासन और सहयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन दोनों देशों के बीच रिश्ते और भी मजबूत हुए हैं, खासकर बहुपक्षीय मंचों और क्षेत्रीय संवादों के ज़रिए। यह सम्मान इस साझेदारी की बढ़ती शक्ति और गहराई का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतीक बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का गर्व

यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मई 2014 में कार्यभार संभालने के बाद किसी विदेशी राष्ट्र द्वारा प्रदान किया गया 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। ये सम्मान भारत की कूटनीतिक शक्ति, बढ़ती आर्थिक ताकत, और वैश्विक नेतृत्व में उस पर हो रहे विश्वास को दर्शाते हैं।

ब्राज़ील द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित करना न केवल उनकी वैश्विक भूमिका की सराहना है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक दक्षिण (Global South) में नीतियों के निर्माण में एक अहम भागीदार बन चुका है।

भारतीय नेताओं की ओर से सराहना

इस सम्मान की घोषणा के बाद पूरे भारत में खुशी की लहर दौड़ गई। देशभर के नेताओं ने इसे गर्व का क्षण बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है। कई नेताओं ने कहा कि यह सम्मान सिर्फ मोदी की कूटनीतिक सफलता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक साख और अंतरराष्ट्रीय मामलों में बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता है।

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी ‘वत्सला’ ने MP पन्ना टाइगर रिजर्व में निधन

भारत के वन्यजीव प्रेमियों, वन अधिकारियों और आम नागरिकों के लिए एक भावुक क्षण में, एशिया की सबसे उम्रदराज जीवित हथिनी वत्सला ने मंगलवार, 8 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में अंतिम सांस ली। माना जाता है कि उसकी उम्र 100 वर्ष से अधिक थी, जो एशियाई हाथियों के लिए एक अत्यंत दुर्लभ और असाधारण आयु है।

उसका निधन एक युग के अंत को चिह्नित करता है—एक ऐसा जीवन जो पीढ़ियों तक फैला रहा और जिसने इंसानों और वन्यजीवों के बीच संवेदनशील सामंजस्य का प्रतीक बनकर सभी के हृदयों में विशेष स्थान बना लिया।

केरल से मध्य प्रदेश तक की यात्रा

वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर जंगल में हुआ था और उन्होंने अपना शुरुआती जीवन वनोपज के परिवहन में बिताया था। 1971 में करीब 50 साल की उम्र में उन्हें होशंगाबाद के बोरी अभयारण्य लाया गया, और फिर 1993 में वत्सला को पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया। पन्ना आकर वत्सला ने सिर्फ हाथियों के झुंड का नेतृत्व ही नहीं किया, बल्कि वे बाघों की ट्रैकिंग में भी 10 सालों तक मदद करती रहीं।

2003 में उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी वे हिनौता कैंप में रहकर छोटे हाथी के बच्चों की देखभाल करती थीं और उन्हें गुर सिखाती थीं। इसी मातृ प्रवृत्ति और स्नेह भरे स्वभाव के कारण उन्हें ‘दादी’ के नाम से भी पुकारा जाता था।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश

  • ऊँचाई: समुद्र तल से 211 मीटर से 540 मीटर तक

  • तापमान सीमा: 15°C से 40°C तक

  • कोर क्षेत्र: 576 वर्ग किलोमीटर

  • बफर क्षेत्र: 1,022 वर्ग किलोमीटर

  • मुख्य नदियाँ: केन और बेतवा

  • वन प्रकार: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शुष्क चौड़ी पत्ती वाले वन

यह उद्यान मध्य भारत के प्रमुख टाइगर रिज़र्व में से एक है और जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का परिचय

मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में स्थित, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे प्रतिष्ठित टाइगर रिज़र्व और जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक है। यह भारत का 22वाँ और मध्य प्रदेश का छठा टाइगर रिज़र्व है, जिसे केन नदी घाटी में फैले हुए क्षेत्र में घोषित किया गया है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक विरासत और समृद्ध वन्यजीव विविधता इसे विशेष बनाते हैं।

यह उद्यान खजुराहो (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) से केवल 57 किलोमीटर की दूरी पर है, जिससे पन्ना न केवल वन्यजीव प्रेमियों बल्कि सांस्कृतिक और पुरातात्विक रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनता है।

टाइगर संरक्षण में ऐतिहासिक उपलब्धि

पन्ना टाइगर रिज़र्व ने विश्वभर में सुर्खियाँ बटोरीं जब वर्ष 2006 से 2008 के बीच शिकार की घटनाओं के कारण यहाँ बाघों की संख्या शून्य हो गई थी। यह भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास का एक संकटपूर्ण अध्याय था। लेकिन 2009 में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर. श्रीनिवास मूर्ति के नेतृत्व में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जो देश में बाघों के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।

निकटवर्ती अभयारण्यों से तीन बाघों को स्थानांतरित करके बाघों की पुनर्स्थापना की गई और धीरे-धीरे इनकी आबादी फिर से बढ़ने लगी। हालिया अनुमान के अनुसार:

  • बाघों की संख्या: 55 से अधिक (शावकों सहित)

  • भारत की सबसे सफल टाइगर रिकवरी कहानियों में से एक

इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए पन्ना टाइगर रिज़र्व को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा “अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस 2007” से सम्मानित किया गया था। यह सफलता न केवल संरक्षण नीति की जीत थी, बल्कि यह भी दर्शाती है कि यदि समय रहते प्रयास किए जाएँ, तो प्रकृति पुनर्जीवित हो सकती है।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति मुख्यतः शुष्क पर्णपाती (ड्राय डीसिडुअस) वनों से बनी है, जो विंध्याचल की पठारी भूमि और शुष्क जलवायु के कारण वन्यजीवों के लिए एक आदर्श आवास प्रदान करती है। यहाँ की विविध पारिस्थितिक संरचनाएँ अनेक वन्य जीवों और पक्षियों को आश्रय देती हैं। प्रमुख वनस्पति प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • शुष्क सागौन वन (Dry Teak Forests) – पन्ना के कई क्षेत्रों में सागौन के घने वन मिलते हैं जो वनों की प्रमुख पहचान हैं।

  • मिश्रित वनों का क्षेत्र (Mixed Woodlands) – इनमें तेंदू, पलाश, अंजन, अचर, साजा, अर्जुन, बेल, महुआ जैसी देशी प्रजातियाँ शामिल हैं।

  • घास के मैदान और नदी किनारे के पारिस्थितिक तंत्र (Grasslands and Riverine Habitats) – केन और बेटवा नदियों के आसपास हरे-भरे घास के मैदान पाए जाते हैं जो शाकाहारी जीवों के लिए पोषण का स्रोत हैं।

  • काँटेदार वन और खुले जंगल (Thorny Forests and Open Woodlands) – सूखे क्षेत्रों में बबूल और अन्य काँटेदार झाड़ियाँ पाई जाती हैं जो शुष्क परिस्थितियों के अनुकूल हैं।

यह विविध और समृद्ध वनस्पति पन्ना को जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।

सामान्य वृक्ष प्रजातियाँ:

टेक्टोना ग्रैंडिस (सागौन)

डायोस्पायरोस मेलेनोक्सिलोन (तेंदू)

मधुका इंडिका (महुआ)

एनोजीसस लैटिफोलिया

बोसवेलिया सेराटा (सलाई)

बुकाननिया लानज़ान (चिरौंजी)

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का जीव-जंतु संसार 

समृद्ध वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान अपनी समृद्ध और विविध जीव-जंतु संपदा के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे मध्य भारत के प्रमुख अभयारण्यों में से एक बनाती है।

बड़े स्तनधारी 

  • रॉयल बंगाल टाइगर (Panthera tigris)

  • तेंदुआ (Panthera pardus)

  • भालू (स्लॉथ बेयर)

  • भेड़िया (वुल्फ)

  • जंगली कुत्ता (ढोल)

  • कैराकल (Caracal)

  • लकड़बग्घा (Hyena)

शाकाहारी प्रजातियाँ 

  • चीतल (धब्बेदार हिरण)

  • सांभर

  • चिंकारा (भारतीय गज़ेल)

  • नीलगाय

  • चौसिंगा (चार सींगों वाला मृग)

पक्षी और सरीसृप 

  • 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ, जिनमें गिद्ध और जल पक्षी प्रमुख हैं

  • घड़ियाल और मगरमच्छ – विशेष रूप से केन नदी में पाए जाते हैं

संरक्षण और मान्यता 

  • 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया

  • सामुदायिक-आधारित इको-टूरिज्म और पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के लिए सराहा गया

  • यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी, अद्भुत भूगर्भीय विशेषताओं के कारण

स्थान और पहुँच 

  • निकटतम हवाई अड्डा: खजुराहो (लगभग 40 किमी)

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: सतना या झाँसी

  • सड़क मार्ग से: भोपाल, जबलपुर और झाँसी से अच्छी कनेक्टिविटी

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता, संरक्षण प्रयासों और सतत पर्यटन का आदर्श उदाहरण है।

बुल्गारिया 2026 में यूरो जोन में शामिल होगा

यूरोपीय संघ (EU) के वित्त मंत्रियों ने 8 जुलाई 2025 को बुल्गारिया को यूरो अपनाने की अंतिम मंज़ूरी दे दी। अब बुल्गारिया 1 जनवरी 2026 से यूरो को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में अपनाएगा। इस ऐतिहासिक कदम के साथ बुल्गारिया यूरोज़ोन का 21वां सदस्य बन जाएगा। यह निर्णय यूरोपीय एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता, निवेश और व्यापार के नए अवसर मिलेंगे।

लेव से यूरो तक

बुल्गारिया अब अपनी राष्ट्रीय मुद्रा “लेव” को आधिकारिक रूप से यूरो से बदल देगा। इसके लिए स्थिर विनिमय दर 1 यूरो = 1.95583 लेव तय की गई है। प्रधानमंत्री रॉसेन जेलीआज़कोव ने इस फैसले को एक “ऐतिहासिक क्षण” बताया और देश में यूरो को अपनाने की प्रक्रिया को सहज और प्रभावी ढंग से पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई।

प्रतिक्रियाएं और समर्थन

यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं ने बुल्गारिया को बधाई दी:

  • यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यूरो अपनाने से “बुल्गारियाई जनता और व्यापारों को बड़ा लाभ मिलेगा।”

  • यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने बुल्गारिया का एकल मुद्रा क्षेत्र में स्वागत किया।

  • ईयू के अर्थव्यवस्था आयुक्त वाल्दिस डोम्ब्रोव्स्किस ने कहा कि यह बदलाव यूरोप के केंद्र में बुल्गारिया के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य का प्रतीक है।

आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

बुल्गारिया की यूरो ज़ोन में शामिल होने की यात्रा मुख्य रूप से उच्च मुद्रास्फीति के कारण पहले टलती रही। हाल ही में यूरोपीय आयोग और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने पुष्टि की है कि अब बुल्गारिया आवश्यक आर्थिक मानकों को पूरा करता है।

हालांकि, यह परिवर्तन राजनीतिक अस्थिरता के बीच हो रहा है। बुल्गारिया में पिछले तीन वर्षों में सात राष्ट्रीय चुनाव हो चुके हैं, जिनमें आखिरी अक्टूबर 2024 में हुआ था। जनता की राय इस बदलाव को लेकर बंटी हुई है। मुद्रास्फीति और क्रय शक्ति में गिरावट की आशंका के चलते राजधानी सोफ़िया में विरोध प्रदर्शन हुए, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने ‘लेव’ को बनाए रखने की मांग की।

रणनीतिक महत्व

यूरो ज़ोन में शामिल होने के समर्थकों का मानना है कि यह कदम:

  • आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देगा,

  • पश्चिमी यूरोप के साथ संबंधों को मज़बूत करेगा,

  • बाहरी प्रभावों, विशेष रूप से रूसी दखल से सुरक्षा प्रदान करेगा।

हालाँकि, कुछ विरोधी नेताओं ने पहले जनमत संग्रह कराने का सुझाव दिया था, लेकिन बुल्गारियाई संसद ने इसे खारिज कर दिया।

यूरो ज़ोन का विस्तार

जब यूरो को 2002 में पहली बार लागू किया गया, तब सिर्फ 12 देशों ने इसे अपनाया था। उसके बाद निम्नलिखित देश शामिल हुए:

  • स्लोवेनिया (2007)

  • साइप्रस और माल्टा (2008)

  • स्लोवाकिया (2009)

  • एस्टोनिया (2011)

  • लातविया (2014)

  • लिथुआनिया (2015)

  • क्रोएशिया (2023)

अब बुल्गारिया के 2026 में शामिल होने के बाद, यूरो ज़ोन में कुल 21 सदस्य देश हो जाएंगे।

यूरो को अपनाने के लिए आवश्यक शर्तें

यूरो ज़ोन में शामिल होने के लिए यूरोपीय संघ के देशों को “मास्ट्रिख्ट मानदंडों” को पूरा करना होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • निम्न और स्थिर मुद्रास्फीति,

  • मजबूत सार्वजनिक वित्तीय स्थिति,

  • स्थिर विनिमय दर,

  • दीर्घकालिक ब्याज दरों पर नियंत्रण।

मुद्रास्फीति दर, यूरोपीय संघ के तीन सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों की औसत मुद्रास्फीति दर से अधिकतम 1.5 प्रतिशत अंक से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।

याद रखने योग्य मुख्य तथ्य:

  • देश: बुल्गारिया

  • नई मुद्रा: यूरो (लेव की जगह लेगा)

  • प्रभावी तिथि: 1 जनवरी 2026

  • यूरो विनिमय दर: 1 यूरो = 1.95583 लेव

  • यूरो ज़ोन में सदस्य संख्या: 21वां देश

  • बुल्गारिया से पहले शामिल हुआ देश: क्रोएशिया (2023)

NTPC सिम्हाद्रि ने गर्व और संकल्प के साथ मनाया 28वां स्थापना दिवस

भारत के प्रमुख ताप विद्युत स्टेशनों में से एक, एनटीपीसी सिम्हाद्रि ने मंगलवार, 8 जुलाई को आंध्र प्रदेश के अनकपल्ली जिले के परावाड़ा स्थित अपने प्रशासनिक परिसर में 28वां स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। यह अवसर लगभग तीन दशकों की सेवा, नवाचार और समुदाय-केन्द्रित विकास को समर्पित रहा, जिसने देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम योगदान दिया है।

नेतृत्व और समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत एनटीपीसी सिम्हाद्रि के कार्यकारी निदेशक एवं परियोजना प्रमुख समीर शर्मा द्वारा ध्वज फहराने और एनटीपीसी गान की प्रस्तुति से हुई। इस गरिमामयी क्षण में कर्मचारियों, अधिकारियों और आमंत्रित अतिथियों ने भाग लिया, जिससे संगठन की एकता और भावना को बल मिला।

अपने संबोधन में श्री शर्मा ने एनटीपीसी सिम्हाद्रि की प्रेरणादायक यात्रा को साझा किया, जिसमें 1997 में स्थापना से अब तक के विकास को रेखांकित किया गया। उन्होंने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि सिम्हाद्रि एनटीपीसी का पहला तटीय विद्युत स्टेशन है, जो इसे राष्ट्रीय ऊर्जा क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है।

बिजली उत्पादन से आगे की उपलब्धियाँ

शर्मा ने केवल बिजली उत्पादन में एनटीपीसी सिम्हाद्रि की भूमिका ही नहीं, बल्कि इसके सतत विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों में योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने विशेष रूप से 100% राख उपयोग (ash utilization) की उपलब्धि को प्रमुख रूप से उल्लेखित किया, जो पर्यावरण हितैषी औद्योगिक कार्यप्रणाली का एक महत्वपूर्ण मानक है। इसका अर्थ है कि कोयला-आधारित विद्युत उत्पादन के दौरान उत्पन्न होने वाली पूरी राख का प्रभावी रूप से उपयोग किया जा रहा है, जिससे अपशिष्ट में कमी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला है।

उन्होंने यह भी बताया कि संयंत्र अपनी मूल भूमिका से आगे जाकर सामाजिक विकास, हरित पहलों और सामुदायिक कार्यक्रमों में भी निरंतर योगदान दे रहा है, जो इसके व्यापक दृष्टिकोण और उत्तरदायित्व को दर्शाता है।

समारोह और सामुदायिक सहभागिता

एनटीपीसी सिम्हाद्रि का स्थापना दिवस (रेज़िंग डे) उत्साहपूर्वक मनाया गया, जिसमें केक काटने की रस्म ने टीम के बीच एकता और साझा सफलता का प्रतीक प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभिन्न आंतरिक प्रतियोगिताओं और जागरूकता अभियानों के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए गए।

इन पहलों में शामिल थे:

  • स्वच्छता पखवाड़ा

  • विश्व पर्यावरण दिवस

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

इन कार्यक्रमों के माध्यम से एनटीपीसी सिम्हाद्रि ने न केवल कर्मचारियों के कल्याण को बढ़ावा दिया, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी मजबूती प्रदान की।

भविष्य की दिशा

जैसे ही एनटीपीसी सिम्हाद्रि अपने 29वें वर्ष में प्रवेश करता है, संयंत्र ने विश्वसनीय ऊर्जा उत्पादन, सतत संचालन और सामुदायिक कल्याण के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। 28 वर्षों की मजबूत नींव, प्रेरित कार्यबल और दूरदर्शी नेतृत्व के साथ, एनटीपीसी सिम्हाद्रि भारत में आधुनिक और उत्तरदायी औद्योगिक संचालन का एक अनुकरणीय मॉडल बना हुआ है।

वरिष्ठ समाजवादी नेता चारूपारा रवि का 77 वर्ष की आयु में निधन

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्य उपाध्यक्ष और प्रतिबद्ध समाजवादी नेता चारूपारा रवि का मंगलवार को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ले रहे थे। समाजवादी विचारधारा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा के लिए पहचाने जाने वाले रवि, अपने निधन के समय पार्टी की संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी कार्यरत थे।

राजनीतिक संघर्ष को समर्पित एक जीवन

चारूपारा रवि ने अपना राजनीतिक जीवन बहुत ही कम उम्र में शुरू किया। महज 18 वर्ष की आयु से ही वे जनता दल संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे और आम आदमी की आवाज़ बुलंद करते रहे। उन्होंने सबसे पहले इंडिपेंडेंट स्टूडेंट ऑर्गनाइज़ेशन (ISO) के सदस्य के रूप में पहचान बनाई और बाद में युवजनता नामक समाजवादी युवा संगठन के अध्यक्ष बने, जिसने 1977 में जनता पार्टी सरकार के गठन के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।

पिछले कई दशकों में रवि एक जमीनी नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने राज्य के युवा समाजवादियों में राजनीतिक चेतना और सक्रियता को मजबूत किया। वे केवल एक पदाधिकारी नहीं थे, बल्कि एक पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ता थे, जिन्हें उनकी सादगी, सहजता और पार्टी आंदोलनों व जनसभाओं में निरंतर उपस्थिति के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

संघर्ष और प्रतिबद्धता से भरा राजनीतिक जीवन

चारूपारा रवि ने केरल विधानसभा चुनावों में कई बार भाग लिया, जो उनके लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने निम्नलिखित निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा:

  • 1980 में आर्यनाड से

  • 1996 में नेय्याटिंकारा से

  • 2011 में नेमोम से

हालाँकि वे कभी विधानसभा नहीं पहुंच पाए, लेकिन चुनावी राजनीति में उनकी लगातार भागीदारी ने उन्हें सहकर्मियों और जनता के बीच एक सम्मानित नेता के रूप में स्थापित किया।

हरियाणा में बनेगी देश की सबसे बड़ी जंगल सफारी

हरियाणा सरकार ने 6 जुलाई 2025 को घोषणा की कि वह अरावली की पहाड़ियों में एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी बनाएगी। यह परियोजना लगभग 10,000 एकड़ वन भूमि पर फैली होगी। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों और प्रकृति का संरक्षण करना है, साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना भी है। यह कदम भारत में पर्यावरण संरक्षण और ईको-पर्यटन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

पर्यटकों और प्रकृति के लिए एक भव्य जंगल सफारी

हरियाणा के अरावली पर्वत क्षेत्र में प्रस्तावित जंगल सफारी एशिया की सबसे बड़ी सफारी होगी, जो 10,000 एकड़ क्षेत्र में फैली होगी। इसमें कई प्रकार के जानवरों, पक्षियों और पौधों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित किया जाएगा। यह सफारी आधुनिक तकनीक से सुसज्जित होगी और पूरी तरह से हरित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से विकसित की जाएगी। परियोजना के निर्माण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जंगल, वन्यजीवों और स्थानीय लोगों को कोई नुकसान न हो।

प्रेरणा के लिए गुजरात यात्रा

परियोजना के लिए प्रेरणा लेने हेतु हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा वाइल्डलाइफ फैसिलिटी का दौरा किया। यह केंद्र वन्यजीवों की देखभाल के लिए प्रसिद्ध है। हरियाणा के नेताओं ने वहां की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और अब उसी मॉडल पर अपनी जंगल सफारी विकसित करने की योजना बना रहे हैं।

लोगों और प्रकृति दोनों को होगा लाभ

यह जंगल सफारी कई तरीकों से फायदेमंद होगी। यह स्थानीय युवाओं के लिए पर्यटन, गाइडिंग, होटल प्रबंधन और वन्यजीव देखभाल जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी। साथ ही, यह परियोजना वन क्षेत्र की सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण में भी मदद करेगी। इसे सफल बनाने के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग मिलकर काम करेंगे। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि यह सफारी भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बने।

मजबूत नेतृत्व और भविष्य की योजनाएं

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी स्वयं इस परियोजना की प्रगति पर निगरानी रख रहे हैं। उन्होंने वन और पर्यावरण विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस परियोजना को पर्यावरण के प्रति पूरी तरह संवेदनशील तरीके से पूरा किया जाए। यह सफारी हरियाणा की हरित पर्यटन और प्रकृति संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाएगी। यह अन्य राज्यों को भी इस दिशा में प्रेरित कर सकती है कि वे भी ऐसे पर्यावरण अनुकूल और रोजगार सृजन वाले प्रयास करें।

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