अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन शिवा शुरू

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ यात्रा की सुरक्षित और सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित करने के लिए “ऑपरेशन शिवा 2025” की शुरुआत की है। इस अभियान की घोषणा शुक्रवार को की गई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती, आधुनिक निगरानी उपकरणों और आपदा प्रतिक्रिया उपायों को शामिल किया गया है। इस वर्ष पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों से बढ़ते खतरे के कारण यह सुरक्षा अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम

ऑपरेशन शिवा 2025 के तहत, सेना ने यात्रा के उत्तर और दक्षिण मार्गों पर 8,500 से अधिक जवानों को तैनात किया है। यह प्रयास नागरिक प्रशासन और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के साथ समन्वय में किया गया है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के लिए एक बहु-स्तरीय आतंकवाद विरोधी सुरक्षा तंत्र और उन्नत निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है।

ड्रोन खतरों से निपटने के लिए 50 से अधिक प्रणालियों की एक काउंटर-यूएएस (C-UAS) प्रणाली सक्रिय की गई है। यात्रा मार्ग और पवित्र गुफा के आसपास लगातार ड्रोन और यूएवी निगरानी की जा रही है। उच्च गुणवत्ता वाले पीटीजेड (PTZ) कैमरे और लाइव ड्रोन फीड के माध्यम से काफिलों की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी खतरे का समय रहते पता चल सके।

चिकित्सा, संचार और ढांचागत सहयोग

यात्रियों के लिए मजबूत चिकित्सा सहायता की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें शामिल हैं:

  • 150 से अधिक चिकित्सा कर्मचारी

  • 2 उन्नत ड्रेसिंग स्टेशन

  • 9 प्राथमिक उपचार केंद्र

  • 100 बिस्तरों वाला अस्पताल

  • 26 ऑक्सीजन बूथ जिनमें 2 लाख लीटर ऑक्सीजन मौजूद

संचार व्यवस्था के लिए सिग्नल कंपनियां सक्रिय हैं, जबकि बम डिटेक्शन स्क्वॉड पूरी तरह अलर्ट पर हैं। आपातकालीन स्थिति में हेलीकॉप्टरों की तैनाती भी की गई है।

इंजीनियरिंग टीमें पुलों की मरम्मत, सड़कों के सुधार और आपदा प्रतिक्रिया सहायता में लगी हैं। इसके अतिरिक्त:

  • 25,000 लोगों के लिए आपातकालीन खाद्य सामग्री

  • टेंट सिटी

  • बुलडोज़र

  • जल आपूर्ति बिंदु भी स्थापित किए गए हैं।

शांतिपूर्ण यात्रा के प्रति प्रतिबद्धता

भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन शिवा 2025 उसकी इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर घाटी में हाल की मुठभेड़ों के बाद प्रॉक्सी आतंकवादी समूहों से बढ़ते खतरे को देखते हुए यह सुरक्षा व्यवस्था बेहद ज़रूरी है। यात्रा मार्गों पर क्विक रिएक्शन टीम (QRT) भी तैनात हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करेंगी।

कैबिनेट ने ₹1 लाख करोड़ की रोजगार-लिंक्ड योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹1 लाख करोड़ की लागत वाली एक महत्वाकांक्षी रोज़गार-आधारित प्रोत्साहन (Employment-Linked Incentive – ELI) योजना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य देशभर में 3.5 करोड़ से अधिक नए रोज़गार के अवसर सृजित करना है। यह योजना केन्द्रीय बजट 2024–25 का हिस्सा है और इसमें नियोक्ताओं को वित्तीय सहायता व कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी, विशेषकर उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र पर जोर रहेगा।

सभी क्षेत्रों में औपचारिक नौकरियों को बढ़ावा

यह नई योजना 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 के बीच सृजित नौकरियों पर लागू होगी। कुल लक्षित 3.5 करोड़ नौकरियों में से लगभग 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं के लिए होंगी। योजना का उद्देश्य है कि सभी क्षेत्रों में औपचारिक रोज़गार बढ़े और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिले, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

नियोक्ताओं को प्रति नए कर्मचारी ₹3,000 प्रति माह तक की प्रोत्साहन राशि दो वर्षों तक दी जाएगी, बशर्ते कि वह नौकरी कम से कम छह महीने तक जारी रहे। उत्पादन क्षेत्र में यह प्रोत्साहन दो साल और बढ़ाया जा सकता है। नए कर्मचारियों को एक महीने का वेतन (अधिकतम ₹15,000) भी लाभ के रूप में मिलेगा।

आधिकारिक घोषणा और बजटीय योजना

इस योजना की घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में हुई कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान की। उन्होंने बताया कि यह ELI योजना प्रधानमंत्री के रोज़गार एवं कौशल विकास पैकेज के तहत शुरू की गई पांच पहलों में से एक है। इस पैकेज का कुल बजट ₹2 लाख करोड़ है, जिससे 4 करोड़ से अधिक युवाओं को लाभ होगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है रोज़गार को औपचारिक बनाना, सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाना, और देश के युवाओं में बेरोज़गारी की दर को कम करना।

अभिजीत किशोर फिर चुने गए सीओएआई के चेयरपर्सन

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने वर्ष 2025–26 के लिए अपनी नई नेतृत्व टीम की घोषणा की है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अभिजीत किशोर को दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि भारती एयरटेल के चीफ रेग्युलेटरी ऑफिसर राहुल वत्स को उपाध्यक्ष बनाया गया है। यह घोषणा 9 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित COAI की वार्षिक आम बैठक में की गई।

COAI ने भरोसेमंद नेतृत्व को बरकरार रखा

वार्षिक बैठक में COAI ने पिछले कार्यकाल के प्रदर्शन और दूरसंचार उद्योग की गहरी समझ को देखते हुए मौजूदा नेतृत्व को ही जारी रखने का निर्णय लिया। अभिजीत किशोर को भारत के टेलीकॉम सेक्टर में 30 वर्षों का अनुभव है। COO बनने से पहले वे वोडाफोन आइडिया के एंटरप्राइज़ बिजनेस का नेतृत्व कर चुके हैं।

राहुल वत्स को लगभग तीन दशक का अनुभव है, खासकर टेलीकॉम नीति, लाइसेंसिंग, स्पेक्ट्रम और रेग्युलेटरी मामलों में। वे एयरटेल के सभी व्यावसायिक क्षेत्रों — ब्रॉडबैंड, डीटीएच, डेटा सेंटर और अंतरराष्ट्रीय सेवाओं — में सरकारी और नियामक संबंधों का प्रबंधन करते हैं।

डिजिटल विकास के लिए दिशा

COAI के डायरेक्टर जनरल एस.पी. कोचर ने दोनों नेताओं के पिछले कार्यकाल में योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत अब 5G और डिजिटल विकास के दौर में है, और इन अनुभवी नेताओं का मार्गदर्शन दूरसंचार उद्योग को आने वाले अवसरों और चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। कोचर ने यह भी कहा कि आज डिजिटल कनेक्टिविटी केवल एक सेक्टर नहीं, बल्कि पूरे अर्थव्यवस्था का आधार बन चुकी है। टेलीकॉम उद्योग अन्य सभी क्षेत्रों की कार्यक्षमता और सेवा गुणवत्ता को बेहतर बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

आर्थुंकल पुलिस स्टेशन भारत का पहला आईएसओ-प्रमाणित स्टेशन बना

केरल के अलेप्पी (अलप्पुझा) जिले का आर्थुंकल पुलिस स्टेशन देश का पहला पुलिस थाना बन गया है जिसे IS/ISO 9001:2015 क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम (QMS) प्रमाणन प्राप्त हुआ है। यह प्रमाण पत्र भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा 10 जुलाई 2025 को औपचारिक रूप से प्रदान किया गया। यह सम्मान पुलिसिंग और सार्वजनिक सुरक्षा में उत्कृष्ट सेवा गुणवत्ता के लिए दिया गया है।

पुलिसिंग में नई उपलब्धि

BIS द्वारा आयोजित एक विशेष समारोह में इस प्रमाण पत्र को आर्थुंकल थाने को प्रदान किया गया। यह मान्यता अपराध रोकथाम, जांच, यातायात नियंत्रण, जन शिकायत निवारण और संपूर्ण कानून व्यवस्था के उत्कृष्ट संचालन के लिए दी गई है।

BIS के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (स्टैंडर्डाइजेशन) श्री प्रवीण खन्ना ने यह प्रमाण पत्र केरल के राज्य पुलिस प्रमुख श्री रावदा आज़ाद चंद्रशेखर को सौंपा। इस अवसर पर दक्षिण ज़ोन के आईजी श्री जी. वेंकटनारायणन, श्री एस. श्यामसुंदर और एर्नाकुलम रेंज के डीआईजी डॉ. एस. सतीश बिनो सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

समारोह की प्रमुख बातें

कार्यक्रम की शुरुआत ज़िला पुलिस प्रमुख श्री एम.पी. मोहनचंद्रन के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद कानून एवं व्यवस्था के एडीजीपी श्री एच. वेंकटेश ने अध्यक्षीय भाषण दिया। मुख्य भाषण में श्री रावदा आज़ाद चंद्रशेखर ने पुलिस सेवा में वैश्विक गुणवत्ता मानकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि जनता का विश्वास बढ़े और सेवा में पारदर्शिता आए। समारोह का समापन चेरथला के एएसपी श्री हरीश जैन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। वे मॉडर्नाइज्ड चेरथला पुलिस प्रोग्राम का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य स्थानीय पुलिस तंत्र को आधुनिक बनाना है।

पूरे देश के लिए एक आदर्श

यह उपलब्धि केरल पुलिस की उस बड़ी पहल का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पुलिस सुधारों को ढांचे में लाना और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना है। मॉडर्नाइज्ड चेरथला पुलिस प्रोग्राम बेहतर सेवा, पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता के माध्यम से पुलिस थानों को आधुनिक बना रहा है। इस प्रमाणन के साथ आर्थुंकल थाना एक मॉडल पुलिस स्टेशन बन गया है, जो देश भर के अन्य पुलिस थानों के लिए एक मापदंड स्थापित करता है कि अपराध नियंत्रण और जन सेवा में उच्च गुणवत्ता कैसे हासिल की जा सकती है।

RBI ने नियम तोड़ने पर एचडीएफसी बैंक और श्रीराम फाइनेंस पर जुर्माना लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एचडीएफसी बैंक और श्रीराम फाइनेंस पर नियामकीय नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया है। 11 जुलाई 2025 को आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक पर ₹4.88 लाख और श्रीराम फाइनेंस पर ₹2.70 लाख का जुर्माना लगाया। इन दंडों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी वित्तीय संस्थान निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करें और पारदर्शिता बनाए रखें।

जुर्माने की वजहें

एचडीएफसी बैंक पर विदेशी निवेश से संबंधित नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया। यह उल्लंघन उस समय हुआ जब बैंक ने अपने एक ग्राहक को टर्म लोन (मियादी ऋण) प्रदान किया। जांच में पता चला कि बैंक ने इस तरह के लेनदेन के लिए तय मानकों का पालन नहीं किया।

वहीं, श्रीराम फाइनेंस पर डिजिटल लेंडिंग मानदंडों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया। यह मामला 31 मार्च 2024 की वित्तीय स्थिति के आधार पर की गई नियमित जांच के दौरान सामने आया। आरबीआई ने पाया कि कंपनी ने ऋण चुकौती की राशि उन खातों के माध्यम से प्राप्त की जो निर्धारित नियमों के अनुरूप नहीं थे।

आरबीआई का रुख और निगरानी नीति

भारत के केंद्रीय बैंक के रूप में, आरबीआई लगातार वित्तीय क्षेत्र की निगरानी करता है ताकि प्रणाली में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे। यह जुर्माना जिम्मेदार बैंकिंग व्यवहार को बढ़ावा देने की दिशा में आरबीआई के प्रयासों का हिस्सा है।

हालांकि इन उल्लंघनों से दोनों संस्थानों की वित्तीय मजबूती पर कोई गंभीर सवाल नहीं उठता, फिर भी आरबीआई ने स्पष्ट किया कि ऐसी कार्रवाइयों से अनुशासन बना रहता है और भविष्य में नियमों के उल्लंघन की संभावना कम होती है।

यूनेस्को ने तीन अफ्रीकी स्थलों को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची से हटाया

विश्व धरोहर समिति ने तीन अफ्रीकी धरोहर स्थलों – मेडागास्कर, मिस्र और लीबिया – को संकटग्रस्त स्थलों की यूनेस्को की सूची से हटा दिया है तथा इन स्थलों पर खतरों को कम करने और उनकी सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक अखंडता को बहाल करने के सफल प्रयासों की सराहना की है।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक बयान में कहा कि यह निर्णय पेरिस में जारी विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र के दौरान नौ जुलाई को लिया गया।

बयान में कहा गया है कि संकटग्रस्त सूची से इन धरोहर स्थलों को हटाया जाना, इन स्थलों के लिए खतरों को उल्लेखनीय रूप से कम करने में सदस्य देशों द्वारा यूनेस्को के सहयोग से किए गए व्यापक प्रयासों का परिणाम हैं। संकटग्रस्त सूची से हटाए गए स्थलों में मेडागास्कर में अत्सिनानाना के वर्षावन, मिस्र में अबू मेना और लीबिया में घदामेस का ‘ओल्ड टाउन’ शामिल हैं।

वे खतरों की सूची में क्यों थे

  • अत्सिनाना के वर्षावनों को 2010 में “खतरे में विश्व धरोहर” सूची में शामिल किया गया था, क्योंकि वहां अवैध कटाई, वनों की अंधाधुंध कटाई और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे लेमूर के नुकसान की घटनाएं बढ़ रही थीं। ये जंगल उन पौधों और जानवरों का घर हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते।
  • मिस्र में स्थित अबू मेना, जो एक प्राचीन ईसाई तीर्थ स्थल है, को 2001 में इस सूची में डाला गया था क्योंकि सिंचाई के कारण आई बाढ़ ने इसकी नींव को नुकसान पहुंचाया और कई हिस्से ढह गए।
  • लीबिया का पुराना शहर घदामेस 2016 में युद्ध, जंगल की आग और बाढ़ की वजह से गंभीर क्षति के चलते इस सूची में डाला गया था।

यूनेस्को की भूमिका और बयान

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ुले ने कहा कि इन तीनों स्थलों को खतरे की सूची से हटाया जाना “पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी जीत” है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनेस्को अफ्रीका को विशेष प्राथमिकता दे रहा है और वहां के विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने और विरासत संरक्षण में देशों की मदद करने के लिए काम कर रहा है।

2021 के बाद से, अफ्रीका के तीन और देश – डीआर कांगो, युगांडा और सेनेगल – के स्थल भी इस सूची से हटाए गए हैं। यह दिखाता है कि अफ्रीकी देशों की सहायता के लिए बनाई गई रणनीति सफल हो रही है।

अब आगे क्या होगा

किसी स्थल को “खतरे में विश्व धरोहर” सूची से हटाया जाना दर्शाता है कि अब वह पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित है। हालांकि, इन स्थलों पर नजर रखी जाती रहेगी। अब ये स्थल और अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग व फंडिंग प्राप्त कर सकते हैं, जिससे इनके संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। यह अन्य देशों को भी प्रेरित करेगा कि वे अपनी धरोहरों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल

भारत के ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। इस प्रस्ताव का मूल्यांकन 6 से 16 जुलाई के बीच पेरिस में चल रहे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र में किया गया। इस सत्र में दुनिया भर से कुल 32 नए स्थलों के नामांकन पर चर्चा की गई, जिनमें भारत का यह ऐतिहासिक सैन्य तंत्र भी शामिल है। भारत की ओर से यह नामांकन 2024-25 चक्र के लिए प्रस्तुत किया गया।

क्या है ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’?

‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में 12 किले और किलेबंद क्षेत्र शामिल हैं जो 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किए गए थे। यह किले मराठा साम्राज्य की सैन्य शक्ति, रणनीति और निर्माण कला का अद्भुत उदाहरण माने जाते हैं। ये किले न केवल सुरक्षा के लिए बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण थे।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु के ये किले शामिल

इन 12 स्थानों में महाराष्ट्र का साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खांदेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का जिन्जी किला शामिल है। इन किलों को देश के कई भौगोलिक और प्राकृतिक क्षेत्रों में इस तरह से बनाया गया था कि वे मराठा शासन की सैन्य ताकत को दर्शाते हैं। इनमें पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्र के किनारे और अंदरूनी मैदानों पर बने किलों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

कैसे चली मूल्यांकन प्रक्रिया?

विश्व धरोहर समिति की बैठक में 11 से 13 जुलाई के बीच 32 स्थलों की समीक्षा की गई। भारत के इस नामांकन के साथ-साथ कैमरून का डीआईवाई-जीआईडी-बीआईवाई (Diy-Gid-Biy) सांस्कृतिक क्षेत्र, मलावी का माउंट मुलंजे सांस्कृतिक परिदृश्य, और यूएई का फाया पैलियोलैंडस्केप जैसे स्थलों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा दो पहले से ही यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सीमाओं में संभावित बदलाव के प्रस्तावों पर भी विचार किया गया।

एक देश से एक नामांकन नियम

यूनेस्को के ‘ऑपरेशनल गाइडलाइंस 2023’ के अनुसार, हर देश एक बार में केवल एक ही नामांकन जमा कर सकता है। भारत ने इस चक्र के लिए ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स” को चुना।

क्यों महत्वपूर्ण है नामांकन?

अगर इस नामांकन को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में स्थान मिलता है, तो यह भारत के लिए गर्व का विषय होगा। इससे इन ऐतिहासिक स्थलों की वैश्विक मान्यता बढ़ेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और इनके संरक्षण के प्रयासों को और गति मिलेगी।

यूनेस्को की मान्यता और समिति की बैठक

पेरिस में आयोजित यूनेस्को विश्व धरोहर समिति की 47वीं बैठक में इन किलों को विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में शामिल किया गया। यह नामांकन भारत द्वारा 2024–25 विश्व धरोहर चक्र के तहत किया गया था। भारतीय अधिकारियों और इतिहासकारों ने इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक मंच पर प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया।

भारत का गौरव और ऐतिहासिक महत्व

ये किले केवल स्थापत्य संरचनाएं नहीं थे, बल्कि रणनीतिक सोच, आत्मरक्षा और एकता के प्रतीक थे। छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे मराठा शासकों ने इनका उपयोग साम्राज्य की नींव और रक्षा के लिए किया। विशेष रूप से रायगढ़ और प्रतापगढ़ जैसे किले भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उदाहरण के लिए, महाबलेश्वर से 22 किमी दूर स्थित प्रतापगढ़ किला कई प्रसिद्ध युद्धों का गवाह रहा है।

अधिक रिफंड के कारण सरकार के कर संग्रह में गिरावट

चालू वित्त वर्ष में 10 जुलाई तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 1.34 प्रतिशत घटकर लगभग 5.63 लाख करोड़ रुपये रह गया। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों में इसकी पुष्टि हुई। इस दौरान शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 3.67 प्रतिशत घटकर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 2.07 लाख करोड़ रुपये था। गैर-कॉर्पोरेट कर (जिसमें व्यक्ति, एचयूएफ और फर्म शामिल हैं) संग्रह 1 अप्रैल से 10 जून, 2025 के बीच 3.45 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर रहा। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) संग्रह 10 जुलाई तक 17,874 करोड़ रुपये था।

आंकड़े क्या दिखाते हैं

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 10 जुलाई तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड से पहले) 3.2% बढ़कर ₹6.6 लाख करोड़ हो गया है। इसमें कॉरपोरेट और गैर-कॉरपोरेट दोनों वर्गों से प्राप्त कर शामिल हैं। हालांकि, रिफंड में 38% की वृद्धि हुई, जिससे रिफंड के बाद की शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह की राशि कम हो गई। शुद्ध संग्रह वह वास्तविक राजस्व होता है जो सरकार को रिफंड देने के बाद प्राप्त होता है — यानी वह राशि जो सरकार अंततः अपने पास रखती है। रिफंड की मात्रा अधिक होने के कारण, इस साल शुद्ध संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम रहा है।

गिरावट का कारण

शुद्ध संग्रह में कमी का कारण कॉरपोरेट टैक्स (कंपनियों द्वारा भुगतान किया गया कर) और गैर-कॉरपोरेट टैक्स (व्यक्तियों व अन्य संस्थाओं द्वारा भुगतान किया गया कर) दोनों में कमी है। साथ ही, टैक्स रिफंड में तेजी से बढ़ोतरी — जो संभवतः तेज प्रोसेसिंग या पहले किए गए अतिरिक्त भुगतान के कारण हुई — ने सरकार के पास बची राशि को घटा दिया। अधिकारियों ने बताया कि भले ही सकल संग्रह में हल्की वृद्धि दर्ज हुई है, लेकिन रिफंड की बड़ी मात्रा का सीधा असर शुद्ध राजस्व पर पड़ा है।

सरकार की प्राथमिकताएं और आगे की राह

इस गिरावट के बावजूद सरकार का ध्यान टैक्स अनुपालन सुधारने और रिटर्न व रिफंड की समय पर प्रोसेसिंग पर बना रहेगा। कर विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में जब व्यापार गतिविधियां बढ़ेंगी और टैक्स फाइलिंग की समय-सीमा नजदीक आएगी, तो शुद्ध संग्रह में सुधार हो सकता है। सरकार, राजकोषीय संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतियों में आवश्यक बदलाव कर सकती है, ताकि कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा विकास में निवेश जारी रखा जा सके।

 

DRDO और वायुसेना ने किया ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण

डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना ने ओडिशा के तट पर स्वदेशी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) ‘अस्त्र’ का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल में स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर लगा हुआ है और इसे सुखोई -30 Mk-I फाइटर जेट से दागा गया। परीक्षण के दौरान दो मिसाइलें अलग-अलग दूरी, दिशा और हालात में उड़ रहे तेज रफ्तार ड्रोन टारगेट्स पर दागी गईं। दोनों ही बार मिसाइलों ने अपने टारगेट को बेहद सटीकता से मार गिराया।

ओडिशा तट पर सफल परीक्षण

बंगाल की खाड़ी में भारत ने एक और बड़ी सैन्य उपलब्धि हासिल की। सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से दो बार अस्त्र मिसाइल का परीक्षण किया गया। ये परीक्षण अलग-अलग दूरी और दिशाओं में उड़ रहे तेज़ रफ्तार मानव रहित हवाई लक्ष्यों पर किए गए। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों मिसाइलें अपने-अपने लक्ष्यों पर सटीकता से लगीं, जिससे इस मिसाइल की उन्नत क्षमता सिद्ध हो गई।

अस्त्र मिसाइल और RF सीकर के बारे में

अस्त्र एक ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल’ (BVRAAM) है, जिसे दुश्मन के विमान को लॉन्चिंग विमान से काफी दूर मार गिराने के लिए बनाया गया है। इस बार जो संस्करण परीक्षण में इस्तेमाल हुआ, उसमें देश में विकसित किया गया रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर लगा था।

यह RF सीकर लक्ष्य पर लॉक करने और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन देने में मदद करता है। इसका स्वदेशी विकास ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण के लक्ष्य

यह परीक्षण भारत की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे भारतीय वायुसेना के लिए पूरी तरह से स्वदेशी एयर-टू-एयर मिसाइलों के उपयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि ऐसे सफल परीक्षणों से भारत की विदेशी मिसाइल प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी और आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण के लक्ष्य को बल मिलेगा। मिसाइल को नियमित रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल करने से पहले और भी परीक्षण किए जाएंगे।

भारत पांडुलिपि विरासत पर पहले वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी करेगा

भारत 11 से 13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में अपनी पहली वैश्विक पांडुलिपि विरासत पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़बानी करेगा। संस्कृति मंत्रालय द्वारा घोषित यह ऐतिहासिक आयोजन भारत की प्राचीन पांडुलिपि-ज्ञान परंपरा को संरक्षित, प्रचारित और वैश्विक मंच पर साझा करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। इसकी घोषणा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर की गई, जो भारत की गुरु-शिष्य परंपरा और ज्ञान-संस्कृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने की वैश्विक पहल

“पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति” शीर्षक वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत और विदेशों से 500 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें 75 प्रतिष्ठित विद्वान और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल होंगे, भाग लेंगे। यह आयोजन हाइब्रिड प्रारूप में होगा, जिससे विश्वभर के प्रतिभागी ऑनलाइन या प्रत्यक्ष रूप से जुड़ सकें।

भारत के पास 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ हैं, जो विभिन्न लिपियों और भाषाओं में दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, अनुष्ठान और कला जैसे क्षेत्रों की जानकारी समेटे हुए हैं। यह सम्मेलन इन दुर्लभ ग्रंथों को संरक्षित करने और उन्हें नई पीढ़ी व अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

भारत के वैश्विक दृष्टिकोण को समर्पित

यह आयोजन स्वामी विवेकानंद के 11 सितंबर 1893 को ‘धर्म संसद’ में दिए गए ऐतिहासिक भाषण को भी श्रद्धांजलि स्वरूप है। इसी तिथि पर सम्मेलन आयोजित करके भारत के विश्व शांति व ज्ञान-साझाकरण के संकल्प को रेखांकित किया जाएगा।

इस सम्मेलन में यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल दुर्लभ पांडुलिपियाँ प्रदर्शित की जाएंगी, साथ ही संरक्षण का जीवंत प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कार्यशालाएं और पांडुलिपि नवाचार से जुड़े स्टार्टअप्स की प्रस्तुतियाँ भी होंगी।

प्रमुख पहलें और कार्यक्रम

सम्मेलन के दौरान ‘पांडुलिपि अनुसंधान भागीदार (MRP)’ कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी, जिसमें युवा विद्वानों के लिए प्रशिक्षण, लिपि प्रयोगशालाएं और व्यावहारिक कार्यशालाएं आयोजित होंगी। इसके अतिरिक्त, ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र’ जारी किया जाएगा, जो पांडुलिपियों के संरक्षण, अनुवाद और डिजिटलीकरण के भविष्य के रोडमैप को दिशा देगा।

सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित अभिलेखन, नैतिक संरक्षण, पांडुलिपि विज्ञान (पेलियोग्राफी), डिजिटलीकरण और शिक्षा में पारंपरिक ज्ञान के उपयोग जैसे आधुनिक विषयों पर भी सत्र होंगे। रुचि रखने वाले शोधकर्ता 10 अगस्त 2025 तक अपने शोध-पत्र या केस स्टडी https://gbm-moc.in वेबसाइट पर भेज सकते हैं। प्रश्न या संपूर्ण लेख भेजने के लिए ईमेल: gbmconference@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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