हाल ही में ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केन्द्र ( CREA) की ओर से साल 2025 के पहली छमाही में देशभर की एयर क्वालिटी के विश्लेषण को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के मामले में दिल्ली अभी भी देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। इस लिस्ट में असम-मेघालय बॉर्डर पर स्थित बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में पहले नंबर पर है।
सीआरईए ने यह रिपोर्ट जारी की, जो साल 2025 की पहली छमाही के दौरान देशभर में हवा की गुणवत्ता के विश्लेषण के आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, निगरानी वाले कुल 293 में से 239 शहरों में 80 प्रतिशत से ज्यादा दिनों तक पीएम 2.5 का डेटा उपलब्ध रहा। इन 239 में से 122 शहरों ने भारत के वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर लिया। जबकि 117 शहर इस सीमा से नीचे रहे।
भारत के सबसे प्रदूषित और सबसे स्वच्छ शहरों की रिपोर्ट जारी
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बर्नीहाट (मेघालय) भारत का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 133 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) दर्ज किया गया, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षित सीमा 40 µg/m³ से कहीं अधिक है। इसके बाद दिल्ली का स्थान रहा, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 87 µg/m³ रहा।
अन्य अत्यधिक प्रदूषित शहरों में हाजीपुर (बिहार), गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश), और गुड़गांव (हरियाणा) शामिल हैं। इसके साथ ही सासाराम, पटना और राजगीर (बिहार), तथा तालचेर और राउरकेला (ओडिशा) को भी देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में स्थान मिला है।
पीएम 2.5 क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
पीएम 2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। ये कण फेफड़ों के गहराई तक जा सकते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे दमा, हृदय रोग, और सांस की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत की राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) के अनुसार, पीएम 2.5 का सुरक्षित स्तर 40 µg/m³ है, लेकिन कई शहर इस सीमा से काफी ऊपर हैं।
डेटा स्रोत और निगरानी विवरण
यह अध्ययन क्लाइमेट एनर्जी रिसर्च एनालिटिक्स (CREA) द्वारा CAAQMS डेटा के आधार पर किया गया, जो 293 शहरों की वायु गुणवत्ता की निगरानी करता है। इनमें से:
122 शहरों ने भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पार कर लिया है।
117 शहर अब भी सुरक्षित सीमा के भीतर हैं।
259 शहरों ने साल के केवल जून महीने तक ही वार्षिक पीएम 2.5 की सीमा पार कर ली, जिससे यह संकेत मिलता है कि ये वर्ष भर असुरक्षित रह सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत 131 शहरों की निगरानी की जा रही है, जिनमें से 98 में CAAQMS स्थापित किए जा चुके हैं।
भारत के सबसे स्वच्छ शहर
रिपोर्ट के अनुसार, मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल देश का सबसे स्वच्छ शहर रहा, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर मात्र 8 µg/m³ रहा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 5 µg/m³ की सीमा से थोड़ा अधिक है।
अन्य स्वच्छ शहरों में शामिल हैं:
तिरुपुर और तिरुनेलवेली (तमिलनाडु)
बरेली और वृंदावन (उत्तर प्रदेश)
मैहर (मध्य प्रदेश)
इंफाल (मणिपुर)
चामराजनगर और चिकमंगलूरु (कर्नाटक)
यह रिपोर्ट भारत में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति को दर्शाती है, साथ ही बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों की पहचान कर सकारात्मक उदाहरण भी पेश करती है।
एमआई न्यूयॉर्क ने 14 जुलाई को ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास में खेले गए फाइनल मुकाबले में वॉशिंगटन फ्रीडम को 5 रन से हराकर मेजर लीग क्रिकेट (MLC) 2025 का खिताब अपने नाम किया। टूर्नामेंट की शुरुआत में बेहद खराब प्रदर्शन करने के बावजूद एमआई न्यूयॉर्क की यह वापसी फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार कहानियों में गिनी जा रही है।
एक रोमांचक फाइनल मुकाबला
181 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए वॉशिंगटन फ्रीडम मात्र 5 रन से चूक गई। अंतिम ओवर में उन्हें 12 रन चाहिए थे, लेकिन 22 वर्षीय रुशिल उगर्कर ने ग्लेन फिलिप्स और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खतरनाक बल्लेबाज़ों के सामने धैर्य बनाए रखा। माइकल ब्रेसवेल ने आखिरी ओवर में एक अहम कैच पकड़कर जीत की मुहर लगा दी।
फ्रीडम की शुरुआत खराब रही, जब पहले ही ओवर में ट्रेंट बोल्ट ने दो विकेट झटके। रचिन रवींद्र (70) और जैक एडवर्ड्स (33) के बीच 84 रन की साझेदारी ने उन्हें वापसी दिलाई, लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे और टीम लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी।
डी कॉक की शानदार बल्लेबाज़ी
इससे पहले एमआई न्यूयॉर्क की ओर से क्विंटन डी कॉक ने 46 गेंदों पर 77 रनों की तेज़ पारी खेली, जिसमें 6 चौके और 4 छक्के शामिल थे। उन्होंने मोनांक पटेल (28) के साथ 72 रन की ओपनिंग साझेदारी की। बीच के ओवरों में कुछ तेज़ विकेट गिरने के बाद डी कॉक और निकोलस पूरन (22) ने 56 रन जोड़कर पारी को संभाला। अंत में कुंवरजीत सिंह (22 रन नाबाद, 13 गेंद)* की ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से टीम ने 180/7 का स्कोर खड़ा किया।
वॉशिंगटन के लिए लॉकी फर्ग्यूसन सबसे प्रभावशाली गेंदबाज़ रहे, जिन्होंने 24 रन देकर 3 विकेट चटकाए—उनमें डी कॉक और कीरोन पोलार्ड जैसे बड़े नाम शामिल थे।
वापसी की मिसाल बना एमआई न्यूयॉर्क
एमआई न्यूयॉर्क ने सीज़न की शुरुआत बेहद निराशाजनक रूप से की थी—पहले 7 में से 6 मैच हार गए थे। लेकिन निकोलस पूरन की कप्तानी में टीम ने ज़बरदस्त वापसी की, अहम मुकाबले जीते और फाइनल तक पहुंची। इस खिताबी जीत ने साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और टीमवर्क के दम पर कोई भी शुरुआत सफल अंत में बदल सकती है।
अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित मेटलाइफ स्टेडियम में खेले गए फाइनल में चेल्सी एफसी ने पेरिस सेंट-जर्मेन (PSG) को 3-0 से हराकर फीफा क्लब वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत में 22 वर्षीय युवा मिडफील्डर कोल पामर ने दो गोल दागे और तीसरे गोल में असिस्ट कर शानदार प्रदर्शन किया। यह चेल्सी का दूसरा क्लब वर्ल्ड कप खिताब है।
कोल पामर की चमकदार परफॉर्मेंस पहले हाफ में ही कोल पामर ने मैच पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने 22वें मिनट में पहला गोल किया, जब PSG के डिफेंडर नूनो मेंडेस की गलती का फायदा उठाकर मालो गुस्टो ने गेंद पामर को पास की। इसके बाद 30वें मिनट की कूलिंग ब्रेक के बाद, लेवी कोलविल के लंबे पास पर पामर ने दूसरा गोल किया।
तीसरे गोल में भी पामर ने अहम भूमिका निभाई—उन्होंने जोआओ पेड्रो को सटीक पास दिया, जिसने PSG के गोलकीपर जियानलुईगी डोनारूमा को चिप शॉट से छकाते हुए स्कोर 3-0 कर दिया।
चेल्सी की रणनीति और PSG की हताशा चेल्सी के मैनेजर एंज़ो मारेस्का ने मैच को “शतरंज का खेल” बताया था, लेकिन मैदान पर चेल्सी ने बेहद तेज़ और प्रभावशाली खेल दिखाकर PSG को पूरी तरह चौंका दिया। PSG ने टूर्नामेंट में पहले रियल मैड्रिड और बायर्न म्यूनिख जैसी बड़ी टीमों को हराया था, लेकिन फाइनल में उनकी रणनीति चेल्सी की तीव्रता के सामने टिक नहीं पाई।
मैच के 83वें मिनट में PSG के जाओ नेवेस को मार्क कुकुरेला के बाल खींचने पर रेड कार्ड दिखाया गया, जो टीम की निराशा को दर्शाता है। मैच के अंतिम क्षणों में माहौल गर्म रहा, लेकिन चेल्सी के खिलाड़ी फौरन जीत का जश्न मनाने में लग गए।
इनामी राशि और पुरस्कार फीफा क्लब वर्ल्ड कप 2025 की कुल पुरस्कार राशि $1 अरब थी।
चेल्सी को कुल लगभग $118 मिलियन की राशि मिली, जिसमें प्रत्येक नॉकआउट राउंड का बोनस और $40 मिलियन का चैंपियन बोनस शामिल है।
केंद्र सरकार ने डॉ. अभिजीत शेठ को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति उस समय हुई है जब आयोग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते जांच चल रही है। डॉ. अभिजीत शेठ इससे पहले नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स इन मेडिकल साइंसेज़ (NBEMS) के अध्यक्ष थे, जो NEET-PG जैसी प्रमुख मेडिकल परीक्षाएं आयोजित करता है।
परिवर्तन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग भारत में चिकित्सा शिक्षा की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संस्था है। यह सुनिश्चित करता है कि डॉक्टरों की ट्रेनिंग और मेडिकल कॉलेजों का संचालन निष्पक्ष और गुणवत्ता-पूर्ण हो। अक्टूबर 2024 में तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. बी. एन. गंगाधर ने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन नियुक्तियों की कमी के कारण उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और वे पद पर बने रहे। कई महीनों तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी, जबकि मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति को कई बार सूची भेजी गई।
अंततः जुलाई 2025 में सरकार ने डॉ. अभिजीत शेठ को एनएमसी प्रमुख नियुक्त किया। फिलहाल वे कुछ महीनों तक NBEMS के अध्यक्ष बने रहेंगे, क्योंकि अगस्त 2025 में NEET-PG परीक्षा आयोजित की जानी है। परीक्षा के बाद वे पूरी तरह NMC की जिम्मेदारी संभालेंगे।
भ्रष्टाचार के मामले ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में सीबीआई ने एनएमसी में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। इसमें मेडिकल कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट लीक करने, फर्जी स्टाफ और मरीजों के उपयोग, और निजी कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए रिश्वत लेने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इस एफआईआर में डॉ. गंगाधर का नाम नहीं है, लेकिन इसमें 34 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें शामिल हैं:
पूर्व यूजीसी अध्यक्ष डॉ. डी. पी. सिंह
स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी के अधिकारी
निरीक्षण टीम के सदस्य
कई निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि
इस मामले ने देश में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और निरीक्षण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नई जिम्मेदारी, नई उम्मीदें
अब डॉ.अभिजीत शेठ पर दोहरी जिम्मेदारी है—NEET-PG परीक्षा का सफल संचालन और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे NMC को पारदर्शी और प्रभावी संस्था बनाना। चिकित्सा शिक्षा में सुधार और निरीक्षण प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने की दिशा में यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह पर चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा (संसद के उच्च सदन) में नामित किया है। यह कदम क़ानून, शिक्षा, कूटनीति और सामाजिक सेवा जैसे विविध क्षेत्रों से विशेषज्ञता को संसद में प्रतिनिधित्व देने की दिशा में उठाया गया है।
कौन हैं नए राज्यसभा सदस्य?
नामित किए गए चार सदस्य हैं:
उज्ज्वल निकम – एक प्रसिद्ध वकील, जो कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं।
सी. सदानंदन मास्टर – एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने युवाओं के सशक्तिकरण और समाजसेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है।
हर्षवर्धन श्रृंगला – वरिष्ठ राजनयिक और भारत के पूर्व विदेश सचिव, जिन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. मीनाक्षी जैन – एक सम्मानित इतिहासकार और शिक्षाविद, जो शिक्षा, राजनीति शास्त्र और साहित्य के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखती हैं।
इन नियुक्तियों से सेवानिवृत्त नामित सदस्यों की जगह को भरा गया है और राज्यसभा में नए दृष्टिकोण और अनुभव लाने की उम्मीद है।
संविधान क्या कहता है?
ये नामांकन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) के अंतर्गत किए गए हैं, जो राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले अधिकतम 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकें।
इन नामांकनों का उद्देश्य संसद में विशेषज्ञता और विविध विचारों को शामिल करना है, जिससे बहसें अधिक सारगर्भित हों और विधायी प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली बने।
भारत और सऊदी अरब ने उर्वरकों की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौते केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा की 11 से 13 जुलाई 2025 तक दम्माम और रियाद में हुई तीन दिवसीय यात्रा के दौरान हुए। इस पहल का उद्देश्य भारत की उर्वरक आवश्यकताओं को सुरक्षित करना और स्वास्थ्य व औषधि क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत बनाना है।
उर्वरक व्यापार को नई दिशा
रसायन और उर्वरक मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब गया। वहां सऊदी अरब के उद्योग और खनिज संसाधन मंत्री बंदर बिन इब्राहीम अल खुरायफ के साथ मिलकर उन्होंने माडेन (Ma’aden) कंपनी और भारतीय कंपनियों – आईपीएल, कृभको और सीआईएल – के बीच दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों का निरीक्षण किया।
इस नए समझौते के तहत भारत को 2025–26 से शुरू होकर प्रति वर्ष 31 लाख मीट्रिक टन डायअमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक मिलेगा, जो पाँच वर्षों तक लागू रहेगा। आपसी सहमति से इसे पाँच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है। यह 2024–25 में आयात किए गए 19 लाख मीट्रिक टन की तुलना में बड़ी वृद्धि है।
उर्वरक सुरक्षा और निवेश को बढ़ावा
दोनों देशों ने DAP के अलावा यूरिया और अन्य प्रमुख उर्वरकों के क्षेत्र में सहयोग को विस्तार देने पर सहमति जताई। आपसी निवेश को लेकर भी बातचीत हुई, जिसमें भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने सऊदी उर्वरक उद्योग में निवेश में रुचि दिखाई। बदले में, सऊदी कंपनियां भी भारत में निवेश के अवसर तलाशेंगी।
भारत-केंद्रित अनुकूलित उर्वरकों पर अनुसंधान के लिए एक संयुक्त कार्यदल गठित किया गया है, ताकि कृषि उत्पादकता और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिल सके।
स्वास्थ्य और औषधि क्षेत्र में सहयोग
यात्रा के दौरान नड्डा ने सऊदी अरब के उपस्वास्थ्य मंत्री अब्दुलअज़ीज अल-रुमैह से मुलाकात की। इसमें चिकित्सा सेवाओं, डिजिटल स्वास्थ्य, औषधि उत्पादन और ज्ञान साझाकरण में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की सऊदी यात्रा में हुए स्वास्थ्य समझौते (MoU) की भी सराहना की गई।
इसके अलावा नड्डा ने सऊदी ऊर्जा मंत्री और रणनीतिक साझेदारी परिषद के सह-अध्यक्ष प्रिंस अब्दुलअज़ीज बिन सलमान अल सऊद से भी भेंट की और द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की।
औद्योगिक भ्रमण और भविष्य की दिशा
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रास अल खैर स्थित माडेन के फॉस्फेट संयंत्र का दौरा भी किया, जहां उनका स्वागत माडेन फॉस्फेट के चेयरमैन हसन अल अली ने किया। माडेन भारत को उर्वरकों की आपूर्ति करने वाली एक प्रमुख कंपनी है, और यह दौरा दोनों देशों के औद्योगिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में अहम रहा।
ये समझौते भारत के किसानों के लिए स्थिर उर्वरक आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे और खाद्य सुरक्षा के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगे। साथ ही, स्वास्थ्य और औषधि जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर भी खुलेंगे।
भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास एक्सरसाइज़ टैलिस्मन सेबर में भाग लिया है, जो भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह सैन्य अभ्यास 13 जुलाई 2025 को आधिकारिक रूप से शुरू हुआ, जिसमें अमेरिका सहित 19 देशों की सेनाएं हिस्सा ले रही हैं। इस भागीदारी से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सुरक्षा भूमिका और अधिक मज़बूत हुई है।
भारत की ऐतिहासिक भागीदारी ऑस्ट्रेलिया में आयोजित इस उच्च स्तरीय युद्धाभ्यास में भारत की पहली भागीदारी को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सैन्य कदम माना जा रहा है। इस बात की जानकारी ऑस्ट्रेलिया के भारत में उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर साझा की। यह अभ्यास भारत की बढ़ती वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा भागीदारी को दर्शाता है।
टैलिस्मन सेबर 2025 के बारे में एक्सरसाइज़ टैलिस्मन सेबर 2025 इस अभ्यास का 11वां संस्करण है और अब तक ऑस्ट्रेलिया में हुआ सबसे बड़ा सैन्य युद्धाभ्यास है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, भारत समेत 19 देशों के 35,000 से अधिक सैनिक भाग ले रहे हैं। यह अभ्यास क्वींसलैंड, नॉर्दर्न टेरिटरी, न्यू साउथ वेल्स, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और क्रिसमस द्वीप तक फैला है। इस बार पहली बार पापुआ न्यू गिनी में भी युद्धाभ्यास आयोजित किया जा रहा है।
उद्घाटन समारोह HMAS Adelaide युद्धपोत पर हुआ, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के वाइस एडमिरल जस्टिन जोन्स और अमेरिका के लेफ्टिनेंट जनरल जोएल बी. वॉवेल ने गार्डन आइलैंड, सिडनी में नेतृत्व किया।
अभ्यास के उद्देश्य और गतिविधियाँ इस अभ्यास में लाइव फायर ड्रिल, फील्ड ट्रेनिंग, समुद्री और वायु अभियान, उभयचर लैंडिंग और संयुक्त सैन्य रणनीति जैसे युद्ध कौशल शामिल हैं। साथ ही, इसमें ऑस्ट्रेलिया के नए रक्षा उपकरणों जैसे UH-60M ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर और प्रिसीजन स्ट्राइक मिसाइल का प्रदर्शन भी किया जाएगा।
भाग लेने वाले अन्य देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, फिलीपींस आदि शामिल हैं, जबकि मलेशिया और वियतनाम पर्यवेक्षक देशों के रूप में उपस्थित हैं। इस बहुपक्षीय सहयोग का उद्देश्य संयुक्त रक्षा तैयारियों को मज़बूत करना, रणनीतिक ज्ञान साझा करना और क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देना है।
पोलैंड की इगा स्वियाटेक ने 12 जुलाई 2025 को अपने करियर का पहला विंबलडन खिताब जीत लिया। उन्होंने फाइनल में अमेरिका की अमांडा अनीसिमोवा को सिर्फ 57 मिनट में 6-0, 6-0 से हरा दिया। यह मुकाबला टेनिस इतिहास के सबसे एकतरफा महिला फाइनल्स में से एक बन गया। “डबल बैगेल” स्कोरलाइन (दोनों सेट में 6-0) के साथ यह जीत इतिहास में दर्ज हो गई और इगा स्वियाटेक के करियर में एक और ग्रैंड स्लैम खिताब जुड़ गया।
स्वियातेक की शानदार विजय
24 वर्षीय इगा स्वियाटेक ने ऑल इंग्लैंड क्लब के सेंटर कोर्ट पर पूरी तरह से दबदबा बनाया और अनीसिमोवा को अपने खेल में ढलने का कोई मौका नहीं दिया। इगा स्वियाटेक ने कुल 79 में से 55 अंक जीते, जबकि केवल 10 विनर लगाए। अनीसिमोवा की 28 अनफोर्स्ड एरर्स ने उनके लिए हालात और मुश्किल बना दिए। ग्रैंड स्लैम इतिहास में यह सिर्फ तीसरी बार हुआ है जब महिला फाइनल 6-0, 6-0 से समाप्त हुआ, और ऐसा पिछली बार 1988 में हुआ था।
इस जीत से इगा स्वियाटेक को अपना छठा ग्रैंड स्लैम खिताब मिला, और पहली बार घास (grass court) पर ट्रॉफी उठाई। वह अब एकमात्र सक्रिय महिला खिलाड़ी हैं जिनके पास क्ले, हार्ड और ग्रास—तीनों सतहों पर मेजर खिताब हैं। यह उनकी ग्रैंड स्लैम में 100वीं जीत भी थी, जिसे उन्होंने सिर्फ 120 मैचों में हासिल किया—इतिहास के सबसे तेज़ रिकॉर्ड में से एक।
अनीसिमोवा का कठिन दिन
23 वर्षीय अमांडा अनीसिमोवा ने अपने पहले ग्रैंड स्लैम फाइनल तक पहुंचने के दौरान शानदार प्रदर्शन किया था, जिसमें उन्होंने सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर 1 आर्यना सबालेंका को हराया। लेकिन फाइनल में वह इगा स्वियाटेक की तेज़ी और रणनीति का सामना नहीं कर सकीं और कई गलतियां कर बैठीं। मैच के बाद वह बेंच पर बैठकर रोती नज़र आईं, जबकि इगा स्वियाटेक ने अपनी टीम के साथ जश्न मनाया।
अनीसिमोवा ने दो साल पहले मानसिक स्वास्थ्य के कारण टेनिस से ब्रेक लिया था और हाल ही में दृढ़ संकल्प के साथ वापसी की। पिछले साल तो वह विंबलडन के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पाई थीं, लेकिन इस बार फाइनल में पहुंचने के कारण अब वह पहली बार डब्ल्यूटीए टॉप 10 में जगह बनाएंगी।
इगा स्वियाटेक की वापसी की कहानी
इगा स्वियाटेक ने जून 2024 के फ्रेंच ओपन के बाद कोई खिताब नहीं जीता था और उनकी फॉर्म में गिरावट आई थी। इस वजह से विंबलडन में उन्हें आठवीं वरीयता मिली। 2024 में उन्हें एक महीने का डोपिंग बैन भी झेलना पड़ा था, जो बाद में एक चिकित्सीय पदार्थ के आकस्मिक संपर्क के रूप में स्पष्ट हुआ। इन सभी बाधाओं के बावजूद उन्होंने कोच की रणनीतियों पर भरोसा करते हुए घास पर अपना खेल निखारा और धमाकेदार वापसी की।
जीत के बाद उन्होंने कहा, “मैंने तो इसका सपना भी नहीं देखा था, मेरी टीम ने मुझ पर मुझसे ज़्यादा विश्वास किया।” इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान शाही बॉक्स में मौजूद कैथरीन, प्रिंसेस ऑफ वेल्स ने पुरस्कार समारोह में भाग लिया।
विश्व नंबर एक जानिक सिनर ने ऑल इंग्लैंड क्लब पर इतिहास रचते हुए पहली बार विंबलडन ट्रॉफी अपने नाम की। सिनर ने ग्रासकोर्ट पर लगातार दो वर्ष से खिताब जीतने वाले स्पेन के कार्लोस अल्कराज को तीन घंटे चले फाइनल मुकाबले में 4-6, 6-4, 6-4, 6-4 से हराकर खिताब जीता। सिनर विंबडलन खिताब जीतने वाले इटली के पहले खिलाड़ी बने। इसके साथ ही सिनर ने पिछले महीने फ्रेंच ओपन के फाइनल में अल्कराज से मिली हार का भी हिसाब चुकता कर लिया। यह सिनर के करियर का चौथा ग्रैंड स्लैम खिताब है।
सिनर की विंबलडन में बड़ी जीत
23 वर्षीय इटली के जानिक सिनर ने स्पेन के 22 वर्षीय कार्लोस अल्कराज को सेंटर कोर्ट, ऑल इंग्लैंड क्लब में खेले गए मुकाबले में चार सेटों में 4-6, 6-4, 6-4, 6-4 से हराया। इस जीत के साथ अल्कराज की 24 मैचों की अपराजेय लय और विंबलडन में 20 मैचों की जीत की श्रृंखला का अंत हो गया।
सिनर ने पूरे मैच में जबरदस्त एकाग्रता और ऊर्जा दिखाई, खासकर तब जब दबाव बहुत ज़्यादा था। चौथे सेट में, जब वह अपनी सर्विस पर 15-40 से पिछड़ रहे थे, तब उन्होंने दो ब्रेक प्वाइंट बचाए और अंत में मैच जीत लिया। जीतने के बाद वह घास पर झुककर खुशी से झूम उठे और ज़मीन पर मुक्के मारकर अपनी खुशी जताई।
एक यादगार प्रतिद्वंद्विता
यह विंबलडन फाइनल जून 2025 के फ्रेंच ओपन फाइनल का रीमैच था, जहां अल्कराज ने सिनर को पांच सेटों के रोमांचक मुकाबले में हराया था। उस हार से सिनर बेहद आहत हुए थे, लेकिन विंबलडन में उनकी वापसी ने उनके मानसिक मजबूती का प्रमाण दिया। अब इन दोनों खिलाड़ियों ने पिछले सात ग्रैंड स्लैम खिताबों में से चार-चार आपस में बांटे हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि ये दोनों आज के पुरुष टेनिस के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं।
आखिरी बार जब एक ही साल में फ्रेंच ओपन और विंबलडन के फाइनल में एक ही जोड़ी पहुंची थी, वह 2006, 2007 और 2008 में राफेल नडाल और रोजर फेडरर के बीच हुआ था।
सिनर का शानदार सीज़न
सिनर लगातार चार ग्रैंड स्लैम फाइनल में खेल चुके हैं—यूएस ओपन (सितंबर 2024), ऑस्ट्रेलियन ओपन (जनवरी 2025) और अब विंबलडन 2025 जीतकर उन्होंने अपनी ताकत और निरंतरता साबित की है। सेमीफाइनल में उन्होंने दिग्गज नोवाक जोकोविच को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने अपनी दाहिनी कोहनी में चोट के बावजूद बाजू पर सुरक्षा पट्टी बांधकर खेला और कभी दर्द जाहिर नहीं किया। उन्होंने दिखा दिया कि वह अब टेनिस जगत के सबसे भरोसेमंद और शक्तिशाली खिलाड़ियों में से एक हैं।
महाराष्ट्र के सतारा की अधिवक्ता वरषा देशपांडे को 2025 का संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें लिंग समानता को बढ़ावा देने और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को रोकने के लिए किए गए आजीवन कार्यों के लिए दिया गया। यह पुरस्कार विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई 2025) को न्यूयॉर्क में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया गया।
बेटी बचाने को समर्पित जीवन
वरषा देशपांडे, दलित महिला विकास मंडल की सचिव हैं, जिसे उन्होंने 1990 में स्थापित किया था। पिछले तीन दशकों से वे लिंग आधारित भ्रूण हत्या के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं और विशेष रूप से हाशिये पर मौजूद महिलाओं और लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही हैं।
वे अवैध लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या से जुड़ी गतिविधियों को उजागर करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन के लिए जानी जाती हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारत में PCPNDT कानून (पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम) के प्रभावी क्रियान्वयन में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। उनका कार्यक्षेत्र बाल विवाह की रोकथाम, कानूनी सुधार, और महिलाओं की आर्थिक स्वावलंबन योजनाओं तक फैला हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र की सराहना और आयोजन की मुख्य बातें
पुरस्कार प्राप्त करते हुए, वरषा देशपांडे ने कहा कि यह सम्मान सिर्फ उनका व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का है जो सामाजिक न्याय और महिला अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने उन्हें लिंग, जाति और धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव जैसे गहरे मुद्दों को संबोधित करने के लिए सराहा। UNFPA इंडिया की प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोजनर ने कहा कि देशपांडे के प्रयासों ने प्रजनन अधिकारों और महिलाओं व लड़कियों की गरिमा को स्थायी रूप से मजबूत किया है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार के बारे में
यह पुरस्कार 1981 में स्थापित किया गया था और पहली बार 1983 में प्रदान किया गया। हर साल यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जिन्होंने जनसंख्या और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। विजेता को एक स्वर्ण पदक, प्रशस्ति पत्र, और नकद पुरस्कार दिया जाता है। इस वर्ष वरषा देशपांडे को व्यक्तिगत श्रेणी में यह सम्मान प्राप्त हुआ है। इस पुरस्कार का प्रमुख उद्देश्य ऐसे जमीनी कार्यकर्ताओं के प्रयासों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है, जो समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए कार्यरत हैं।