शुभमन गिल और सोफिया डंकले ने जीता जुलाई का ‘ICC प्लेयर ऑफ द मंथ’ का खिताब

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने जुलाई 2025 के लिए शुभमन गिल को पुरुष खिलाड़ी ऑफ द मंथ और सोफिया डंकले को महिला खिलाड़ी ऑफ द मंथ चुना है, उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन की मान्यता में।

पुरुष खिलाड़ी ऑफ द मंथ – शुभमन गिल (भारत)

कप्तान के रूप में दमदार डेब्यू सीरीज़
अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ में भारत के कप्तान के रूप में शुभमन गिल ने इंग्लैंड के खिलाफ एंडरसन–तेंदुलकर ट्रॉफी में बेहतरीन बल्लेबाज़ी प्रदर्शन किया, जो 2–2 की बराबरी पर समाप्त हुई। उन्होंने इंग्लैंड के बेन स्टोक्स और दक्षिण अफ्रीका के वियान मुल्डर को पछाड़कर यह पुरस्कार जीता।

शानदार बल्लेबाज़ी आँकड़े (जुलाई 2025)

  • रन: 3 टेस्ट में 567

  • औसत: 94.50

  • शतक: 3 (जिसमें एक दोहरा शतक शामिल)

  • पूरी सीरीज़: 5 टेस्ट में 754 रन – प्लेयर ऑफ द सीरीज़

टूटे रिकॉर्ड

  • इंग्लैंड में दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय कप्तान।

  • इंग्लैंड में किसी भारतीय का सर्वाधिक टेस्ट स्कोर (269)।

  • सचिन तेंदुलकर का एशिया से बाहर सर्वोच्च विदेशी स्कोर पार किया।

  • एक ही टेस्ट में 430 रन – इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत योग।

महिला खिलाड़ी ऑफ द मंथ – सोफिया डंकले (इंग्लैंड)

लगातार मैच जिताने वाले प्रदर्शन
इंग्लैंड की बल्लेबाज़ सोफिया डंकले ने भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के दम पर अपना पहला ICC महिला खिलाड़ी ऑफ द मंथ पुरस्कार जीता। उन्होंने सोफी एक्लेस्टोन और गैबी लुईस को पीछे छोड़ा।

मुख्य योगदान

T20I सीरीज़:

  • 75 रन (53 गेंदों) की पारी से 6 रन की करीबी जीत में योगदान।

  • अंतिम T20I में 46 रन (30 गेंदें) बनाकर आखिरी गेंद पर जीत दिलाई।

  • कुल: 144 रन, औसत: 36, स्ट्राइक रेट: 134.57।

ODI सीरीज़:

  • पहले ODI में 83 रन।

  • वर्षा प्रभावित दूसरे ODI में नाबाद।

  • तीसरे ODI में रन आउट होने से पहले 34 रन।

  • कुल: 126 रन, औसत: 63, स्ट्राइक रेट: 91.97।

पुराने वाहन प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट की राहत: पर्यावरण बनाम नागरिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली–राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के वाहन मालिकों को अस्थायी राहत देते हुए पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध के तात्कालिक प्रवर्तन पर रोक लगा दी है। यह राहत निम्न श्रेणी के वाहनों के लिए लागू होगी:

  • 10 साल से पुराने डीज़ल वाहन

  • 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन

यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेती, जिसमें मौजूदा प्रतिबंध की समीक्षा की मांग की गई है।

पृष्ठभूमि: प्रतिबंध क्यों लगाया गया था

  • 2015 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दिल्ली–NCR में पुराने वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध (ब्लैंकेट बैन) लगाया, ताकि गंभीर वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

  • ब्लैंकेट बैन का मतलब है—एक ऐसा नियम जो बिना किसी अपवाद के सभी पर लागू हो। इस मामले में, सभी 10 साल से पुराने डीज़ल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन, उनकी वास्तविक प्रदूषण उत्सर्जन या स्थिति की परवाह किए बिना, प्रतिबंधित कर दिए गए।

  • 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को बरकरार रखते हुए इसे कानूनी रूप से लागू करने योग्य बना दिया।

दिल्ली सरकार का रुख
दिल्ली सरकार का तर्क है कि यह उम्र-आधारित प्रतिबंध अब पुराना और अनुचित है, और जिम्मेदार वाहन मालिकों के लिए व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा कर रहा है। उनका मानना है कि:

  • प्रदूषण स्तर का आकलन वैज्ञानिक तरीके से, वास्तविक उत्सर्जन के आधार पर होना चाहिए, केवल वाहन की उम्र से नहीं।

  • तकनीकी प्रगति, जैसे:

    • BS-VI उत्सर्जन मानक

    • व्यापक PUC (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) कवरेज

    • उत्सर्जन मानकों की कड़ी निगरानी
      उम्र-आधारित पूर्ण प्रतिबंध को अनावश्यक बनाती है।

  • वर्तमान नीति को बदलकर एक ग्रेडेड, तकनीकी-आधारित नीति लानी चाहिए, जिसमें ध्यान दिया जाए:

    • वास्तविक उत्सर्जन स्तर

    • वाहन की माइलेज और स्थिति

    • नियमित फिटनेस टेस्ट

    • सीएनजी या इलेक्ट्रिक कन्वर्ज़न जैसी रेट्रोफिटिंग विकल्पों पर

दिल्ली सरकार की अदालत से मांग

  • केंद्र या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को इस प्रतिबंध की प्रासंगिकता पर वैज्ञानिक अध्ययन कराने का निर्देश।

  • ऐसी संतुलित नीति बनाना, जो पर्यावरण की रक्षा करे और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान भी।

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का महत्व

  • फिलहाल, कानूनी उम्र सीमा से अधिक पुराने वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई (जैसे जुर्माना, वाहन ज़ब्ती) नहीं होगी।

  • यह मामला पर्यावरण कानून में नीति निर्माण के लिए व्यापक प्रभाव डाल सकता है, और यह दिखाता है कि कानूनी ढांचे को तकनीकी प्रगति और सामाजिक वास्तविकताओं के अनुसार कैसे बदला जा सकता है।

परीक्षा दृष्टि से महत्व
यह मामला जीवंत उदाहरण है:

  • पर्यावरणीय शासन बनाम व्यक्तिगत अधिकार

  • पुरानी नीतियों में संशोधन या पुनर्मूल्यांकन में न्यायिक समीक्षा की भूमिका

  • भारत में प्रमाण-आधारित नीति निर्माण की आवश्यकता

MERITE: तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र ने शुरू की नई योजना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान सुधार तकनीकी शिक्षा योजना (MERITE) को मंजूरी दे दी है। यह ₹4,200 करोड़ की केंद्रीय क्षेत्र योजना है, जिसका उद्देश्य भारत में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और सुशासन में सुधार करना है। यह योजना 2025-26 से 2029-30 तक पांच वर्षों में लागू होगी और इसके तहत 275 संस्थानों — 175 इंजीनियरिंग कॉलेज और 100 पॉलिटेक्निक संस्थान — को शामिल किया जाएगा।

वित्तपोषण और क्रियान्वयन

  • कुल व्यय: ₹4,200 करोड़

  • विश्व बैंक सहायता: ₹2,100 करोड़ का ऋण

  • अवधि: 5 वर्ष (2025–2030)

  • कवरेज: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक संस्थान

  • मुख्य साझेदार: आईआईटी, आईआईएम, एआईसीटीई, एनबीए और अन्य नियामक संस्थाएं

योजना के प्रमुख उद्देश्य

  • अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना:

    • अनुसंधान केंद्र, इनक्यूबेशन सेंटर और नवाचार प्रयोगशालाएं स्थापित करना

    • उद्योग–शैक्षणिक संस्थान सहयोग को मजबूत करना

  • रोज़गार क्षमता में सुधार:

    • पाठ्यक्रम को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार अद्यतन करना

    • इंटर्नशिप, स्किल लैब और मेकर स्पेस की शुरुआत

    • भाषा एवं संचार कार्यशालाएं आयोजित करना

  • सुशासन और गुणवत्ता आश्वासन को सुदृढ़ करना:

    • मान्यता और गुणवत्ता के लिए ढांचा विकसित करना

    • महिला संकाय पर विशेष ध्यान देते हुए शैक्षणिक प्रशासकों को प्रशिक्षित करना

  • बहु-विषयक शिक्षा को प्रोत्साहन:

    • तकनीकी पाठ्यक्रमों में बहु-विषयक कार्यक्रमों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करना

    • इंजीनियरिंग, प्रबंधन और अन्य विषयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना

प्रमुख अपेक्षित परिणाम
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह योजना —

  • 7.5 लाख से अधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित करेगी

  • तकनीकी संस्थानों की मान्यता दर में वृद्धि करेगी

  • तकनीकी पाठ्यक्रमों को बाजार के अनुरूप आधुनिक बनाएगी

  • संकाय के अनुसंधान उत्पादन और उद्योग–शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करेगी

  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा के डिजिटल परिवर्तन के लिए तैयार करेगी

सरकारी वक्तव्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत में “अनुसंधान, नवाचार और स्किलिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने वाला कदम” बताया।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि MERITE सरकार की “भारत की शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन और क्रांति लाने की प्रतिबद्धता” को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह नीति हस्तक्षेप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।

पृष्ठभूमि और आवश्यकता
विश्व बैंक की 2023 की मूल्यांकन रिपोर्ट में भारतीय इंजीनियरिंग संस्थानों में कम अनुसंधान उत्पादन और कमजोर नवाचार संबंधों की पहचान की गई थी। MERITE योजना इन चुनौतियों को सीधे संबोधित करती है, जिसमें अनुसंधान सुविधाओं के लिए धन, संकाय विकास कार्यक्रम और उद्योग साझेदारी को बढ़ावा शामिल है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए दो और रक्षा औद्योगिक गलियारों की घोषणा

रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सरकार आने वाले महीनों में दो नए रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना करने जा रही है — एक महाराष्ट्र में और दूसरा असम में। यह निर्णय 2018 में शुरू किए गए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के दो मौजूदा गलियारों की सफलता के बाद लिया गया है, जिन्होंने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।

पृष्ठभूमि: भारत में रक्षा औद्योगिक गलियारे
रक्षा औद्योगिक गलियारों की अवधारणा 2017–18 में पेश की गई थी, ताकि रक्षा विनिर्माण और नवाचार के लिए विशेष केंद्र विकसित किए जा सकें। इसके उद्देश्य थे —

  • स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना: आयात पर निर्भरता कम कर मजबूत घरेलू विनिर्माण आधार बनाना।

  • नवाचार को प्रोत्साहन: उन्नत रक्षा तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना।

  • रोज़गार सृजन: विनिर्माण, इंजीनियरिंग और सहायक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराना।

  • सहयोग को बढ़ावा देना: सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs), निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों को एक मंच पर लाना।

  • निवेश आकर्षित करना: घरेलू और विदेशी पूंजी को आमंत्रित करना।

  • निर्यात क्षमता: भारत को वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करना।

मौजूदा गलियारे: सफलता की कहानियां

  • उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा

    • नोड्स: लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, आगरा

    • मजबूती: औद्योगिक बुनियादी ढांचा, कुशल जनशक्ति और उत्कृष्ट संपर्क व्यवस्था।

  • तमिलनाडु रक्षा गलियारा

    • नोड्स: चेन्नई, होसुर, कोयंबटूर, सलेम, तिरुचिरापल्ली (त्रिची)

    • मजबूती: मजबूत विनिर्माण आधार, कुशल कार्यबल और बंदरगाह तक पहुंच।

नए गलियारे: महाराष्ट्र और असम

  • महाराष्ट्र गलियारा

    • प्रस्तावित तीन औद्योगिक क्लस्टर:

      1. संभाजीनगर–अहिल्यानगर–पुणे

      2. नाशिक–धुले

      3. नागपुर

    • यह राज्य के मौजूदा औद्योगिक ढांचे, विशेषकर ऑटोमोबाइल और प्रिसीजन इंजीनियरिंग क्षेत्र की क्षमता पर आधारित होगा।

  • असम गलियारा

    • स्थान अभी तय नहीं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 2025 की शुरुआत से इस परियोजना के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं।

    • यह गलियारा —

      • पूर्वी सीमा क्षेत्र की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

      • पूर्वोत्तर में आर्थिक अवसर पैदा करेगा।

      • मेक इन इंडिया पहल को मजबूती देगा।

रक्षा उत्पादन में मौजूदा उपलब्धियां
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन ₹1,50,590 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक और 2019–20 की तुलना में 90% वृद्धि है।

  • सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान: 77% (डीपीएसयू और अन्य पीएसयू)

  • निजी क्षेत्र का योगदान: 23% (पिछले वर्ष के 21% से अधिक)

नए गलियारों का सामरिक महत्व

  • संतुलित क्षेत्रीय विकास: पश्चिम (महाराष्ट्र) और पूर्व (असम) के गलियारे उत्तर–दक्षिण नेटवर्क को पूरक करेंगे।

  • बढ़ी हुई रक्षा क्षमता: सामरिक सीमाओं और परिचालन कमांड के निकटता से लाभ।

  • निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन: विनिर्माण और नवाचार में भागीदारी बढ़ेगी।

कर्नाटक में GST चोरी के मामले वित्त वर्ष 2025 में पांच गुना बढ़कर 39,577 करोड़ रुपये हो गए

कर्नाटक में 2024–25 वित्त वर्ष के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (GST) चोरी के मामलों में भारी उछाल दर्ज किया गया। केंद्रीय जीएसटी (CGST) विभाग ने ₹39,577 करोड़ की कर चोरी का पता लगाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में पांच गुना से अधिक है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लिखित जवाब में दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्रीय अधिकारियों ने केवल UPI लेनदेन के आधार पर कोई नोटिस जारी नहीं किया है।

वित्त वर्ष 2024–25 में GST चोरी का सार

  • कुल चोरी की राशि: ₹39,577 करोड़

  • कुल मामले: 1,254

  • गिरफ्तारियां: 9

  • स्वैच्छिक कर भुगतान: ₹1,623 करोड़

सीजीएसटी अधिकारियों की सघन जांच और प्रवर्तन कार्रवाई के चलते यह वृद्धि सामने आई है।

कर्नाटक में वर्षवार GST चोरी के आंकड़े

  • 2024–25: 1,254 मामले, ₹39,577 करोड़ चोरी, 9 गिरफ्तारियां, ₹1,623 करोड़ स्वैच्छिक भुगतान

  • 2023–24: 925 मामले, ₹7,202 करोड़ चोरी, 2 गिरफ्तारियां, ₹1,197 करोड़ स्वैच्छिक भुगतान

  • 2022–23: 959 मामले, ₹25,839 करोड़ चोरी, 2 गिरफ्तारियां, ₹1,705 करोड़ स्वैच्छिक भुगतान

UPI लेनदेन आधारित नोटिस पर स्पष्टीकरण
बेंगलुरु के छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को डिजिटल लेनदेन के आधार पर उच्च मूल्य के जीएसटी नोटिस मिलने की खबरों पर वित्त मंत्री ने कहा:

  • केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने केवल UPI लेनदेन के आधार पर कोई नोटिस जारी नहीं किया।

  • रिपोर्ट किए गए नोटिस राज्य जीएसटी कार्यालयों द्वारा भेजे गए थे, न कि केंद्रीय विभाग द्वारा।

सरकार की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री के बयान ने जीएसटी प्रवर्तन को लेकर व्यापारियों की चिंताओं को संबोधित किया और कर्नाटक में कर चोरी के मामलों में तेज़ वृद्धि पर प्रकाश डाला। अधिकारियों के अनुसार, इस बढ़ोतरी के पीछे बेहतर डेटा एनालिटिक्स, सूचना-साझाकरण और लक्षित निरीक्षण प्रमुख कारण हैं।

Axis Bank ने ग्राहकों को डिजिटल बैंकिंग धोखाधड़ी से बचाने के लिए ‘लॉक एफडी’ सुविधा शुरू की

इंटरनेट बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही बैंक ग्राहकों में ऑनलाइन धोखाधड़ी को लेकर चिंता भी बढ़ गई है। फ़िशिंग, मालवेयर अटैक और अकाउंट हैकिंग जैसे मामलों ने कई जमाकर्ताओं को उनकी मेहनत की कमाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित कर दिया है।

इन जोखिमों से निपटने के लिए, निजी क्षेत्र के अग्रणी ऋणदाता एक्सिस बैंक ने ग्राहकों की सावधि जमा (टर्म डिपॉज़िट) को अनधिकृत डिजिटल लेन-देन से बचाने के लिए एक सुरक्षा-केंद्रित पहल शुरू की है।

‘लॉक एफडी’ फीचर की शुरुआत

नया लॉन्च किया गया ‘लॉक एफडी’ फीचर एक्सिस बैंक ग्राहकों को उनकी फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) को डिजिटल चैनलों के माध्यम से समय से पहले बंद होने से बचाने की सुविधा देता है।

  • एक बार सक्रिय होने पर, मोबाइल बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए एफडी बंद करने का विकल्प निष्क्रिय हो जाता है।

  • लॉक की गई एफडी को बंद करने का एकमात्र तरीका है—एक्सिस बैंक की शाखा में व्यक्तिगत रूप से जाकर अनुरोध करना।

  • यह कदम धोखाधड़ी के कारण समय से पहले एफडी बंद होने के जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है।

‘लॉक एफडी’ कैसे काम करता है

जब कोई ग्राहक ‘लॉक एफडी’ सक्रिय करता है:

  • डिजिटल क्लोजर ब्लॉक – एफडी को इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग से बंद नहीं किया जा सकता।

  • केवल शाखा के माध्यम से – एफडी बंद करने के लिए ग्राहक को एक्सिस बैंक शाखा में जाना होगा।

  • व्यक्तिगत सत्यापन – बैंक पहचान की जांच और भौतिक सत्यापन के बाद ही एफडी बंद करने की प्रक्रिया पूरी करता है।

इस प्रक्रिया से, यदि किसी धोखेबाज़ को ग्राहक के डिजिटल क्रेडेंशियल्स मिल भी जाएं, तब भी वह समय से पहले एफडी बंद नहीं कर पाएगा।

शाखा सत्यापन से अतिरिक्त सुरक्षा

शाखा में जाकर लॉक एफडी बंद करने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि:

  • धोखेबाज़ समझौता किए गए लॉगिन विवरण का दुरुपयोग नहीं कर सकते।

  • डिजिटल बैंकिंग से कम परिचित ग्राहकों को साइबर खतरों से अधिक सुरक्षा मिलती है।

  • शाखा में पहचान सत्यापन डिजिटल सुरक्षा के साथ एक मानवीय सुरक्षा परत जोड़ता है।

‘लॉक एफडी’ कैसे सक्रिय करें

ग्राहक यह फीचर दो सरल तरीकों से सक्रिय कर सकते हैं:

  1. एक्सिस बैंक मोबाइल ऐप के माध्यम से – लॉगिन करें, एफडी विवरण में जाएं और ‘लॉक एफडी’ सक्षम करें।

  2. शाखा में जाकर – किसी भी एक्सिस बैंक शाखा में जाएं और बैंक प्रतिनिधि से सक्रिय करने का अनुरोध करें।

एक्सिस बैंक के अन्य सुरक्षा उपाय

‘लॉक एफडी’ के अलावा, एक्सिस बैंक ने डिजिटल ट्रांज़ैक्शन सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मोबाइल ऐप में इन-ऐप मोबाइल ओटीपी फीचर भी लॉन्च किया है।

  • दुर्भावनापूर्ण ऐप्स द्वारा ओटीपी इंटरसेप्शन को रोकता है।

  • डिजिटल ट्रांज़ैक्शन के लिए प्रमाणीकरण को मजबूत करता है।

  • ऑनलाइन बैंकिंग सुरक्षा को समग्र रूप से बढ़ाता है।

एक्सिस बैंक एफडी ब्याज दरें (6 अगस्त 2025 से प्रभावी)

  • साधारण नागरिकों के लिए: 3% – 6.6% (₹3 करोड़ से कम राशि वाली एफडी पर)

  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए: 3.5% – 7.10% (₹3 करोड़ से कम राशि वाली एफडी पर)

ये दरें प्रतिस्पर्धी हैं और उन ग्राहकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से तय की गई हैं जो सुरक्षित निवेश विकल्प के साथ अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाएं चाहते हैं।

जुलाई 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 8 साल के निचले स्तर 1.55% पर

भारत की खुदरा महंगाई जुलाई 2025 में घटकर 8 साल के निचले स्तर 1.55% पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में आई भारी गिरावट है। यह पहली बार है जब छह साल से अधिक समय में महंगाई भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2% से 6% के सहनशीलता दायरे से नीचे गई है। इससे पहले, जून 2017 में महंगाई इससे कम दर्ज हुई थी।

पिछले महीनों से तेज गिरावट
जुलाई में खुदरा महंगाई अप्रैल 2025 के 3.16% और जुलाई 2024 के 3.54% से घटकर आई। रॉयटर्स के 50 अर्थशास्त्रियों के सर्वे में 1.76% की उम्मीद जताई गई थी, लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे भी कम रहे।

खाद्य कीमतों में तेज गिरावट
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में लगभग 50% हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य महंगाई जुलाई में -1.76% रही, जो जून के -1.06% से भी कम है। असमान मानसून के बावजूद, मजबूत रबी फसल ने खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद की, जिससे एक दशक से अधिक समय में सबसे लंबी डिसइन्फ्लेशन की अवधि दर्ज हुई।

RBI की मौद्रिक नीति का संदर्भ
महंगाई के ये आंकड़े RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो दर को 5.50% पर स्थिर रखने के एक सप्ताह बाद आए हैं। फरवरी से अब तक 100 आधार अंकों की तीन लगातार दर कटौती के बाद यह विराम लिया गया। MPC ने “और अधिक अनुकूल” महंगाई दृष्टिकोण का हवाला देते हुए अपना ‘तटस्थ’ रुख बनाए रखा, जिससे आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने की संभावना बनी।

वैश्विक व्यापार तनाव का असर
कमजोर महंगाई दर ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने से भारत की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। हालांकि, यह अनुकूल महंगाई परिदृश्य RBI को विकास प्रबंधन में अधिक लचीलापन देता है।

ईंधन और कोर महंगाई के रुझान
जुलाई में ईंधन और रोशनी (Fuel & Light) की कीमतें जून के 2.55% से बढ़कर 2.67% रहीं। खाद्य और ईंधन को छोड़कर कोर महंगाई 4% पर स्थिर रही, जो मूलभूत मूल्य दबावों के स्थिर रहने का संकेत है।

FY26 और FY27 के लिए RBI का महंगाई अनुमान
RBI को उम्मीद है कि FY26 की आखिरी तिमाही में महंगाई थोड़ी बढ़ेगी, मुख्यतः अस्थिर खाद्य कीमतों (विशेषकर सब्ज़ियों) के कारण।

  • FY26 का पूर्ण वर्ष अनुमान: 3.1% (जून के 3.7% अनुमान से कम)

  • FY26 की तिमाहीवार भविष्यवाणी:

    • Q2: 2.1%

    • Q3: 3.1%

    • Q4: 4.4%

  • FY27 की पहली तिमाही: 4.9% (RBI के 4% लक्ष्य से अधिक)

RBI का कहना है कि महंगाई दृष्टिकोण के जोखिम “समान रूप से संतुलित” हैं।

Zomato ने शाहरुख खान को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया

जोमैटो ने आधिकारिक रूप से शाहरुख़ ख़ान को अपना नया ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया है। यह कदम ख़ान की हाल ही में जोमैटो के “फ्यूल योर हसल” अभियान में भागीदारी के बाद आया है, जो व्यक्तिगत सफलता की कहानियों के पीछे की निरंतर मेहनत और संकल्प का जश्न मनाता है।

यह साझेदारी लाखों लोगों को प्रेरित करने के लिए तैयार की गई है, जिसमें भोजन की ताकत को दृढ़ता की भावना से जोड़ा गया है — एक संदेश जो जोमैटो के मिशन और ख़ान की व्यक्तिगत यात्रा दोनों से पूरी तरह मेल खाता है।

फ़्यूल योर हसल: अभियान का मुख्य संदेश
“फ़्यूल योर हसल” अभियान सफलता पाने में कड़ी मेहनत, निरंतरता और समर्पण के महत्व को उजागर करता है। जोमैटो का उद्देश्य उन लोगों से जुड़ना है:

  • जो दृढ़ संकल्प में विश्वास रखते हैं।

  • जो भोजन को महत्वाकांक्षा का ईंधन मानते हैं।

शाहरुख़ ख़ान से जुड़कर, जोमैटो हर तरह के “हसल” (संघर्ष/मेहनत) को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है — चाहे वह लंबे कार्यदिवस हों, देर रात की पढ़ाई हो, या सपनों को पाने की अथक मेहनत।

जोमैटो का शाहरुख़ ख़ान को चुनने का कारण
जोमैटो के मार्केटिंग हेड, साहिबजीत सिंह सहनी ने बताया कि ब्रांड ने इस भूमिका के लिए ख़ान को क्यों चुना।

शाहरुख़ ख़ान का दृष्टिकोण
बॉलीवुड सुपरस्टार ने इस सहयोग के प्रति अपना उत्साह साझा किया।
ख़ान का करियर, जो दशकों की निरंतर मेहनत और बदलाव के साथ चिह्नित है, जोमैटो के भारत के फ़ूड डिलीवरी और डाइनिंग सेक्टर में मार्केट लीडर बनने की यात्रा से मेल खाता है।

भारत भर में मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म उपस्थिति
इस सहयोग के तहत शाहरुख़ ख़ान जोमैटो के मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म मार्केटिंग अभियानों में प्रमुख रूप से नज़र आएंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • टेलीविज़न विज्ञापन

  • डिजिटल मार्केटिंग अभियान

  • प्रिंट विज्ञापन

  • प्रमुख शहरों में आउटडोर एक्टिवेशन

इसका उद्देश्य है लाखों भारतीयों को जोश और दृढ़ता के साथ अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करना, और जोमैटो को उस हसल को भोजन से “फ़्यूल” करने वाला पसंदीदा प्लेटफ़ॉर्म बनाना।

साझा मूल्यों पर आधारित साझेदारी
जोमैटो और शाहरुख़ ख़ान के बीच का यह गठजोड़ सिर्फ़ एक सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट नहीं है, बल्कि साझा मूल्यों पर आधारित एक रणनीतिक साझेदारी है:

  • लक्ष्यों को हासिल करने में दृढ़ता।

  • लोगों की सेवा में नवाचार।

  • पीढ़ियों से जुड़ी भावनात्मक कड़ी।

ख़ान के प्रभाव और जोमैटो की व्यापक पहुंच का लाभ उठाकर, यह सहयोग भारत के फ़ूड और लाइफ़स्टाइल सेक्टर में सबसे प्रभावशाली ब्रांड एसोसिएशनों में से एक बनने की क्षमता रखता है।

भारत का पहला ड्रोन–एआई आधारित कृत्रिम वर्षा प्रयोग जयपुर में शुरू

भारत में पहली बार, ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से सुसज्जित क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग कृत्रिम वर्षा कराने के लिए किया जा रहा है। यह पायलट प्रोजेक्ट राजस्थान के जयपुर स्थित रामगढ़ बांध क्षेत्र में चल रहा है, जिसका उद्देश्य 129 वर्ष पुराने उस जलाशय को पुनर्जीवित करना है, जो पिछले दो दशकों से सूखा पड़ा है और 1981 के बाद से अपनी पूरी क्षमता तक नहीं भर पाया है। इस पहल को भारत-अमेरिका आधारित प्रौद्योगिकी कंपनी GenX AI और राजस्थान सरकार के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया है।

कार्यक्रम का विवरण और सहभागिता
यह प्रयोग दोपहर 2 बजे शुरू होने वाला है, जिसकी अगुवाई कृषि एवं आपदा राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा करेंगे। मौसम और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ-साथ विधायक महेंद्र पाल मीणा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण इस आयोजन को देखने के लिए उपस्थित रहेंगे।

इस परियोजना का उद्देश्य सतही जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना, जयपुर में पेयजल आपूर्ति में राहत प्रदान करना तथा बांध क्षेत्र के पर्यावरण और जैव विविधता को संरक्षित करना है।

रामगढ़ बांध क्यों चुना गया
शुरुआत में जलमहल के पास मानसागर बांध पर विचार किया गया था, लेकिन उसके छोटे आकार और आबादी वाले क्षेत्रों के निकट होने के कारण स्थान को बदलकर रामगढ़ बांध कर दिया गया। यह बांध बड़ा है, वर्तमान में सूखा पड़ा है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • आधारशिला: 30 दिसंबर 1897 को महाराजा माधो सिंह द्वितीय द्वारा रखी गई।

  • निर्माण पूर्ण: 1903

  • 1931: वायसराय लॉर्ड इरविन ने यहां से राजपुताना की पहली पेयजल आपूर्ति योजना का उद्घाटन किया।

  • 1982: एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।

  • बाणगंगा नदी पर स्थित यह बांध कभी जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के लिए मुख्य जल स्रोत था।

ड्रोन-एआई क्लाउड सीडिंग कैसे काम करती है
क्लाउड सीडिंग में बादलों में सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है, जो संघनन नाभिक की तरह कार्य करते हैं और जल वाष्प को बूंदों में बदल देते हैं।

इस प्रयोग में:

  • ताइवान निर्मित ड्रोन हजारों फीट ऊंचाई पर उड़ेंगे।

  • लक्षित बादलों में सोडियम क्लोराइड का छिड़काव करेंगे।

  • यह प्रक्रिया वर्षा उत्पन्न करने और बांध को भरने का प्रयास करेगी।

यह मौसम संशोधन तकनीक अमेरिका, रूस और कई यूरोपीय देशों में सूखे से निपटने के लिए पहले से उपयोग में है।

बहु-विभागीय समन्वय
इस परियोजना में कृषि विभाग, मौसम विभाग, जल संसाधन और सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल हैं।
डीजीसीए ने ड्रोन उड़ानों की अनुमति दी है।
प्रोजेक्ट का डेटा एक महीने तक दर्ज किया जाएगा और आगे के विश्लेषण के लिए उपयोग होगा।

राजस्थान में पूर्व प्रयास
चित्तौड़गढ़ के घोषुंडा बांध पर एक समान प्रयास किया गया था, लेकिन वह असफल रहा। इस बार उन्नत एआई और ड्रोन तकनीक से सफलता की संभावना अधिक है।

भारत में क्लाउड सीडिंग का इतिहास (IITM के अनुसार)

  • 1951: पश्चिमी घाटों पर ग्राउंड-बेस्ड सिल्वर आयोडाइड जनरेटर से पहला प्रयास।

  • 1952: नमक और सिल्वर आयोडाइड का हाइड्रोजन गुब्बारों से उपयोग।

  • 1957–1966: उत्तर भारत में ग्राउंड-बेस्ड क्लाउड सीडिंग, वर्षा में 20% वृद्धि।

  • 1973–1977: तिरुवल्लूर (तमिलनाडु) और मुंबई में प्रयोग।

  • 1973–1986: बारामती (महाराष्ट्र) में क्लाउड सीडिंग, वर्षा में 24% वृद्धि।

जयपुर प्रयोग का महत्व

  • आधुनिक ड्रोन और एआई-आधारित टारगेटिंग से सटीकता में सुधार।

  • रामगढ़ बांध को पुनर्जीवित कर पेयजल और कृषि को लाभ।

  • भारत की जलवायु लचीलापन और सूखा प्रबंधन में नवीनतम तकनीक अपनाने की क्षमता का प्रदर्शन।

  • सफल होने पर देश के अन्य सूखा-प्रवण क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

उच्च रिफंड के कारण FY26 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 4% घटकर ₹6.64 लाख करोड़

वित्त वर्ष 2025–26 में भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3.95% की गिरावट दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण करदाताओं को जारी किए गए रिफंड में उल्लेखनीय वृद्धि है। यह जानकारी सरकार द्वारा 12 अगस्त 2025 को जारी आंकड़ों में सामने आई।

प्रत्यक्ष कर को समझना
प्रत्यक्ष कर वह कर है जो व्यक्तियों, कंपनियों और अन्य संस्थाओं द्वारा अपनी आय और मुनाफे पर सीधे सरकार को दिया जाता है। इसमें शामिल हैं –

  • कॉर्पोरेट टैक्स – कंपनियों द्वारा भुगतान किया जाने वाला कर

  • व्यक्तिगत आयकर – व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और फर्मों द्वारा भुगतान किया जाने वाला कर

  • सिक्योरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) – प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त पर लगाया जाने वाला कर

संग्रह का विस्तृत विवरण (1 अप्रैल – 11 अगस्त 2025)

  • शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह – ₹6.64 लाख करोड़ (वित्त वर्ष 2024–25 की समान अवधि के ₹6.91 लाख करोड़ की तुलना में 3.95% की गिरावट)

  • शुद्ध कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह – ₹2.29 लाख करोड़

  • शुद्ध गैर–कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह – ₹4.12 लाख करोड़ (इसमें व्यक्ति, HUF और फर्म शामिल)

  • सिक्योरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) संग्रह – ₹22,362 करोड़

उच्च रिफंड का प्रभाव
शुद्ध कर संग्रह में गिरावट का मुख्य कारण रिफंड में 10% की बढ़ोतरी है, जो इस वित्त वर्ष अब तक ₹1.35 लाख करोड़ तक पहुंच गई है।

रिफंड तब जारी किए जाते हैं जब करदाताओं ने अग्रिम कर या स्रोत पर कर कटौती (TDS) के रूप में अपनी वास्तविक कर देयता से अधिक राशि का भुगतान किया होता है, जिससे सरकार के पास शुद्ध संग्रहित राशि कम हो जाती है।

सकल कर संग्रह
रिफंड घटाने से पहले, सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹7.99 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के ₹8.14 लाख करोड़ की तुलना में 1.87% की कमी दर्शाता है।

वित्त वर्ष 2025–26 के लिए सरकार के राजकोषीय लक्ष्य

  • कुल प्रत्यक्ष कर लक्ष्य – ₹25.20 लाख करोड़ (वर्ष-दर-वर्ष 12.7% की वृद्धि)

  • STT (सिक्योरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स) लक्ष्य – पूरे वर्ष के लिए ₹78,000 करोड़।

सरकार को उम्मीद है कि यह वृद्धि आर्थिक विस्तार, बेहतर कर अनुपालन और डिजिटल टैक्स प्रशासन से समर्थित होगी।

डेटा का महत्व
हालांकि वित्त वर्ष 2025–26 के शुरुआती महीनों में शुद्ध संग्रह में गिरावट देखी गई है, लेकिन रिफंड में वृद्धि सरकार के तेज़ी से रिटर्न प्रोसेस करने के प्रयासों को दर्शाती है।
फिर भी, वार्षिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए आने वाले तिमाहियों में कर संग्रह की रफ्तार बढ़ानी होगी।

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