महिला विश्व कप चैंपियन को मिलेगी लगभग 40 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि

आईसीसी ने घोषणा की है कि 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप की विजेता टीम को रिकॉर्ड 4.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर (₹39.55 करोड़) का इनाम मिलेगा। यह अब तक की सबसे बड़ी पुरस्कार राशि है और महिला क्रिकेट के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। टूर्नामेंट की शुरुआत 30 सितंबर 2025 से होगी, जिसकी मेजबानी भारत और श्रीलंका संयुक्त रूप से करेंगे।

ऐतिहासिक वृद्धि

  • पिछला संस्करण (2022, न्यूज़ीलैंड): विजेताओं को 1.32 मिलियन USD (₹11.65 करोड़)

  • वर्तमान संस्करण (2025): विजेताओं को 4.48 मिलियन USD (₹39.55 करोड़)

  • प्रतिशत वृद्धि: 239%

  • कुल इनामी राशि: 2022 में 3.5 मिलियन USD (₹31 करोड़) से बढ़कर 2025 में 13.88 मिलियन USD (₹122.5 करोड़), लगभग 297% की वृद्धि।

खास बात यह है कि यह इनामी राशि 2023 पुरुष विश्व कप (USD 10 मिलियन / ₹88.26 करोड़) से भी ज्यादा है।

इनामी राशि का बंटवारा

  • विजेता टीम: 4.48 मिलियन USD (₹39.55 करोड़)

  • रनर-अप: 2.24 मिलियन USD (₹19.77 करोड़) — 2022 में सिर्फ USD 600,000

  • सेमीफाइनल में हारने वाली टीमें: 1.12 मिलियन USD (₹9.89 करोड़) प्रत्येक — 2022 में सिर्फ USD 300,000

महत्व

  • लैंगिक समानता (Gender Equality) में मील का पत्थर
    महिला क्रिकेट विश्व कप का इनाम अब पुरुष विश्व कप से भी अधिक है। यह खेल जगत में महिला खिलाड़ियों की पहचान और अवसरों को नई ऊँचाई देगा।

  • निवेश और विकास
    आईसीसी का यह निर्णय दर्शाता है कि वह महिला क्रिकेट के भविष्य, दर्शक संख्या, प्रायोजन और जमीनी स्तर के कार्यक्रमों में निवेश कर रहा है।

मेजबानी का महत्व

भारत और श्रीलंका की मेजबानी से—

  • महिला क्रिकेट का ढांचा (infrastructure) और मजबूत होगा।

  • नई पीढ़ी की लड़कियाँ क्रिकेट अपनाने के लिए प्रेरित होंगी।

  • एशियाई बाज़ारों में नए व्यावसायिक और प्रसारण साझेदारी विकसित होंगी।

  • भारत की छवि एक वैश्विक खेल आयोजक देश के रूप में और सशक्त होगी।

आगे की राह

  • टूर्नामेंट: 30 सितंबर – 2 नवंबर 2025

  • प्रारूप: 8 शीर्ष राष्ट्रीय टीमें भारत और श्रीलंका में मुकाबला करेंगी।

  • भारतीय उम्मीदें: हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ी मजबूत चुनौती पेश करेंगी।

  • आईसीसी: मार्केटिंग, टिकटिंग और फैन एंगेजमेंट को और बेहतर बनाने की तैयारी करेगा।

परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • आयोजन स्थल (Host Country): भारत और श्रीलंका

  • संस्करण (Edition): 13वाँ

  • विजेता इनाम राशि: USD 4.48 मिलियन (₹39.55 करोड़)

  • रनर-अप इनाम राशि: USD 2.24 मिलियन (₹19.77 करोड़)

  • कुल पुरस्कार राशि: USD 13.88 मिलियन (₹122.5 करोड़)

  • विशेषता: महिला विश्व कप का पुरस्कार पुरुष विश्व कप 2023 से अधिक

राष्ट्रपति ने केरल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की

भारतीय संविधान के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारत के राष्ट्रपति ने, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श कर, इलाहाबाद और केरल उच्च न्यायालय में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की है। इसमें अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है। इससे दोनों उच्च न्यायालयों की न्यायिक क्षमता सुदृढ़ होगी।

मुख्य विवरण – न्यायिक नियुक्तियाँ

  1. अरुण कुमार (वरिष्ठ अधिवक्ता)

    • नियुक्ति: न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय

    • अनुभव: बार में दीर्घकालिक प्रैक्टिस

  2. न्यायमूर्ति जॉनसन जॉन

    • पदोन्नति: अतिरिक्त न्यायाधीश → स्थायी न्यायाधीश

    • उच्च न्यायालय: केरल

  3. न्यायमूर्ति जी. यू. गिरीश

    • पदोन्नति: स्थायी न्यायाधीश

    • उच्च न्यायालय: केरल

  4. न्यायमूर्ति सी. एन. प्रतिप कुमार

    • पदोन्नति: स्थायी न्यायाधीश

    • उच्च न्यायालय: केरल

ये नियुक्तियाँ कोलेजियम की अनुशंसाओं के अनुरूप की गई हैं।

संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 217 (Article 217) – उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान।

  • राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं, परामर्श लेते हैं:

    • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)

    • संबंधित राज्य के राज्यपाल

    • संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

नियुक्तियों का महत्व

  • इलाहाबाद और केरल उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों में कमी आएगी।

  • न्यायिक शक्ति और क्षमता बढ़ेगी।

  • बढ़ते मुकदमों के बोझ से निपटने में सहायता मिलेगी।

  • न्याय तक समय पर पहुँच और न्यायिक दक्षता सुनिश्चित होगी।

  • अतिरिक्त न्यायाधीशों की समयबद्ध पदोन्नति से न्यायिक निरंतरता बनी रहेगी।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु

  • नियुक्ति करने वाला प्राधिकारी: भारत के राष्ट्रपति

  • अनुच्छेद: 217

  • परामर्श लिया जाता है:

    • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)

    • संबंधित राज्य के राज्यपाल

    • संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

चीन ने एससीओ शिखर सम्मेलन में 2 अरब डॉलर और एआई समर्थन का वादा किया

2025 के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में, चीन ने क्षेत्रीय विकास, तकनीकी नवाचार और शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वाकांक्षी वादे किए। भारत में चीनी राजदूत शू फेइहोंग द्वारा घोषित इन पहलों में एससीओ सदस्य देशों के लिए 2 अरब डॉलर का अनुदान, विस्तारित छात्रवृत्तियाँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकास कार्यक्रम और आजीविका परियोजनाएँ शामिल हैं।

चीन की प्रमुख घोषणाएँ

1. 2 अरब डॉलर का अनुदान और ऋण

  • वर्ष 2025 के अंत तक SCO सदस्य देशों को 2 अरब RMB (लगभग 274 मिलियन अमेरिकी डॉलर) अनुदान के रूप में दिया जाएगा।

  • अगले तीन वर्षों में 10 अरब RMB (लगभग 1.37 अरब अमेरिकी डॉलर) का ऋण SCO इंटरबैंक कंसोर्टियम सदस्यों को उपलब्ध कराया जाएगा।
    उद्देश्य: आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ावा देना।

2. 100 “छोटे और सुंदर” परियोजनाएँ

  • SCO देशों में 100 स्थानीय जनजीवन परियोजनाएँ चलाई जाएँगी।

  • मुख्य क्षेत्र:

    • स्वास्थ्य व स्वच्छता

    • शिक्षा और बुनियादी सुविधाएँ

    • जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण

शैक्षणिक और मानव संसाधन पहलें

3. छात्रवृत्तियाँ और पीएचडी कार्यक्रम

  • वर्ष 2026 से चीन:

    • SCO-विशिष्ट छात्रवृत्तियों की संख्या दोगुनी करेगा।

    • SCO इनोवेटिव पीएचडी प्रोग्राम शुरू करेगा।
      उद्देश्य: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उच्च-स्तरीय प्रतिभा विकसित करना।

4. लुबान कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण

  • अगले पाँच वर्षों में:

    • SCO देशों में 10 लुबान कार्यशालाएँ स्थापित होंगी।

    • 10,000 प्रशिक्षण अवसर व्यावसायिक और तकनीकी कौशल में प्रदान किए जाएँगे।
      लुबान कार्यशालाएँ उन्नत विनिर्माण और तकनीकी कौशल विकास के लिए जानी जाती हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी सहयोग

  • तियानजिन घोषणा (Tianjin Declaration) में सभी सदस्य देशों (भारत सहित) ने:

    • जिम्मेदार AI विकास का समर्थन किया।

    • सुरक्षा, पारदर्शिता, समावेशिता और निष्पक्षता पर जोर दिया।

    • AI डेवलपमेंट कोऑपरेशन रोडमैप (चेंगदू, जून 2025) को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

  • चीन ने अपने AI कौशल का प्रदर्शन करते हुए “Xiao” नामक ह्यूमनॉइड रोबोट को सम्मेलन में तैनात किया, जिसने मीडिया और प्रतिनिधियों की सहायता की।

  • राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि AI, ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार SCO के भविष्य के स्तंभ होंगे।

भारत की भूमिका

भारत ने:

  • AI सहयोग का समर्थन किया।

  • नैतिक और जन-केंद्रित AI विकास पर बल दिया।

  • उभरती प्रौद्योगिकियों और डिजिटल अवसंरचना में सहयोग का आह्वान किया।

  • विकासशील देशों के लिए AI उपकरणों की समान पहुँच सुनिश्चित करने की बात कही।

यह भारत की रणनीतिक तकनीकी कूटनीति को मज़बूती देता है।

परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु

  • मेज़बान देश: चीन

  • महत्वपूर्ण घोषणा: तियानजिन घोषणा (2025)

  • मुख्य फोकस:

    • जिम्मेदार AI विकास

    • सुरक्षा, समावेशिता, निष्पक्षता और पारदर्शिता

  • चीन की घोषणाएँ:

    • 2 अरब RMB अनुदान और 10 अरब RMB ऋण

    • 100 जनजीवन परियोजनाएँ

    • छात्रवृत्तियाँ दोगुनी + इनोवेटिव पीएचडी प्रोग्राम

    • 10 लुबान कार्यशालाएँ और 10,000 प्रशिक्षण अवसर

ब्रह्मांड के शुरुआती राज खोलेगा ‘क्रेडिट कार्ड’ साइज का कंप्‍यूटर

भारत का बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) एक क्रांतिकारी प्रयास कर रहा है, जो ब्रह्मांड के “कॉस्मिक डॉन” (Cosmic Dawn) — यानी वह काल जब पहली बार तारे और आकाशगंगाएँ बनीं — के रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा। इसके लिए विकसित किया गया है एक क्रेडिट कार्ड जितना छोटा सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर (SBC), जो चंद्रमा पर स्थापित किए जाने वाले प्रतुश मिशन का हिस्सा होगा।

कैसे काम करेगा प्रतुश? 

प्रतुश में लगाया गया डिजिटल रिसीवर सिस्टम इतना संवेदनशील है कि यह हाइड्रोजन परमाणुओं से निकलने वाले बेहद मंद रेडियो सिग्नल पकड़ सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह ऐसा है जैसे शोरगुल भरे स्टेडियम में किसी की फुसफुसाहट सुनना। पृथ्वी पर मौजूद रेडियो शोर और एफएम प्रसारण इन संकेतों को दबा देते हैं। इसलिए वैज्ञानिक इसे भविष्य में चंद्रमा की कक्षा से संचालित करने की योजना बना रहे हैं, जहां रेडियो हस्तक्षेप बहुत कम होता है।

प्रतुश (PRATUSH) क्या है?

  • यह एक चंद्रमा आधारित रेडियोमीटर मिशन है।

  • उद्देश्य: 21-सेमी हाइड्रोजन सिग्नल का अध्ययन करना।

    • यह सिग्नल ब्रह्मांड के शुरुआती समय में तटस्थ हाइड्रोजन परमाणुओं द्वारा उत्सर्जित हुआ था।

    • इसे पकड़कर हम करीब 13 अरब वर्ष पहले के कॉस्मिक डॉन के प्रत्यक्ष सबूत पा सकते हैं।

चंद्रमा क्यों?

पृथ्वी पर यह सिग्नल पकड़ना लगभग असंभव है क्योंकि यह भारी रेडियो व्यवधानों में दब जाता है:

  • एफएम रेडियो ट्रांसमिशन

  • आयनमंडल (Ionosphere) की गड़बड़ी

चंद्रमा का दूरस्थ भाग (far side) सौर मंडल का सबसे रेडियो-शांत क्षेत्र माना जाता है, जो ऐसे संवेदनशील मापन के लिए आदर्श है।

सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर (SBC) की भूमिका

सामान्यतः अंतरिक्ष उपकरणों में भारी और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले कंट्रोलर इस्तेमाल होते हैं।
लेकिन RRI की इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग टीम ने एक हल्के और कुशल SBC-आधारित डिजिटल रिसीवर का विकास किया है, जो:

  • एंटीना, रिसीवर और FPGA चिप का समन्वय करता है

  • रेडियो डेटा को रिकॉर्ड, स्टोर और प्री-प्रोसेस करता है

  • सिस्टम कैलिब्रेशन संभालता है

  • बहुत कम ऊर्जा में उच्च दक्षता प्रदान करता है

RRI के वैज्ञानिक गिरीश बी.एस. के अनुसार, यह SBC आकार, ऊर्जा और प्रदर्शन का आदर्श संतुलन है, जो चंद्र मिशनों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

परीक्षण परिणाम

  • 352 घंटे तक एक संदर्भ सिग्नल पर परीक्षण

  • शोर (Noise) को मिल्ली-केल्विन स्तर तक कम करने में सफलता

  • बेहद कमजोर सिग्नल पकड़ने की उच्च संवेदनशीलता

  • निरंतर संचालन में स्थिर प्रदर्शन

ये परिणाम दिखाते हैं कि यह प्रणाली अंतरिक्ष-आधारित रेडियोमेट्री के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

भविष्य की योजनाएँ

RRI टीम अब आगे बढ़कर:

  • स्पेस-क्वालिफाइड SBCs का उपयोग करेगी

  • AI-सक्षम प्रोसेसिंग के लिए सॉफ़्टवेयर अपग्रेड करेगी

  • पूरे सिस्टम को एक कॉम्पैक्ट पेलोड के रूप में चंद्रमा पर तैनात करने की तैयारी करेगी

संभावित उपलब्धियाँ

यदि प्रतुश मिशन सफल होता है तो यह भारत की अंतरिक्ष विज्ञान उपलब्धियों में मील का पत्थर होगा और इससे:

  • पहले ब्रह्मांडीय ढाँचों (Cosmic Structures) की उत्पत्ति

  • शुरुआती ब्रह्मांड का विकास

  • और वर्तमान ब्रह्मांडीय मॉडलों से परे नई भौतिकी के बारे में अहम जानकारियाँ मिल सकती हैं।

मिचेल स्टार्क ने टी-20 इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया

ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ मिचेल स्टार्क ने 35 वर्ष की आयु में आधिकारिक तौर पर टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। यह कदम 2026 टी20 विश्व कप से कुछ ही महीने पहले आया है और इसका उद्देश्य उनकी टेस्ट और वनडे करियर को लंबा खींचना है, जहाँ वे ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व जारी रखना चाहते हैं।

शानदार टी20I सफर का अंत

  • डेब्यू: 2012 (पाकिस्तान के खिलाफ)

  • मैच खेले: 65

  • विकेट: 79

  • इकॉनमी रेट: 7.74
    ऑस्ट्रेलिया के टी20आई में दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़, सिर्फ़ एडम ज़म्पा से पीछे।

  • मुख्य उपलब्धि: 2021 टी20 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया की खिताबी जीत में अहम भूमिका।

  • टी20 विश्व कप भागीदारी: 6 में से 5 विश्व कप खेले (2016 को चोट के कारण मिस किया)।

  • शुरुआती ओवरों में आक्रामक स्पेल और डेथ ओवरों में सटीक यॉर्कर डालने की कला ने उन्हें दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाज़ों में से एक बना दिया।

अब क्यों लिया संन्यास?

  • स्टार्क ने अपने बयान में दोहराया कि टेस्ट क्रिकेट उनकी पहली प्राथमिकता है।

  • आने वाले बड़े टूर्नामेंट:

    • भारत का टेस्ट दौरा

    • एशेज़ सीरीज़

    • 2027 वनडे विश्व कप

  • टी20 से हटकर वे अपनी फिटनेस और वर्कलोड का बेहतर प्रबंधन करना चाहते हैं।

  • उन्होंने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का शारीरिक दबाव बहुत अधिक है और यह कदम उन्हें लंबे प्रारूपों में ताज़ा और फिट बनाए रखने में मदद करेगा।

टी20I संन्यास: पीढ़ीगत बदलाव का संकेत

स्टार्क का टी20 से संन्यास ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में चल रहे ट्रांज़िशन (पीढ़ीगत बदलाव) का हिस्सा है।

  • डेविड वॉर्नर → 2024 में सभी प्रारूपों से संन्यास।

  • स्टीव स्मिथ, ग्लेन मैक्सवेल, मार्कस स्टॉइनिस → 2025 में वनडे से संन्यास।

इससे साफ़ है कि ऑस्ट्रेलिया अब धीरे-धीरे युवा खिलाड़ियों पर भरोसा कर रहा है, ताकि आने वाले वैश्विक टूर्नामेंटों के लिए नई टीम तैयार की जा सके।

देश का चालू खाता घाटा जून तिमाही में घटकर 2.4 अरब डॉलर पर आया

भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) जून तिमाही में घटकर 2.4 अरब डॉलर पहुंच गया। यह सकल घरेलू उत्पाद का 0.2 प्रतिशत रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 8.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.9 प्रतिशत) था। सेवाओं के निर्यात से इसमें मदद मिली। भारतीय रिजर्व ने 01 सितम्बर 2025 को इसकी जानकारी दी।

चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) और इसका महत्व

चालू खाता घाटा (CAD) तब होता है जब कोई देश जितना निर्यात करता है उससे अधिक सामान, सेवाएँ और पूंजी आयात करता है।

  • उच्च CAD → मुद्रा और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डाल सकता है।

  • निम्न या घटता CAD → बाहरी स्थिरता का संकेत देता है।

त्रैमासिक प्रदर्शन अवलोकन

अधिशेष से घाटे तक बदलाव

  • Q1 FY26: घाटा 2.4 अरब डॉलर (GDP का 0.2%)

  • Q4 FY25: अधिशेष 13.5 अरब डॉलर (GDP का 1.3%)

  • Q1 FY25: घाटा 8.6 अरब डॉलर (GDP का 0.9%)

Q1 FY26 में CAD घाटे में लौट आया, लेकिन यह अर्थशास्त्रियों की उम्मीदों (लगभग 7 अरब डॉलर) से कहीं बेहतर रहा।

CAD घटने के प्रमुख कारण

  1. प्रेषण (Remittances) में वृद्धि

    • Q1 FY26: 33.2 अरब डॉलर

    • Q1 FY25: 28.6 अरब डॉलर

    • साल-दर-साल 18% वृद्धि ने CAD को काफी हद तक कम किया।

  2. मजबूत सेवाओं का निर्यात

    • Q1 FY26: 47.9 अरब डॉलर

    • Q1 FY25: 39.7 अरब डॉलर

    • प्रमुख योगदान: व्यवसाय सेवाएँ और कंप्यूटर सेवाएँ

  3. FPI और ECB निवेश प्रवाह

    • FPI शुद्ध प्रवाह: 1.6 अरब डॉलर (पिछले वर्ष 0.9 अरब डॉलर)

    • ECB (External Commercial Borrowings): 3.7 अरब डॉलर (पिछले वर्ष 1.6 अरब डॉलर)

चिंता के क्षेत्र

  1. बढ़ता माल व्यापार घाटा

    • Q1 FY26: 68.5 अरब डॉलर

    • Q1 FY25: 56.7 अरब डॉलर

    • कारण: वैश्विक अनिश्चितता के बीच निर्यात में कमी

  2. कमज़ोर FDI और NRI जमा

    • शुद्ध FDI प्रवाह: 5.7 अरब डॉलर (पिछले वर्ष 6.2 अरब डॉलर)

    • NRI जमा: 3.6 अरब डॉलर (पिछले वर्ष 4.0 अरब डॉलर)

  3. प्राथमिक आय बहिर्वाह

    • Q1 FY26: 12.8 अरब डॉलर

    • Q1 FY25: 10.9 अरब डॉलर

    • कारण: निवेश आय पर अधिक भुगतान

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

चालू खाता घाटा (CAD) तब होता है जब किसी देश का सामान और सेवाओं का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।

चालू खाता के प्रमुख घटक:

  1. व्यापार संतुलन (निर्यात – आयात)

  2. सेवाएँ

  3. शुद्ध आय (विदेश से)

  4. शुद्ध अंतरण (Remittances)

भारतीय डाक भुगतान बैंक ने मनाया 8वां स्थापना दिवस

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने 1 सितंबर 2025 को अपना 8वां स्थापना दिवस मनाया और लास्ट-माइल बैंकिंग में अपनी अग्रणी भूमिका को दोहराया। 12 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ, IPPB ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में लोगों के दरवाजे तक सुरक्षित, समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है।

राष्ट्रीय स्तर का वित्तीय समावेशन मॉडल

2018 में डाक विभाग, संचार मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित, IPPB को एक सार्वजनिक क्षेत्र डिजिटल बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म के रूप में परिकल्पित किया गया था, जो भारत के वित्तीय अंतर को पाटने के लिए समर्पित है। मात्र आठ वर्षों में यह विश्व के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन प्रयासों में से एक बन गया है।

  • 1.64 लाख से अधिक डाकघरों को नेटवर्क से जोड़ा गया

  • 1.90 लाख+ डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक (GDS) सहयोग कर रहे हैं

  • 5.57 लाख गाँव और कस्बों में 13 भारतीय भाषाओं में सेवाएँ उपलब्ध

  • इस डाक बैंकिंग मॉडल ने लाखों करोड़ रुपये के वित्तीय लेन-देन और अरबों डिजिटल ट्रांजेक्शन को सक्षम किया है।

IPPB की सफलता के पीछे नवाचार

वर्षों में, IPPB ने अपनी सेवाओं का दायरा लगातार बढ़ाया है ताकि ग्राहकों की विविध ज़रूरतों को पूरा किया जा सके।

प्रमुख सेवाएँ:

  • डिजीस्मार्ट – डिजिटल बचत खाता

  • प्रीमियम आरोग्य बचत खाता – स्वास्थ्य लाभ के साथ बैंक खाता

  • फेस ऑथेंटिकेशन – सुरक्षित प्रवेश हेतु आधार-आधारित बायोमेट्रिक लॉगिन

  • RuPay वर्चुअल डेबिट कार्ड – डिजिटल भुगतान की सुविधा

  • AePS (आधार सक्षम भुगतान प्रणाली) – नकद निकासी, बैलेंस चेक, धन हस्तांतरण

  • भारत बिलपे इंटीग्रेशन – उपयोगिता बिल भुगतान

अन्य सेवाएँ:

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) और पेंशन वितरण

  • रेफ़रल साझेदारी के माध्यम से ऋण सेवाएँ

  • बीमा और निवेश उत्पाद (संस्थागत साझेदारी द्वारा)

  • सीमापार प्रेषण – प्रवासी परिवारों की सहायता हेतु

आईईपीएफए ​​ने महिलाओं के लिए निवेशक दीदी चरण II का शुभारंभ किया

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (IEPFA), जो कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत है, ने अपने प्रमुख कार्यक्रम “निवेशक दीदी” के दूसरे चरण (Phase II) की शुरुआत की है। यह पहल 1 सितंबर 2025 को पटेलगुड़ा पंचायत, हैदराबाद से शुरू की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में महिला-नेतृत्व वाली वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना है, जिसमें प्रशिक्षित महिलाएँ अन्य महिलाओं को वित्तीय ज्ञान प्रदान करेंगी।

निवेशक दीदी क्या है?

निवेशक दीदी एक अनूठी “महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा” पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और वंचित वर्ग की महिलाओं को आवश्यक वित्तीय जानकारी से सशक्त बनाना है। यह पहल महिलाओं को सक्षम बनाती है कि वे –

  • सूझबूझ से वित्तीय निर्णय ले सकें

  • धोखाधड़ी और ठगी से अपने धन की रक्षा कर सकें

  • डिजिटल बैंकिंग उपकरण अपनाएँ

  • बचत और सुरक्षित निवेश को समझें

Phase II का लक्ष्य पहले चरण की सफलता पर आधारित है और अब इसे ग्राम पंचायत और गाँव स्तर तक पहुँचाया जाएगा।

रणनीतिक प्रभाव और भावी लक्ष्य

यह कार्यक्रम वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो डिजिटल इंडिया और महिला-नेतृत्व वाले विकास की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का हिस्सा है। इसके माध्यम से –

  • घर-परिवार की वित्तीय योजना मजबूत होगी

  • सुरक्षित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग बढ़ेगा

  • समुदाय-आधारित वित्तीय लचीलापन विकसित होगा

यह पहल महिलाओं को वित्तीय निर्णयों के केंद्र में रखकर भारत की समावेशी आर्थिक वृद्धि की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ करती है।

IEPFA के बारे में

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (IEPFA) की स्थापना कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन की गई थी। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं –

  • निवेशकों के बीच जागरूकता बढ़ाना

  • नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाना

  • वित्तीय साक्षर समाज का निर्माण करना

निवेशक दीदी के माध्यम से IEPFA न केवल ज्ञान प्रदान करता है बल्कि ग्रामीण समाज में बचत, विश्वास और जिम्मेदार निवेश की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है।

एयर मार्शल संजीव घुराटिया को IAF रखरखाव प्रमुख नियुक्त किया गया

एयर मार्शल संजीव घुराटिया एवीएसएम, वीएसएम ने भारतीय वायु सेना मुख्यालय में एयर ऑफिसर-इन-चार्ज मेंटेनेंस (AOM) का कार्यभार संभाला। 37 वर्षों की शानदार सेवा पृष्ठभूमि वाले इस वरिष्ठ अधिकारी को तकनीकी विशेषज्ञता और उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए जाना जाता है। यह दायित्व वायु सेना के लॉजिस्टिक्स और रखरखाव से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण पद है।

शहीदों को श्रद्धांजलि

कार्यभार ग्रहण करते ही एयर मार्शल घुराटिया ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को नमन किया। यह उनके गहरे सैन्य परंपरा सम्मान और सेवा भावना को दर्शाता है।

शैक्षिक और पेशेवर पृष्ठभूमि

  • नियुक्ति: सितंबर 1988, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग शाखा में

  • शिक्षा:

    • जीईसी जबलपुर (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)

    • बिट्स पिलानी, मद्रास यूनिवर्सिटी

    • भोपाल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट

  • प्रशिक्षण संस्थान:

    • डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन

    • एयर फोर्स टेस्ट पायलट स्कूल, बेंगलुरु

    • एयर फोर्स टेक्निकल कॉलेज, बेंगलुरु

  • सदस्यताएँ और फेलोशिप:

    • फेलो: रॉयल एयरोनॉटिकल सोसायटी (लंदन), एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया, IETE

    • लीड ऑडिटर: ISO 45000 (ऑक्यूपेशनल हेल्थ एंड सेफ्टी मैनेजमेंट)

    • एसोसिएट सदस्य: सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स, अमेरिका

करियर की प्रमुख उपलब्धियाँ

लगभग चार दशकों की सेवा के दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें शामिल हैं –

  • सीनियर मेंटेनेंस स्टाफ ऑफिसर, मुख्यालय मेंटेनेंस कमांड (पूर्व पद)

  • भारतीय वायु सेना में कई तकनीकी नेतृत्वकारी भूमिकाएँ

  • संयुक्त राष्ट्र मिशन, कांगो, जहाँ उन्हें यूएन फोर्स कमांडर से प्रशंसा प्राप्त हुई

उनका करियर तकनीकी विशेषज्ञता, परिचालन उत्कृष्टता और वैश्विक अनुभव का अद्वितीय संगम है।

पुरस्कार और सम्मान

  • विशिष्ट सेवा पदक (VSM) – 2016

  • अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM) – 2025 (भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त)

  • यूएन प्रशस्ति पत्र – कांगो मिशन में उत्कृष्ट सेवा हेतु

ये सम्मान उनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रक्षा सेवाओं में विशिष्ट योगदान को रेखांकित करते हैं।

भारतीय सेना अलास्का में युद्ध अभ्यास 2025 के लिए रवाना हुई

भारतीय सेना का एक दल 1 से 14 सितंबर 2025 तक होने वाले भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, युद्ध अभ्यास के 21वें संस्करण में भाग लेने के लिए फोर्ट वेनराइट, अलास्का के लिए रवाना हो गया है। इस वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच अंतर-संचालन, सामरिक दक्षता और सहयोग को बढ़ाना है।

भाग लेने वाली इकाइयाँ और स्थान

भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन कर रही है, जो अपनी समृद्ध युद्ध विरासत और उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध कौशल के लिए जानी जाती है। अमेरिकी पक्ष की ओर से, आर्कटिक वोल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम, 11वीं एयरबोर्न डिवीजन का एक हिस्सा, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट “बॉबकैट्स” की पहली बटालियन भाग ले रही है।

चुनौतीपूर्ण भूभाग और चरम जलवायु के कारण, अलास्का के फोर्ट वेनराइट का चयन आर्कटिक और पर्वतीय परिस्थितियों में प्रशिक्षण के लिए रणनीतिक है – जो विविध परिचालन वातावरण में संयुक्त तैयारी के लिए आवश्यक है।

रणनीतिक फोकस और प्रशिक्षण मॉड्यूल

दो सप्ताह तक चलने वाले इस सैन्य अभ्यास में विस्तृत सामरिक और परिचालन अभ्यास शामिल हैं। प्रमुख फोकस क्षेत्रों में निम्नलिखित हैं –

  • हेलिबोर्न ऑपरेशन और सामरिक हवाई तैनाती

  • निगरानी संसाधनों और मानव रहित हवाई प्रणालियों (UAS) का उपयोग

  • रॉक क्राफ्ट और पर्वतीय युद्ध तकनीकें

  • घायलों की निकासी और युद्धक्षेत्र में चिकित्सकीय सहायता

  • तोपखाने, वायुसेना और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का समन्वित उपयोग

इसके अतिरिक्त, अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं के विषय विशेषज्ञों द्वारा संचालित कार्य समूह भी शामिल हैं, जो निम्न क्षेत्रों पर केंद्रित हैं –

  • UAS और काउंटर-UAS ऑपरेशन

  • सूचना युद्ध और रणनीतिक संचार

  • लॉजिस्टिक्स समन्वय और संसाधन प्रबंधन

रणनीतिक और कूटनीतिक महत्व

2004 में शुरू हुआ युद्ध अभ्यास श्रृंखला अब भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है। बढ़ती वैश्विक अस्थिरता और आधुनिक युद्ध की जटिलता को देखते हुए, इस प्रकार के संयुक्त अभ्यास आवश्यक हैं ताकि –

  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में परस्पर कार्य-क्षमता (interoperability) बढ़ाई जा सके।

  • बहु-क्षेत्रीय परिचालन तत्परता को मजबूत किया जा सके।

  • आपसी विश्वास और रणनीतिक सामंजस्य स्थापित किया जा सके।

लाइव-फायर और ऊँचाई वाले युद्ध परिदृश्यों में प्रशिक्षण दोनों सेनाओं को उन वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार करेगा, जो भविष्य में संयुक्त अभियानों या मानवीय मिशनों के दौरान उत्पन्न हो सकती हैं।

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