सामाजिक कल्याण और सुशासन में उपयोग
इस तकनीक के अपनाने का एक बड़ा कारण इसका राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) में एकीकरण रहा है, जिससे लाभार्थियों को बिना किसी शारीरिक संपर्क के सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल पा रहे हैं।
जुलाई से अब तक 13.66 लाख NSAP लाभार्थियों ने आधार फेस रिकग्निशन का उपयोग करके प्रमाणीकरण किया है।
इसके अलावा,
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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तहत 850 मेडिकल कॉलेज और संस्थान उपस्थिति दर्ज करने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं।
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कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) जैसी केंद्रीय भर्ती एजेंसियाँ भर्ती प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों के सत्यापन के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं।
आधार प्रमाणीकरण – सभी माध्यमों में
जब सभी प्रमाणीकरण माध्यमों (बायोमेट्रिक्स, ओटीपी और फेस ऑथेंटिकेशन सहित) को शामिल किया जाता है, तो जुलाई 2025 में आधार ने 221 करोड़ लेनदेन दर्ज किए, जो वर्ष-दर-वर्ष 3.8% की वृद्धि दर्शाते हैं।
आधार e-KYC प्रणाली, जो बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में ग्राहक सत्यापन को सरल बनाती है, ने इसी महीने 39.56 करोड़ लेनदेन संसाधित किए, जिससे कागजी कार्यवाही कम हुई और दक्षता बढ़ी।
महत्त्व और प्रभाव
UIDAI के अनुसार, फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन में आई इस तेज़ वृद्धि से आधार की बढ़ती भूमिका स्पष्ट होती है, जैसे—
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करोड़ों भारतीयों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल पहचान मंच।
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कल्याणकारी योजनाओं का पारदर्शी वितरण, जिससे लाभ केवल वास्तविक पात्रों तक पहुँचे।
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निजी क्षेत्र में स्वैच्छिक सेवा पहुँच और ग्राहक ऑनबोर्डिंग को सुगम बनाना।
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जीवन को सरल बनाना, क्योंकि अब भौतिक दस्तावेज़ जाँच की आवश्यकता नहीं रहती।