भारत ने डीआरडीओ और लार्सन एंड टूब्रो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘ज़ोरावर’ लाइट टैंक का अनावरण किया है, जिसका उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले वातावरण में सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना है। रिकॉर्ड दो साल की समयसीमा के भीतर डिज़ाइन किए गए इस टैंक में 105 मिमी राइफल वाली तोप और कम्पोजिट मॉड्यूलर कवच सहित उन्नत हथियार और सुरक्षा प्रणालियाँ हैं। जनरल ज़ोरावर सिंह के नाम पर, इस टैंक को लद्दाख, सिक्किम या कश्मीर में संभावित तैनाती से पहले व्यापक परीक्षणों के लिए तैयार किया गया है।
विकास और विशेषताएँ
‘ज़ोरावर’ टैंक, जो शुरू में 750 एचपी कमिंस इंजन द्वारा संचालित था और जिसे घरेलू प्रतिस्थापन के लिए योजना बनाई गई थी, जॉन कॉकरिल के परिष्कृत बुर्ज से सुसज्जित है, जिसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरे और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें हैं। यह रिमोट-कंट्रोल्ड वेपन सिस्टम (RCWS) जैसी उन्नत प्रणालियों को एकीकृत करता है और इसे उभयचर संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो विभिन्न इलाकों में गतिशीलता को बढ़ाता है।
सामरिक महत्व
गलवान घाटी में गतिरोध के दौरान उजागर की गई सामरिक जरूरतों के जवाब में विकसित ‘ज़ोरावर’ का उद्देश्य चुनौतीपूर्ण इलाकों में भारतीय सैन्य उपस्थिति को बढ़ाना है। 2027 तक चल रहे परीक्षणों और आगे के विकास के साथ, यह टैंक भारत की रक्षा क्षमताओं के स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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