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तमिलनाडु के पांच और उत्पादों को मिला GI टैग

तमिलनाडु की समृद्ध पारंपरिक कला, कृषि विविधता और शिल्प कौशल को एक नई पहचान मिली है। राज्य के पाँच नए उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications–GI) टैग प्रदान किया गया है। ये उत्पाद हैं:

  • वोरैयूर कॉटन साड़ी

  • कविंदापडी नट्टू शक्करै (पारंपरिक गुड़ पाउडर)

  • नमक्कल सॉफ्ट स्टोन कुकवेयर (मक्कल पात्रंगल)

  • थूयमल्ली चावल

  • अंबासमुद्रम चोप्पू सामान (लकड़ी के खिलौने)

इनके साथ तमिलनाडु के GI टैग वाले उत्पादों की कुल संख्या बढ़कर 74 हो गई है, जो इसे भारत की सांस्कृतिक और शिल्प विविधता का एक प्रमुख केंद्र बनाता है।

GI टैग क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

GI टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Right) है, जो उन उत्पादों को दिया जाता है, जो:

  • किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित हों

  • उस क्षेत्र की विशिष्ट विशेषताओं, गुणों या कौशल पर आधारित हों

  • पारंपरिक ज्ञान या शिल्प तकनीकों का प्रतिनिधित्व करते हों

GI टैग मिलने से:

  • उत्पाद की ब्रांड पहचान सुरक्षित होती है

  • बाज़ार मूल्य बढ़ता है

  • सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित होती है

  • कारीगरों और किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है

इन पाँच उत्पादों के लिए आवेदन बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) विशेषज्ञ पी. संजय गांधी की ओर से दायर किए गए थे, जिससे पारंपरिक उत्पादकों को कानूनी सुरक्षा और बेहतर बाज़ार समर्थन मिल सका।

नए GI टैग प्राप्त उत्पादों की मुख्य विशेषताएँ

1. वोरैयूर कॉटन साड़ी

  • हल्के वजन की, बारीक कपास की साड़ी

  • सौम्य डिज़ाइन और पुरातन बुनाई शैली

  • तिरुचिरापल्ली के ऐतिहासिक मंदिर-नगर वोरैयूर की पहचान

2. कविंदापडी नट्टू शक्करै

  • पारंपरिक तरीकों से तैयार किया गया देशी गुड़ पाउडर

  • रसायन-मुक्त, पौष्टिक और प्राकृतिक स्वाद वाला

3. नमक्कल सॉफ्ट स्टोन कुकवेयर

  • हाथ से बनाए गए साबुन-पत्थर के बर्तन

  • गर्मी को लंबे समय तक बनाए रखते हैं

  • धीमी आंच पर पकाने के लिए उपयुक्त, दक्षिण भारतीय रसोई की पहचान

4. थूयमल्ली चावल

  • लंबा दाना, सुगंधित और उच्च गुणवत्ता वाला पारंपरिक चावल

  • स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और उत्कृष्ट पकाने की क्षमता

5. अंबासमुद्रम चोप्पू सामान

  • कारीगरों द्वारा हाथ से बनाए लकड़ी के खिलौने

  • स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक शिल्प कौशल को दर्शाते हैं

तमिलनाडु के लिए इसका महत्व

इस उपलब्धि से:

  • राज्य की पारंपरिक कला, कृषि और शिल्प विरासत को नई पहचान मिली

  • ग्रामीण कारीगरों, बुनकरों और किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी

  • स्थानीय कौशल और सांस्कृतिक उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा मिलेगा

  • तमिलनाडु की स्थिति एक प्रमुख GI हब के रूप में और सुदृढ़ हुई

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