23वें राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन का शुभारंभ आज गोवा के राज्यपाल श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने किया। 5-9 मार्च, 2023 तक आयोजित होने वाले इस पांच दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू और गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत भी शामिल हुए। इस सम्मेलन में 52 देशों के 500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
23वें राष्ट्रमंडल कानून सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने संबोधन के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुली चर्चा के एक सटीक प्लेटफॉर्म के रूप में इस सम्मेलन के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए कानून को ऐसा होना चाहिए जो आम आदमी को आसानी से समझ में आ सके। उन्होंने इसके साथ ही सुशासन और लोगों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
सुशासन और लोगों के कल्याण पर फोकस
केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सुशासन के अनगिनत पहलू और विशेषताएं हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य या लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भ्रष्टाचार को कम से कम किया जाए और समाप्त कर दिया जाए और निर्णय लेते समय समाज के सबसे कमजोर लोगों की राय को भी ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न केवल ‘कारोबार करने में आसानी’, बल्कि ‘जीवन यापन को भी आसान बनाने’ पर विशेष जोर देकर सुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में ‘कानून के शासन’ की अवधारणा की अहम भूमिका है।
प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्राथमिकता देना
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह भी बताया कि सरकार किस तरह से प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्राथमिकता दे रही है। सरकार ने भारतीय न्यायपालिका को पूरी तरह से पेपरलेस या कागज रहित बनाने के उद्देश्य से ‘ई-कोर्ट्स’ के तीसरे चरण की शुरुआत की है। ‘जीवन यापन में आसानी’ और ‘कारोबार करने में आसानी’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि लगभग 13,000 अनुपालन बोझ को सरल बना दिया गया है, जबकि 1,200 से भी अधिक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर दिया गया है।