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राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 2022: महत्व और इतिहास

भारत में ‘शिक्षक दिवस’ प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय और सम्माननीय स्थान होता है। भारत हर साल डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को उनके योगदान और उपलब्धियों को श्रद्धांजलि के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्कुल से लेकर कॉलेजों तक छात्र-छात्राएं बड़े ही धुमधाम से उनकी जयंती मनाते हैं। इस दिन छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं।

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इस दिन का इतिहास:

साल 1962 में डॉ. राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। इस दिन को मनाने का मुख्य महत्व यह है कि डॉ राधाकृष्णन के छात्रों ने उनके जन्मदिन को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति देने के लिए उनसे संपर्क किया। वह उस सम्मान से हैरान और खुश थे जो छात्रों द्वारा उनके शिक्षक न होने के बाद भी उन्हें दिया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को ब्रिटिश भारत की तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी (अब तमिलनाडु में) में हुआ था। वे भारतीय दार्शनिक और राजनेता थे और 20वीं शताब्दी में भारत में तुलनात्मक धर्म और दर्शन के क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध विद्वानों में से एक थे।

डॉ राधाकृष्णन 1949 से 1952 तक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के राजदूत थे और 1952 से भारत के उपराष्ट्रपति बने और 1962 में उन्हें भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। वे राजनीतिज्ञ सी. राजगोपालाचारी, वैज्ञानिक सी.वी. रमन के साथ भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न के पहले प्राप्तकर्ता थे। उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट (1963) से भी सम्मानित किया गया था।

 

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