जर्मन अधिकारियों ने हाइड्रोजन से चलने वाली यात्री ट्रेनों का दुनिया का पहला बेड़ा लॉन्च किया, जो 15 डीजल ट्रेनों की जगह ले रहा है, जो पहले लोअर सैक्सोनी राज्य में गैर-विद्युतीकृत पटरियों पर संचालित होती थीं। सप्लाई चेन की दिक्कतों के बावजूद जर्मनी ने हरित रेल सेवा की ओर बड़ा कदम उठाया है। फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम से मिली 14 ट्रेनों के साथ जर्मन राज्य लोअर सैक्सनी में यह सेवा शुरू की गई है। हैंबर्ग के पास कुक्सहाफेन से ब्रेमरहाफेन, ब्रेमरफोएर्डे और बुक्सटेहुडे तक 100 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर सिर्फ हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफर शुरू किया गया है।
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हाइड्रोजन ट्रेन रेल क्षेत्र को कार्बनुक्त करने की दिशा में बहुत बड़ी संभावनायें ले कर आया है। इसके जरिये जलवायु को प्रदूषित करने वाली डीजल इंजनों से छुटकारा पाया जा सकता है। जर्मनी में अब भी 20 फीसदी यात्रायें डीजल इंजनों के जरिये होती हैं। परिवहन का शून्य उत्सर्जन वाला तरीका कही जा रहीं हाइड्रोजन ट्रेन वातारण में मौजूद ऑक्सीजन को छत पर लगे फ्यूल सेल के जरिये हाइड्रोजन के साथ मिलाती हैं। इसके नतीजे में पैदा हुई बिजली ट्रेन खींचती है।
ईंधन के रूप में हाइड्रोजन पर सिर्फ रेल सवा की ही नजर नहीं है। सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से लेकर, विमान और स्टील या केमिकल जैसे भारी उद्योग भी कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिये हाइड्रोजन की तरफ देख रहे हैं। जर्मनी ने 2020 में सात अरब यूरो की महत्वाकांछी योजना का एलान किया था जिससे कि एक दशक के भीतर देश हाइड्रोजन तकनीक में अगुवा बन जायेगा।