अर्थशास्त्रियों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में आसन्न विकास मंदी (imminent growth slowdown) से भारत के मध्यम अवधि के आर्थिक विकास में बाधा आने की आशंका है। रिसर्च फर्म, नोमुरा इंडिया नॉर्मलाइज़ेशन इंडेक्स (एनआईएनआई) के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में सामान्य स्तर से वापस ऊपर उठ रही है और खपत, निवेश, उद्योग और बाहरी क्षेत्र में व्यापक-स्तर पर लाभ से संचालित हो रही है।
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प्रमुख बिंदु (KEY POINTS):
- मार्च 2022 में, सेवा क्षेत्र पूर्व-कोविड स्तरों से लगभग 4pp पीछे था; हालाँकि, यह वर्तमान में उन स्तरों से 40pp के क़रीब बढ़ रहा है।
- इस सुधार से निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था को अमेरिका में “लंबे समय तक हल्की मंदी (prolonged mild recession)” के चलते मध्यम अवधि में विकास मंदी (growth slowdown in the medium term) का अनुभव होने का अनुमान है, जैसा कि फर्म ने भविष्यवाणी की थी।
- विकास में पहले से ही कठिनाइयाँ आ रही हैं; भारत एकमात्र एशियाई देश है जिसकी मुद्रास्फीति की दर सबसे अधिक है।
भारत पर अमेरिकी बाज़ार का प्रभाव (Impact of US market on India):
- भारत के लगभग 18% माल का निर्यात अमेरिका को किया जाता है, जैसा कि आईटी-आईटीईएस के निर्यात के 60% से अधिक है।
- इसके अतिरिक्त, भारत के निर्यात और निवेश के पूर्वानुमान पर समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी गति से नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- नोमुरा का अनुमान है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2022 में सालाना औसतन 7.2 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो 2023 में धीमी गति से 5.4 प्रतिशत हो जाएगा, जिसमें नकारात्मक प्रभाव (downside risks) होगा।
- चाहे वह शेयर बाजार हो, वस्तुएं हों या दरें हों, सभी मंदी की बढ़ती संभावना के कारण हाल ही में गिरे हैं। हालाँकि विशेषज्ञों के बीच इस बात को लेकर असहमति है कि हम इस समय मंदी के दौर में हैं या नहीं।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के प्रयास में आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि की है। शायद इसी से आर्थिक मंदी आएगी।