सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई, जो मुख्य रूप से ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से प्रेरित है। उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा (consumer price-based inflation figure) लगातार चौथे महीने भारतीय रिज़र्व बैंक की ऊपरी सहनशीलता सीमा (Upper Tolerance Limit) से काफी ऊपर रहा। अप्रैल में, सीपीआई मुद्रास्फीति आठ वर्षों में अपनी उच्चतम गति से बढ़ी है। यह आख़िरी बार मई 2014 में 8.33 प्रतिशत (सबसे उच्च) दर्ज़ किया गया था। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में 6.95 प्रतिशत से अधिक था और एक साल पहले 4.23 प्रतिशत था।
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ऐसा क्यों होता है (Why does this happen)?
- खुदरा मुद्रास्फीति में ‘ईंधन और प्रकाश (fuel and light)’ श्रेणी में मूल्य वृद्धि की दर इस साल अप्रैल में बढ़कर 10.80 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने में 7.52 प्रतिशत थी।
- ‘तेल और वसा (oils and fats)’ श्रेणी में, मुद्रास्फीति अप्रैल में 17.28 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर रही क्योंकि यूक्रेन दुनिया के प्रमुख सूरजमुखी तेल उत्पादकों में से एक है और भारत युद्ध से तबाह देश से वस्तु का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है। इसके अलावा, यूक्रेन भारत को उर्वरक का प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है।
- सब्जियों की महंगाई दर महीने के दौरान 15.41 फीसदी रही, जो मार्च में 11.64 फीसदी थी।
- केंद्र ने रिज़र्व बैंक को खुदरा महंगाई को 2 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रखने का आदेश दिया है।