Home   »   वित्त मंत्री ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान”...

वित्त मंत्री ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत चौथे चरण में उठाए जाने वाले कदमों का किया ऐलान

वित्त मंत्री ने "आत्मनिर्भर भारत अभियान" के तहत चौथे चरण में उठाए जाने वाले कदमों का किया ऐलान |_3.1
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के बीच प्रधानमंत्री द्वारा घोषित “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत आर्थिक राहत पैकेज की कड़ी में कुछ और राहत उपायों को जोड़ते हुए आज चौथे चरण के कदमों की विस्तार से जानकारी साझा की है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मुख्य उद्देश्य से की गई यह घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ही हिस्सा है, जिसका प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 12 मई को ऐलान किया गया था।

अपने संबोधन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत जारी आर्थिक राहत पैकेज के इस चौथे चरण को 8 क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधारों के लिए समर्पित बताया है: कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन (हवाई अंतरिक्ष प्रबंधन, हवाई अड्डों, रखरखाव मरम्मत और समग्र) केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण,अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा.
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए आर्थिक राहत पैकेज के चौथे चरण के तहत किए जाने वाले 8 उपायों से जुड़ी मुख्य विशेषताएं:-

1. कोयला क्षेत्र:

भारत सरकार ने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता और निजी क्षेत्र की भागीदारी शुरू करने के लिए कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन को लाने का निर्णय किया है।
  • निश्चित रुपये/टन की व्यवस्था के बजाय राजस्व साझेदारी व्यवस्था लागू होगी. इसमें कोई भी पक्ष कोयला ब्लॉक के लिए बोली लगा सकता है और खुले बाजार में बिक्री कर सकता है.
  • प्रवेश नियमों को लचीला बनाया जाएगा। तत्काल लगभग 50 ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी. पात्रता की कोई शर्त नहीं होगी, एक सीमा के साथ अग्रिम भुगतान किया जाएगा.
  • पूरी तरह अन्वेषित, कोयला ब्लॉकों की नीलामी के पिछले प्रावधान की तुलना में आंशिक रूप से अन्वेषित ब्लॉकों के लिए अन्वेषण-सह-उत्पादन व्यवस्था लागू होगी.
  • इससे निजी क्षेत्र को अन्वेषण में भाग लेने का अवसर मिलेगा.
  • निर्धारित समय से पहले उत्पादन के लिए राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा.
  • राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से कोयला गैसीकरण / द्रवीकरण को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके परिणामस्‍वरूप पर्यावरणीय प्रभाव काफी कम हो जाएगा और इससे भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था का रुख करने में सहायता मिलेगी.
  • भारत सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें खदानों से रेलवे साइडिंग तक कोयले के मशीनीकृत हस्तांतरण  (कन्वेयर बेल्ट) में 18,000 करोड़ रुपये मूल्‍य का निवेश शामिल होगा.
  • कोयला बेड मीथेन (सीबीएम) निष्कर्षण के अधिकारों की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)की कोयला खानों से नीलामी की जाएगी.
  • खनन योजना सरलीकरण जैसे कारोबार करने में सुगमता जैसे उपाय किए जाएंगे। इससे वार्षिक उत्पादन में स्वत: 40 प्रतिशत वृद्धि होगी.
  • सीआईएल के उपभोक्ताओं को वाणिज्यिक शर्तों में रियायतें दी गई (5,000 करोड़ रुपये की राहत दी जाएगी).
  • गैर-बिजली उपभोक्ताओं के लिए नीलामी में आरक्षित मूल्य में कमी, ऋण की शर्तों में ढील, और उठान की अवधि को बढ़ाया जाएगा.ठाने की अवधि को बढ़ाया जाएगा।

2. खनिज क्षेत्र:

विकास, रोजगार सजृन को बढ़ावा देने और विशेष रूप से अत्याधुनिक अन्वेषण प्रौद्योगिकी लाने के लिए निम्‍नलिखित के माध्यम से संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे:-
  • खनिज क्षेत्र में निर्बाध मिश्रित खोज-खनन-उत्पादन व्यवस्था शुरु की जाएगी.
  • स्वतंत्र एवं पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्‍यम से 500 खनन खंडों की पेशकश की जाएगी.
  • एल्यूमिनीयम उद्योग की प्रतिस्पर्धिता बढ़ाने के लिये बॉक्साइट और कोयला खनिज खंडों की संयुक्त नीलामी की जायेगी, ताकि एल्यूमिनीयम उद्योग को बिजली की लागत में कमी लाने में सहायता की जा सके.
  • खनन पट्टों के हस्तांतरण तथा इस्तेमाल से अधिक बचे खनिजों की बिक्री की मंजूरी देने के लिये कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों बीच के अंतरको समाप्त किया जाएगा, इससे खनन और उत्पादन में बेहतर दक्षता सुनिश्चित होगी.
  • खान मंत्रालय विभिन्न खनिजों के लिए एक खनिज सूचकांक विकसित करने की प्रक्रिया में है। 
  • खनन पट्टे प्रदान करते समय देय स्टाम्प शुल्‍क को तर्कसंगत बनाया जाएगा.
3. रक्षा उत्पादन:
  • रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए वर्ष वार समयसीमा के साथ आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए हथियारों / प्लेटफार्मों की एक सूची को अधिसूचित किया जाएगा.
  • आयातित पुर्जों का स्वदेशीकरण किया जाएगा और घरेलू पूंजी खरीद के लिए अलग से बजट प्रावधान किया जाएगा। इससे हमारे बड़े रक्षा आयात बिल को कम करने में मदद मिलेगी.
  • आयुध निर्माणी बोर्ड के कॉरपोरेटीकरण के माध्यम से आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार लाया जाएगा.
  • स्वचालित मार्ग के जरिए रक्षा विनिर्माण में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जाएगी.
  • अनुबंध प्रबंधन का सहयोग करने के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना की जाएगी, हथियारों / प्लेटफार्मों की सामान्य स्टाफ गुणात्मक आवश्यकताओं (जीएसक्यूआर) की यथार्थवादी स्थापना होगी और ट्रायल एवं टेस्टिंग प्रक्रियाओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा।

4. नागरिक उड्डयन क्षेत्र:


i) एयरस्पेस प्रबंधन

  • भारतीय हवाई क्षेत्र के उपयोग पर प्रतिबंधों को कम किया जाएगा ताकि नागरिक उड़ानें अधिक कुशल हों।
  • सरकार विमानन क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष कुल 1,000 करोड़ रुपये का लाभ लेकर आएगी.
  • इससे हवाई क्षेत्र का इष्टतम उपयोग होगा, ईंधन के उपयोग व समय में कमी आएगी और इसका सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी होगा.
ii) पीपीपी के माध्यम से विश्व स्तरीय हवाई अड्डे
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर परिचालन और रखरखाव के वास्ते दूसरे चरण की बोली लगाने के लिए 6 और हवाई अड्डों की पहचान की गई है। 
  • AAI को 2300 करोड़ रुपये का डाउन पेमेंट भी मिलेगा.
  • चरण 1 और 2 में निजी कंपनियों द्वारा 12 हवाई अड्डों में लगभग 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश लाने की उम्मीद है, तीसरे चरण की बोली के लिए 6 और हवाई अड्डों को उपलब्ध रखा जाएगा.

iii) विमान के रखरखाव, मरम्मत और जीर्णोद्धार (एमआरओ) के लिए भारत एक वैश्विक केंद्र बनेगा

  • भारत को रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल हब बनाने के लिए सरकार द्वारा MRO पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कर व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाया गया है.
  • अगले तीन वर्षों में विमान पुर्जों की मरम्मत और एयरफ्रेम रखरखाव पर खर्च 800 करोड़ रुपये से बढ़कर 2000 करोड़ रुपये किया जाएगा.
  • आने वाले वर्ष में दुनिया के प्रमुख इंजन निर्माताओं द्वारा भारत में इंजन मरम्मत की इकाइयां स्थापित करने की उम्मीद है.
  • बड़े दायरे की अर्थव्यवस्थाओं को बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र और सिविल एमआरओ के बीच मेल स्थापित किया जाएगा.
  • इससे विमानों के रखरखाव की लागत में कमी आएगी.
5. केंद्र शासित प्रदेशों में वितरण का निजीकरण
केंद्रशासित प्रदेशों में विद्युत वितरण कंपनियों का निजीकरण टैरिफ नीति सुधारों की क्रमानुसार किया जाएगा, जिसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। यह टैरिफ नीति तीन स्तंभों के तहत जारी की जाएगी:-
i) उपभोक्‍ता अधिकार
  • डिस्कॉम की विफलताओं के कारण उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं
  • डिस्कॉम के लिए संबद्ध सेवा और जुर्माना के मानक निर्धारित
  • डिस्कॉम को पर्याप्त बिजली सुनिश्चित करना पड़ेगा; लोड शेडिंग के लिए दंडित किया जाएगा
ii)  उद्योग को बढ़ावा
  • क्रॉस सब्सिडी में सुधारवादी कटौती
  • स्पष्ट अभिगमन के लिए समयबद्ध अनुदान
  • उत्पादन और संचरण परियोजना डेवलपरों को प्रतिस्पर्धी रूप से चुना जाएगा

iii)  क्षेत्र की स्थिरता

  • कोई नियामक संपत्ति नही
  • समय पर जेनकोस के लिए भुगतान
  • सब्सिडी और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए डीबीटी
उपरोक्त टैरिफ नीति सुधारों के अनुरूप, केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभागों/ उपादेयताओं का निजीकरण किया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेगी और वितरण के परिचालन में और वित्तीय दक्षता  में सुधार आएगा।

6. सामाजिक अवसंरचना परियोजनाए

  • सरकार ने सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं के निर्माण के लिए 8100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो कि  व्यवहार्यता अंतर वित्‍तपोषण योजना के रूप में जाएगा.
  • सरकार व्यवहार्यता अंतर वित्‍तपोषण यानी वाइब्लिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की मात्रा में 30% तक वृद्धि करेगी, वीजीएफ के रूप में केंद्र और राज्य/ वैधानिक संस्थाओं द्वारा प्रत्येक परियोजना की कुल लागत के लिए। अन्य क्षेत्रों के लिए, भारत सरकार और राज्यों/ वैधानिक संस्थाओं में से प्रत्येक के लिए वीजीएफ का मौजूदा समर्थन 20% जारी रहेगा.
  • ये परियोजनाएँ केंद्रीय मंत्रालयों/ राज्य सरकारों/ वैधानिक संस्थाओं द्वारा परियोजनाओं को प्रस्तावित.

7. अंतरिक्ष क्षेत्र:

  • सरकार ने उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में निजी कंपनियों को समान अवसर प्रदान किया जाएगा. निजी कंपनियों को आशा के अनुकूल नीति और नियामक वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा.
  • भारत सरकार ने निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार लाने के लिए इसरो सुविधाएं और अन्य प्रासंगिक परिसंपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान की करने की घोषणा की है.
  • सरकार निजी क्षेत्र के लिए भविष्य की परियोजनाओं जैसे ग्रहों का खोज करने, अंतरिक्ष यात्रा करने के लिए विकल्प को खुला रखेगी.
  • तकनीक-उद्यमियों को रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराने के लिए लिबरल जियो-स्पेटियल डेटा पॉलिसी बनाई जाएगी.

8. परमाणु ऊर्जा:

  • केंद्र सरकार द्वारा कैंसर और अन्य बीमारियों के लिए सस्ता उपचार प्रदान करने और मानवता के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए, चिकित्सा आइसोटोप के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड में अनुसंधान रिएक्टर की स्थापना की जाएगी.
  • इसके अलावा सरकार द्वारा खाद्य संरक्षण में विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए पीपीपी मोड की सुविधाएं -कृषि सुधारों को पूरा करने के लिए और किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए भी इसकी स्थापना की जाएगी.
  • भारत के सुदृढ़ स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को परमाणु क्षेत्र से जोड़ा जाएगा.
  • इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनुसंधान सुविधाएं और तकनीक-उद्यमियों के बीच तालमेल को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी विकास-सह-ऊष्मायन केंद्रों की स्थापना की जाएगी.

TOPICS:

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *