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रवींद्रनाथ टैगोर की 158 वीं जयंती का उत्साह

रवींद्रनाथ टैगोर की 158 वीं जयंती का उत्साह |_20.1
रबींद्रनाथ टैगोर, भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता जिन्होंने बंगाली साहित्य और संगीत को पुनर्जीवित किया, ये एक शिक्षाविद भी थे जिन्होंने शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय की शुरूआत की तथा इस प्रक्रिया में, परंपरागत शिक्षा को चुनौती दी। रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती को पोचिस बोइशाख 2019 के रूप में भी जाना जाता है।

श्री टैगोर के बारे में रोचक तथ्यों की सूची- 
1.जन्मदिवस के संबंध में भ्रान्ति: बंगाली कैलेंडर के अनुसार, टैगोर का जन्म बोइशाख महीने के 25 वें दिन, 1422 में हुआ था। इसके बाद, पश्चिम बंगाल बंगाली कैलेंडर के अनुसार टैगोर का जन्मदिन मनाता है, जो ग्रेगोरियन  कैलेंडर में 8 मई या 9 मई के समय का ही है। हालांकि, अन्य राज्यों में, रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 7 मई को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है।
  
2. चित्रकार विलियम रोथेंस्टीन वास्तव में टैगोर परिवार के मित्र थे और 1910 में रबींद्रनाथ से मिले थे। टैगोर ने 1912 में अपनी लंदन की यात्रा के दौरान रोथेंस्टीन को अपने खुद के गीतों का अनुवाद दिया, जिसमें शायद गीतांजलि का अनुवाद भी शामिल था।
3. जब टैगोर को 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तो वह इसे प्राप्त करने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे। गीतांजलि की कविताओं के उनके प्रशंसित संग्रह के प्रकाशन के बाद उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  

4. रवींद्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दो अलग-अलग देशों के लिए राष्ट्रीय गीत लिखे हैं। उन्होंने भारत के लिए ‘जन गण मन’ राष्ट्रगान और बांग्लादेश के लिए ‘अमर सोनार बांग्ला’ राष्ट्रगान लिखा।
5. मार्च 2004 में, रबींद्रनाथ टैगोर को दिया गया नोबेल पदक शांतिनिकेतन के उत्तरायण परिसर के एक संग्रहालय से चोरी हो गया था। नोबेल ने बाद में टैगोर के  जन्म शताब्दी पर एक नया पदक जारी किया गया। 
6.  टैगोर और गांधी एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे और वास्तव में टैगोर ने ही राष्ट्र के पिता को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया था। टैगोर और आइंस्टीन ने 1930 और 1931 के बीच चार बार मुलाकात की और एक-दूसरे को जानने की उनकी पारस्परिक जिज्ञासा तथा संगीत के प्रति उनकी निष्ठां और प्रेम के योगदान को उन्होंने स्वीकारा। 

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