दक्षिण अफ्रीका से 8 फरवरी को 12 चीतों को लाया जाएगा। इसकी जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी है।महत्वाकांक्षी चीता पुन: परिचय कार्यक्रम (Cheetah reintroduction programme) के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को अपने 72 वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों के पहले बैच जिसमें पांच मादा और तीन नर थे- को एक बाड़े में छोड़ा था।
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मुख्य बिंदु
- 1952 में भारत में चीता विलुप्त हो गए थे। प्रोजेक्ट चीता, जिसे भारत में चीता की शुरूआत के लिए कार्य योजना भी कहा जाता है, देश में बड़ी चीता को फिर से पेश करने के लिए शुरू की गई थी।
- इसे प्राप्त करने के लिए, भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत दक्षिण अफ्रीका अगले 8 से 10 साल तक हर साल 12 चीते भेजेगा।
- यह परियोजना वानिकी विभाग, दक्षिण अफ्रीकी संगठनों, राष्ट्रीय जैव विविधता संस्थान, लुप्तप्राय वन्यजीव ट्रस्ट आदि द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
- बता दें कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों के परिवहन और कूनो में उन्हें फिर से लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
- दुनिया के 7,000 चीतों में से अधिकांश दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में रहते हैं। नामीबिया में चीतों की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
- चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जो भारत से पूरी तरह से समाप्त हो गया है। जिसका मुख्य कारण अत्यधिक शिकार करना और निवास स्थान की कमी होना है।