एक्स-37बी (X-37B), जिसे आधिकारिक तौर पर ऑर्बिटल टेस्ट व्हीकल (OTV) कहा जाता है, अमेरिकी वायुसेना और स्पेस फोर्स की सबसे रहस्यमयी परियोजनाओं में से एक है। इसे अक्सर “मिनी स्पेस शटल” कहा जाता है। यह अंतरिक्ष में लंबे समय तक टिके रहने, बार-बार उपयोग होने और गुप्त प्रयोगों के लिए जाना जाता है। चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बीच यह अमेरिका की अंतरिक्ष प्रभुत्व रणनीति का अहम हिस्सा है।
प्रारंभिक विकास: नासा ने किया, बाद में इसे बोइंग ने अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए संभाला।
पहली उड़ान: 2010
संचालन: अमेरिकी स्पेस फोर्स (पहले यू.एस. एयरफोर्स रैपिड कैपेबिलिटीज ऑफिस)
आकार: लंबाई ~9 मीटर, विंगस्पैन ~4.5 मीटर
पेलोड बे: एक छोटे पिकअप ट्रक के बिस्तर जितना
मिशन अवधि: 900+ दिन लगातार (रिकॉर्ड: 908 दिन)
पुन: प्रयोज्य (Reusable) स्पेसक्राफ्ट तकनीक की जांच।
गुप्त सैन्य प्रयोग (निगरानी, सेंसर, सामग्री परीक्षण, संभावित हथियार)।
अंतरिक्ष में अमेरिका की श्रेष्ठता को मजबूत करना।
| विशेषता | एक्स-37बी | पारंपरिक उपग्रह |
|---|---|---|
| पुन: उपयोग | हाँ, बार-बार उड़ान | नहीं (एक बार उपयोग) |
| लचीलापन | कक्षा बदल सकता है, लैंड कर सकता है | निश्चित कक्षा |
| मिशन अवधि | 900+ दिन | 5–15 वर्ष |
| उपयोग | गुप्त सैन्य परीक्षण | संचार, मौसम, GPS, निगरानी |
| विशेषता | एक्स-37बी | स्पेसएक्स रॉकेट्स |
|---|---|---|
| प्रकार | स्पेसप्लेन (कक्षा में रुकता है) | रॉकेट (लॉन्च सिस्टम) |
| पेलोड | छोटा, गुप्त | बड़ा (उपग्रह, कार्गो, इंसान) |
| पुन: उपयोग | विमान की तरह लौटता है | बूस्टर और कैप्सूल का पुन: उपयोग |
| भूमिका | सैन्य, गुप्त मिशन | वाणिज्यिक + नासा |
| विशेषता | एक्स-37बी | स्पेस शटल |
|---|---|---|
| आकार | छोटा (9 मीटर) | विशाल (37 मीटर) |
| क्रू | बिना इंसान (स्वचालित) | 7 अंतरिक्ष यात्री |
| मिशन | गुप्त, प्रायोगिक | आईएसएस निर्माण, उपग्रह |
| लागत | सस्ता | अत्यधिक महँगा |
| विशेषता | एक्स-37बी (अमेरिका) | शेनलॉन्ग (चीन) |
|---|---|---|
| पहली उड़ान | 2010 | 2020 (देखा गया) |
| मिशन | 6+ सफल लंबे मिशन | कुछ परीक्षण मिशन (गोपनीय) |
| तकनीक | उन्नत री-एंट्री, गुप्त प्रयोग | समान पुन: उपयोग तकनीक मानी जाती है |
| सैन्य प्रभाव | अमेरिका की श्रेष्ठता | चीन का संतुलन प्रयास |
स्पेस सुपीरियरिटी – अमेरिका की कक्षा नियंत्रण क्षमता बढ़ाना।
पुन: उपयोग तकनीक – खर्च कम और तेजी से तैनाती संभव।
गुप्त बढ़त – विरोधियों को असली क्षमताओं पर अंधेरे में रखना।
स्पेस वॉरफेयर क्षमता – संभावित रूप से दुश्मन उपग्रहों को निष्क्रिय करना या ऊर्जा-आधारित हथियारों का परीक्षण।
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