विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) हर साल मनाया जाता है ताकि शाकाहारी जीवनशैली (Vegan Lifestyle) के महत्व को बढ़ावा दिया जा सके — यानी ऐसा जीवन जो पशु शोषण के सभी रूपों से मुक्त हो, चाहे वह भोजन, वस्त्र, सौंदर्य प्रसाधन या दैनिक उपयोग की वस्तुएँ ही क्यों न हों। यह दिन हमें याद दिलाता है कि छोटे-छोटे बदलाव, जैसे पौधों पर आधारित भोजन अपनाना, हमारे स्वास्थ्य को बेहतर, पशुओं की रक्षा और पर्यावरण की स्थिरता में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
विश्व शाकाहारी दिवस करुणा, स्थिरता और नैतिक जीवन की भावना को मनाने का दिन है। इसका उद्देश्य लोगों को ऐसी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है जो केवल भोजन तक सीमित नहीं, बल्कि सभी जीवों के प्रति सम्मान और दया पर आधारित हो।
यह दिन इस बात की जागरूकता फैलाता है कि पौधों पर आधारित जीवनशैली से न केवल हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि पशु कल्याण और पर्यावरणीय संतुलन भी सशक्त होता है।
विश्व शाकाहारी दिवस 2025 का आयोजन 1 नवंबर को किया जाएगा।
यह दिन विश्व शाकाहारी माह (World Vegan Month) की शुरुआत का प्रतीक भी है।
इस अवसर पर दुनिया भर में:
जागरूकता अभियानों, कुकिंग वर्कशॉप, वेगन फेयर और स्थिरता कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
कैफ़े और रेस्तरां विशेष शाकाहारी मेनू पेश करते हैं।
कई संस्थाएँ पर्यावरण-अनुकूल और क्रूरता-मुक्त जीवनशैली को बढ़ावा देने वाले आयोजन करती हैं।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को दयालु और स्थायी जीवन विकल्पों की ओर प्रेरित करना है।
यह हमें अपने भोजन उपभोग पैटर्न पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है — जो जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और पशु कल्याण पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है
हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है
ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का जोखिम घटता है
अंततः, शाकाहारी जीवनशैली का लक्ष्य है — नैतिक जीवन, स्वस्थ भोजन और हरित ग्रह की दिशा में कदम बढ़ाना।
विश्व शाकाहारी दिवस 2025 की संभावित थीम है —
“वेगनिज़्म और इसका ग्रह, पशुओं और मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव”
इस वर्ष की थीम इस बात पर केंद्रित है कि पौधों पर आधारित विकल्प कैसे:
जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं
पशुओं के कष्ट को कम करते हैं
सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाते हैं
यह लोगों को सतत उपभोग, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के उपयोग और जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रेरित करती है।
विश्व शाकाहारी दिवस की शुरुआत 1994 में हुई थी।
इसे लुईस वालिस (Louise Wallis) ने स्थापित किया था, जो उस समय यूके की शाकाहारी सोसाइटी (Vegan Society) की अध्यक्ष थीं।
यह दिन 1944 में डोनाल्ड वॉटसन (Donald Watson) द्वारा स्थापित शाकाहारी सोसाइटी की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए चुना गया।
“Vegan” शब्द ‘Vegetarian’ के पहले और अंतिम अक्षरों को मिलाकर बनाया गया, जो शाकाहार से आगे बढ़कर पूर्ण पशु-मुक्त जीवनशैली का प्रतीक है।
आज यह दिवस 180 से अधिक देशों में मनाया जाता है और लाखों लोगों को करुणामय एवं स्थायी जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के अध्ययनों के अनुसार, पौधों पर आधारित आहार से जोखिम घटता है:
हृदय रोगों का
टाइप-2 डायबिटीज़ का
मोटापा और कुछ प्रकार के कैंसर का
फल, सब्ज़ियाँ, अनाज और दालों से भरपूर वेगन आहार पाचन, प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारता है।
पशुपालन उद्योग से दुनिया के लगभग 14.5% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होते हैं।
पौध-आधारित भोजन अपनाने से वनों की कटाई, जल उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट कम होते हैं।
यह जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
वेगनिज़्म का सिद्धांत है — किसी भी रूप में पशुओं का शोषण नहीं।
इसलिए वेगन जीवनशैली अपनाने वाले लोग मांस, दूध, अंडे, चमड़ा, ऊन या रेशम जैसे उत्पादों से परहेज़ करते हैं।
यह एक अधिक दयालु और संवेदनशील दुनिया की दिशा में कदम है।
पशु-उत्पादों से परहेज़ — मांस, मछली, अंडा, डेयरी, शहद आदि नहीं।
क्रूरता-मुक्त जीवन — चमड़ा, रेशम, ऊन जैसी वस्तुओं का उपयोग न करना।
सततता का समर्थन — पर्यावरण-अनुकूल और कम-कार्बन उत्पाद अपनाना।
स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना — पौध-आधारित, पौष्टिक आहार लेना।
जागरूकता फैलाना — पशु अधिकारों और नैतिक उपभोक्तावाद का प्रचार करना।
पौध-आधारित भोजन आज़माएँ: घर पर शाकाहारी व्यंजन बनाइए या रेस्तरां में ऑर्डर कीजिए।
कार्यक्रमों में भाग लें: शाकाहारी फूड फेस्टिवल या ऑनलाइन सत्रों में शामिल हों।
स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करें: शाकाहारी-अनुकूल दुकानों और कैफ़े को प्रोत्साहित करें।
शिक्षा फैलाएँ: दोस्तों को वेगनिज़्म और स्थिरता के बारे में जानकारी दें।
स्वयंसेवा करें: पशु आश्रयों या पर्यावरणीय संस्थाओं में योगदान दें।
छोटे कदमों से शुरुआत करें: दिन में एक भोजन शाकाहारी बनाएँ या पौध-आधारित दूध अपनाएँ।
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