हर साल विश्व स्तर पर 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड रेबीज दिवस हर साल 28 सितंबर को इस वायरल बीमारी के प्रभाव और इसे रोकने के तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन विश्व स्तर पर फ्रांसीसी जीवविज्ञानी, सूक्ष्म जीवविज्ञानी और रसायनज्ञ, लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के मौके पर मनाया जाता है, जिन्होंने पहली रेबीज की वैक्सीन विकसित की थी। यह रेबीज की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने का एकमात्र वैश्विक दिन है।
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डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 20,000 रेबीज से मौतें होती हैं। रेबीज ने पिछले पांच सालों में भारत में COVID-19 से ज्यादा लोगों की जान ली है। एक विशेष दिन पर, वैश्विक रेबीज समुदाय दूसरों के बीच इस संक्रामक बीमारी को सूचित करने और उससे निपटने में मदद करता है।
विश्व रेबीज दिवस का महत्व
विश्व रेबीज दिवस को मनाने का उद्देश्य रेबीज पर जागरुकता फैलाने और बीमारी की रोकथाम को बढ़ावा देना है। रेबीज एक वायरल बीमारी है जो इंसानों और जानवरों में दिमाग की सूजन का कारण बनती है। बीमारी का लोगों में आतंक स्वीकार करने के लिए ये महत्वपूर्ण दिन है। दिवस जानवरों की बेहतर देखभाल एवं रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने की जानकारी फैलाने पर फोकस करता है।
विश्व रेबीज दिवस 2022 की थीम
इस वर्ष, विश्व रेबीज दिवस 2022 की थीम ‘Rabies: One Health, Zero Deaths’ है। इस वर्ष की रेबीज डे की थीम ‘जीरो बाय 30’ लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है और यह भी दर्शाता है कि कुत्ते से फैलने वाले ह्यूमन-रेबीज को पूरी तरह खत्म करना संभव है।
विश्व रेबीज दिवस का इतिहास
विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल के बीच साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस;
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की स्थापना: 25 जनवरी 1924;
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के संस्थापक: इमैनुएल लेक्लेन्चे।