हर साल दुनियाभर में 11 अप्रैल को वर्ल्ड पार्किंसंस डे (World Parkinson’s Day) मनाया जाता है। हर खास दिवस की तरह ही इस दिन को सेलेब्रेअ करने के पीछे भी एक खास उद्देश्य है। World Parkinson’s Day लोगों में पार्किंसंस रोग को लेकर जगरूकता फैलाना है। बड़े पैमाने पर बुजुर्गों को होने वाली इस बीमारी को आज भी लोग बुढ़ापा कह कर छोड़ देते हैं। कई लोगों को पार्किंसंस के बारे में कुछ नहीं पता।
पार्किंसन रोग या पीडी एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग के कुछ हिस्सों को धीमा या खराब कर सकती है। पार्किंसंस एक ब्रेन डिसऑर्डर है, जिसमें लोगों के शरीर में अनचाहे मूवमेंट्स होने लगते हैं। कुल मिलाकर सामान्य शब्दों में यह आपके मूवमेंट से जुड़ा एक डिसऑर्डर है। पार्किंसन रोग या पीडी होने पर हाथ या पैर से दिमाग तक पहुंचने वाली नसें काम करने में असमर्थ हो जाती हैं। इससे व्यक्ति का हाथ पर से नियंत्रण बहुत कम हो जाता है।
पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों के हाथ, सिर या शरीर के कुछ भाग खुद ही हिलने लगते हैं। ऐसे में चलने फिरने में परेशानी होती है। यह आपके शरीर के संतुलन को प्रभावित करता है। पीड़ित व्यक्ति सही तरह से बोल नहीं पाता, जिससे वह लोगों को अपनी बात समझाने में असमर्थ हो जाता है। मेमोरी लॉस और डिप्रेशन की समस्या इसके रोगियों में आम है।
जैसा कि हमने पहले कहा विश्व पार्किंसंस दिवस को मनाने के पीछे का उद्धेश्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार पार्किंसंस के बारे में जागरूकता फैलाना है। लोगों को यह बताना कि अक्सर उम्र के साथ कुछ रोग भी आ सकते हैं और आप सावधानी बरत कर उनकी गंभीरता को कैसे कम कर सकते हैं।
न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार के पहले मामले की खोज डॉ. जेम्स पार्किंसन ने की थी। उन्होने साल 1817 में इसके पहले मामले की पुष्टि की। डॉ. जेम्स पार्किंसन का जन्मदिन 11 अप्रैल को आता है। बस स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी इस बड़ी खोज के लिए उनके 1997 से हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है।
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