विश्व ओज़ोन दिवस (World Ozone Day), जिसे आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय ओज़ोन परत संरक्षण दिवस कहा जाता है, हर वर्ष 16 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन उस वैश्विक प्रयास को मान्यता देता है, जिसके तहत पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाने वाली ओज़ोन परत की रक्षा की जा रही है।
स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1994 में 16 सितंबर को विश्व ओज़ोन दिवस घोषित किया।
उद्देश्य: 1987 में हस्ताक्षरित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की स्मृति में, जिसने ओज़ोन परत को नष्ट करने वाले रसायनों (जैसे CFCs) पर रोक लगाने की वैश्विक प्रक्रिया शुरू की।
विशेष मील का पत्थर: 16 सितंबर 2009 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और वियना कन्वेंशन दोनों को सार्वभौमिक अनुमोदन प्राप्त हुआ—यह उपलब्धि पाने वाली पहली पर्यावरणीय संधियाँ बनीं।
“विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई तक” (From Science to Global Action)
यह थीम वियना कन्वेंशन की 40वीं वर्षगांठ का उत्सव है, जिसने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और वैश्विक ओज़ोन संरक्षण प्रयासों की नींव रखी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह अवसर हमें याद दिलाता है कि “जब हम विज्ञान की सुनते हैं तो प्रगति संभव होती है।”
हानिकारक UV-B विकिरण को रोकती है।
मानव स्वास्थ्य, फसलों और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करती है।
त्वचा कैंसर और आंखों में मोतियाबिंद के खतरे को कम करती है।
ओज़ोन परत में क्षरण होने पर DNA को क्षति, समुद्री जीवन का असंतुलन और जैव विविधता पर गंभीर असर पड़ सकता है।
लगभग 100 हानिकारक रसायनों (ODS) पर प्रतिबंध या नियंत्रण लगाया।
किगाली संशोधन (Kigali Amendment) के तहत HFCs (शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें) को धीरे-धीरे समाप्त करने का निर्णय लिया।
इससे ओज़ोन परत की मरम्मत शुरू हुई है, और अनुमान है कि यह 1980 के स्तर तक 21वीं सदी के मध्य तक लौट आएगी।
नियमित वैज्ञानिक निगरानी, अपडेट और सख्त अनुपालन इसे वैश्विक शासन का एक सफल मॉडल बनाते हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में अंटार्कटिका के ऊपर का ओज़ोन छिद्र हाल के वर्षों की तुलना में छोटा रहा।
यदि वर्तमान नीतियाँ जारी रहीं, तो ओज़ोन परत 2045–2060 तक पूरी तरह से 1980 के स्तर पर लौटने की संभावना है।
तिथि: 16 सितंबर (हर वर्ष)
शुरुआत: संयुक्त राष्ट्र महासभा, 1994
पृष्ठभूमि: 1987 का मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
2025 की थीम: “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई तक”
महत्व: ओज़ोन परत = पृथ्वी का रक्षक कवच
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