संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 1-7 फरवरी तक मनाया जाने वाला विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह (World Interfaith Harmony Week – WIHW) विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच आपसी समझ, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की एक वैश्विक पहल है।
2025 की थीम: ‘शांति के लिए एकजुटता’
हर वर्ष, यह सप्ताह एक विशेष विषयवस्तु (थीम) के साथ मनाया जाता है, जो धार्मिक सौहार्द और वैश्विक शांति से संबंधित समकालीन मुद्दों को दर्शाता है।
- 2025 की थीम: ‘शांति के लिए एकजुटता’
- 2024 की थीम: ‘एक अशांत विश्व में सौहार्द’
ये थीम अंतरधार्मिक सहयोग और समझ की महत्ता को रेखांकित करती हैं और इस सप्ताह आयोजित कार्यक्रमों, चर्चाओं व गतिविधियों को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह का इतिहास
प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृति
- इस सप्ताह की अवधारणा पहली बार जॉर्डन के राजा अब्दुल्लाह द्वितीय द्वारा 23 सितंबर 2010 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत की गई थी।
- इस पहल का उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना था।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 20 अक्टूबर 2010 को सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और हर वर्ष फरवरी के पहले सप्ताह को विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह के रूप में मनाने की घोषणा की।
- पहली बार 2011 में यह सप्ताह मनाया गया, और तब से यह परंपरा विश्वभर में विभिन्न सरकारों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों द्वारा अपनाई गई है।
‘द कॉमन वर्ड’ पहल की भूमिका
विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह की नींव 2007 में शुरू की गई ‘द कॉमन वर्ड’ पहल पर आधारित है। इस पहल ने मुस्लिम और ईसाई धार्मिक नेताओं को दो साझा मूलभूत धार्मिक सिद्धांतों पर संवाद करने के लिए आमंत्रित किया:
- ईश्वर के प्रति प्रेम
- अपने पड़ोसी के प्रति प्रेम
इस पहल ने यह संदेश दिया कि धार्मिक मतभेदों के बावजूद, सभी समुदायों में साझा नैतिक मूल्य होते हैं, जो सौहार्द को बढ़ावा दे सकते हैं। WIHW इसी विचार को आगे बढ़ाता है और सरकारों, संस्थानों तथा समाज को अंतरधार्मिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह के उद्देश्य और महत्व
1. आपसी समझ को बढ़ावा देना
- इस सप्ताह के दौरान विभिन्न धर्मों के लोग संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भाग लेते हैं।
- सेमिनार, चर्चाएं और सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से धार्मिक भ्रांतियों और पूर्वाग्रहों को दूर किया जाता है।
2. अंतरधार्मिक संवाद को सशक्त बनाना
- WIHW का मुख्य उद्देश्य धार्मिक समुदायों के बीच खुले संवाद को प्रोत्साहित करना है।
- यह सहिष्णुता और बहुसंस्कृतिवाद को बढ़ावा देता है, जिससे समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।
3. शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना
- यह पहल धार्मिक विविधता को विभाजन का कारण नहीं, बल्कि एकता का स्रोत मानने पर जोर देती है।
- इसका उद्देश्य हिंसा और वैमनस्य को समाप्त कर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
4. सरकारों, संस्थानों और नागरिक समाज को एक मंच पर लाना
- सरकारें, धार्मिक संस्थाएँ और सामाजिक संगठन इस सप्ताह के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिनमें सम्मेलन, संवाद सत्र और सामाजिक सेवा परियोजनाएँ शामिल होती हैं।
5. दयालुता और करुणा के कार्यों को बढ़ावा देना
- इस सप्ताह के दौरान विभिन्न धर्मों के लोग दान, सामुदायिक सेवा, उपवास और प्रार्थना जैसे कार्यों में भाग लेते हैं।
- यह पहल सामाजिक एकजुटता और मानवीय मूल्यों को मजबूत करने में सहायक होती है।
विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह का पालन कैसे किया जाता है?
1. उपासना स्थलों में सहभागिता
- इस दौरान चर्च, मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारे और अन्य धार्मिक स्थलों में सौहार्द और सहिष्णुता पर प्रवचन दिए जाते हैं।
- इससे स्थानीय स्तर पर अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा मिलता है।
2. सम्मेलन और सेमिनार आयोजित करना
- शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक संगठन और सरकारी निकाय कार्यशालाएँ, चर्चाएँ और विचार-विमर्श सत्र आयोजित करते हैं।
- यह कार्यक्रम धार्मिक सौहार्द और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
3. सामुदायिक सेवा कार्यक्रम
- सरकारें और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) सामुदायिक सेवा, अंतरधार्मिक संवाद और जागरूकता अभियान आयोजित करते हैं।
- इन अभियानों के माध्यम से लोग एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं को समझते हैं।
4. सोशल मीडिया अभियानों का संचालन
- डिजिटल युग में, सोशल मीडिया एक प्रमुख मंच बन गया है, जहाँ धार्मिक सौहार्द, सहिष्णुता और एकता के संदेशों को प्रसारित किया जाता है।
- विभिन्न ऑनलाइन अभियानों के माध्यम से अंतरधार्मिक सहयोग और मित्रता की कहानियाँ साझा की जाती हैं।
5. उपवास और प्रार्थनाएँ
- कई धार्मिक समुदाय इस सप्ताह के दौरान स्वेच्छा से उपवास रखते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और ध्यान साधना में संलग्न होते हैं।
- यह सद्भाव और एकता के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करने का एक तरीका होता है।
निष्कर्ष
विश्व अंतरधार्मिक सौहार्द सप्ताह वैश्विक स्तर पर धार्मिक समुदायों के बीच शांति, सहिष्णुता और संवाद को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल है। इस सप्ताह का उद्देश्य धार्मिक विविधता का सम्मान करना और समाज में एकता और सहयोग की भावना को मजबूत करना है। 2025 की थीम ‘शांति के लिए एकजुटता’ वैश्विक समुदाय को यह संदेश देती है कि आपसी संवाद और सहयोग के माध्यम से ही स्थायी शांति और सौहार्द प्राप्त किया जा सकता है।