प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है जो होम्योपैथी के संस्थापक और एक जर्मन चिकित्सक समुएल हानेमैन के जन्म जयंती को समर्पित है। यह दिन स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में होम्योपैथी के मूल्यवान योगदानों को मान्यता देने के लिए समर्पित है। इस साल समुएल हानेमैन की 268वीं जयंती है।
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विश्व होम्योपैथी दिवस 2023 का थीम ‘वन हेल्थ, वन फैमिली’ है। इस थीम का मुख्य उद्देश्य परिवार के हर सदस्य के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए आधारित होम्योपैथिक उपचार के समर्थन का है जो समुदाय के परिवार चिकित्सकों के सहयोग से किया जाता है।
विश्व होम्योपैथी दिवस एक अवसर है जब होम्योपैथी को बढ़ावा देने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता फैलाना है और उसकी सफलता दर को सुधारने की दिशा में प्रयास करना है। होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो मरीज में शरीर की सहज चिकित्सा प्रक्रियाओं को उत्तेजित करके काम करती है। इसका सिद्धांत है कि एक बीमारी के लक्षणों का उपचार उन्हें मिमिक करने वाली प्राकृतिक पदार्थों की छोटी मात्रा देकर किया जा सकता है।
होम्योपैथी के संस्थापक के रूप में मशहूर विद्वान और चिकित्सक समुएल हानेमैन, फ्रांस से थे। उनका जन्म 10 अप्रैल, 1755 को पेरिस में हुआ था। उनके चिकित्सा अभ्यास के पहले 15 वर्षों में, वे अपने जीवन को गुजारने में संघर्ष करते रहे और अंततः एक महत्वपूर्ण खोज की। उन्होंने यह माना कि रोग के लक्षणों को उत्पन्न करने वाले पदार्थों का उपयोग करने से ही मरीज को ठीक किया जा सकता है। यह होम्योपैथी का मौलिक सिद्धांत है, जिसे “like cures like” कहा जाता है।
भारत में, भारत सरकार का आयुष मंत्रालय, विश्व होम्योपैथी दिवस का आयोजन करता है। होम्योपैथी भारत में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, और इसे कम साइड इफेक्ट्स वाला एक सुरक्षित चिकित्सा तरीका माना जाता है।
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