प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विश्व चगास रोग दिवस मनाया जाता है ताकि लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली इस अल्पज्ञात बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके, खासकर लैटिन अमेरिका में। 72वीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने वर्ष 2019 में चगास रोग दिवस को मंज़ूरी दी थी।
विश्व चगास रोग दिवस 2024 का विषय “चगास रोग से निपटना: जल्दी पता लगाएं और जीवन की देखभाल करें” है। इस थीम का उद्देश्य चगास रोग के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और शीघ्र निदान और जीवन भर, व्यापक अनुवर्ती देखभाल पहल के लिए अधिक धन और समर्थन सुरक्षित करना है।
चगास रोग, जिसे “साइलेंट एवं साइलेंस्ड (Silent And Silenced) ” के रूप में भी जाना जाता है, WHO के अनुसार, यह एक संचारी परजीवी रोग है जिससे विश्व भर में सालाना 6-7 मिलियन लोग संक्रमित होते हैं और लगभग 12,000 लोगों की मौत हो जाती है। इस बीमारी का नाम चिकित्सक कार्लोस चगास के नाम पर रखा गया है जिन्होंने पहली बार वर्ष 1909 में ब्राज़ील के एक बच्चे में इसका पता लगाया था।
यह प्रोटोजोआ वर्ग के ट्रिपैनोसोमा क्रूज़ी (Trypanosoma Cruzi) के कारण होता है, जो ‘ट्रायटोमिनाई’ या ‘किसिंग बग्स’ परिवार द्वारा प्रेषित होता है जो काटने या शौच के माध्यम से स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित करता है। यह जन्मजात संचरण, रक्त आधान, अंग प्रत्यारोपण, संक्रमित कीट के मल से दूषित भोजन के सेवन या आकस्मिक प्रयोगशाला जोखिम के माध्यम से भी फैल सकता है।
यह रोग बुखार, सिरदर्द, चकत्ते, सूजन संबंधी गाँठ, मतली या दस्त और मांसपेशियों या पेट में दर्द के रूप में प्रकट होता है। 70-80% रोगियों में जीवन भर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, जिससे शुरुआती पहचान चुनौतीपूर्ण हो जाती है। 20-30% रोगियों में संक्रमण जीर्ण अवस्था में विकसित होते हैं, जिससे हृदय, पाचन तंत्र या तंत्रिका तंत्र को नुकसान होता है।
विश्व चगास रोग दिवस का आयोजन इस उपेक्षित बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, प्रभावित लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं तक समान पहुंच की वकालत करने और बीमारी को खत्म करने के लिए निवारक उपायों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
विश्व चगास रोग दिवस पहली बार 14 अप्रैल, 2020 को बीमारी से पीड़ित लोगों की जागरूकता और दृश्यता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया गया था। 14 अप्रैल को इस दिन को चिह्नित करने के लिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन 1990 में मानव में चगास रोग का पहला केस दर्ज किया गया था। बेरेनिस सोरेस डी मौरा नाम की ब्राजीलियाई लड़की चागास रोग की पहली मरीज थी। इस बीमारी का नाम डॉ कैलरोस रिबेरो जस्टिनियानो चागास के नाम पर पड़ा था, जिन्होंने इस बीमारी का इलाज किया था।
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