विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में घटकर 6.6 फीसदी रह जाएगी। इसके बावजूद भारत सात सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में सर्वाधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती अनिश्चितता का असर भारत पर भी पड़ सकता है।
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विश्व बैंक ने ताजा अनुमान में कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। 2024-25 में वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है। 2021-22 में यह 8.7% रही थी। बयान के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का निर्यात एवं निवेश पर असर पड़ेगा।
श्विक संस्था ने कहा कि भारत ने रुपये में गिरावट पर अंकुश लगाने के लिए विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को रोकने को अपने अंतरराष्ट्रीय भंडार का उपयोग किया है। नवंबर, 2022 में भारत का विदशी मुद्रा भंडार 550 अरब डॉलर या जीडीपी का 16 फीसदी था।
विश्व बैंक ने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढांचे और कारोबार के लिए सुविधाओं पर खर्च बढ़ाया है। इससे निजी निवेश जुटाने में मदद मिलेगी और विनिर्माण क्षमता के विस्तार को समर्थन मिलेगा। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में सालाना आधार पर जीडीपी की वृद्धि दर 9.7 फीसदी रही है। इससे निजी खपत और निवेश में वृद्धि का संकेत मिलता है।
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