वर्ष 2025 ने वैश्विक जलवायु संकट में एक दुखद मानक स्थापित किया, जब जंगल की आग, अत्यधिक गर्मी, बाढ़, चक्रवात और सूखे के चलते विश्वभर में 120 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। क्रिश्चियन एड की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ये विनाशकारी घटनाएँ जलवायु परिवर्तन और जलवायु से संबंधित निष्क्रियता की बढ़ती लागत को उजागर करती हैं, जिसमें गरीब देशों को सबसे अधिक क्षति झेलनी पड़ रही है, जबकि उनका वैश्विक उत्सर्जन में योगदान न्यूनतम है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि चरम मौसम की घटनाएँ अब केवल अलग-थलग प्राकृतिक घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि जीवाश्म ईंधन के निरंतर विस्तार और विलंबित राजनीतिक कार्रवाई के संभावित परिणाम हैं।
रिपोर्ट का अनुमान है कि जलवायु संबंधी दस सबसे महंगी आपदाओं के कारण ही 122 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ, जो काफी हद तक बीमाकृत नुकसान पर आधारित है।
दूसरी सबसे महंगी घटना नवंबर में दक्षिण पूर्व एशिया में आए चक्रवात और बाढ़ थी, जिससे थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, वियतनाम और मलेशिया प्रभावित हुए।
इन आपदाओं ने पूरे क्षेत्र में कृषि, परिवहन और शहरी बुनियादी ढांचे को बाधित कर दिया, जिससे जलवायु चरम सीमाओं के प्रति दक्षिण पूर्व एशिया की उच्च संवेदनशीलता रेखांकित हुई।
चीन में बाढ़ तीसरे स्थान पर रही, जिसके कारण निम्नलिखित नुकसान हुए:
बाढ़ ने अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के कारण शहरी केंद्रों और औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए बढ़ते जोखिमों को उजागर किया।
2025 में हुई छह सबसे महंगी आपदाओं में से चार एशिया में हुईं, जिससे वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र के रूप में इसकी स्थिति की पुष्टि होती है।
रिपोर्ट में दस अतिरिक्त चरम मौसम घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है जो कम बीमाकृत नुकसान के कारण शीर्ष दस में शामिल नहीं हो पाईं, लेकिन मानवीय दृष्टि से समान रूप से या उससे भी अधिक विनाशकारी थीं।
इनमें शामिल थे,
यहां तक कि अंटार्कटिका और दुनिया के महासागर भी प्रभावित हुए, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया और प्रवाल विरंजन (कोरल ब्लीचिंग) हुआ, जिससे वैश्विक जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया।
हालांकि संपत्ति के उच्च मूल्यों और बीमा कवरेज के कारण धनी देशों में वित्तीय नुकसान अधिक प्रतीत होता है, रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि गरीब देशों को असमान रूप से अधिक मानवीय पीड़ा झेलनी पड़ती है।
ये राष्ट्र,
क्रिश्चियन एड के सीईओ पैट्रिक वाट ने चेतावनी दी है कि यदि उत्सर्जन में तेजी से कमी नहीं की गई तो 2025 एक खतरनाक भविष्य की झलक है।
रिपोर्ट में निम्नलिखित की मांग की गई है:
प्रश्न: 2025 में सबसे महंगी जलवायु आपदा कौन सी थी?
A. दक्षिणपूर्व एशिया का चक्रवात
B. कैलिफोर्निया की जंगल की आग
C. चीन की बाढ़
D. फिलीपींस का तूफान
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