Home   »   सिक्किम टैक्स-फ्री क्यों है?

सिक्किम टैक्स-फ्री क्यों है?

सिक्किम, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक सुरम्य राज्य, अपनी खूबसूरत वादियों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विशिष्ट कर-नीतियों के लिए प्रसिद्ध है। अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में सिक्किम को विशेष कर-मुक्त स्थिति प्राप्त है, जो इसे अद्वितीय बनाती है। इस लेख में सिक्किम की कर-मुक्त स्थिति के ऐतिहासिक, कानूनी और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

सिक्किम कर-मुक्त क्यों है?

1. एक स्वतंत्र राज्य के रूप में सिक्किम

सिक्किम, भारत में विलय से पहले, नामग्याल वंश द्वारा शासित एक स्वतंत्र साम्राज्य था। इसका अपना प्रशासनिक एवं कर प्रणाली थी, जो भारत के अन्य राज्यों से भिन्न थी।

2. भारत-सिक्किम संधि, 1950

भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1950 में भारत और सिक्किम के बीच एक संधि हुई, जिससे सिक्किम को भारत का एक संरक्षित राज्य (प्रोटेक्टरट) बना दिया गया। इस संधि के तहत, सिक्किम को आंतरिक स्वायत्तता दी गई, जबकि भारत ने इसकी रक्षा, विदेशी मामलों और संचार व्यवस्था को नियंत्रित किया।

3. 1975 में भारत में विलय

1975 में एक जनमत संग्रह (रेफरेंडम) के बाद, सिक्किम आधिकारिक रूप से भारत का 22वां राज्य बन गया। हालांकि, इस विलय की शर्तें विशेष थीं। 36वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 के माध्यम से भारतीय संविधान में अनुच्छेद 371F जोड़ा गया, जिसमें सिक्किम की विशिष्ट पहचान, कानूनी व्यवस्थाओं और कर छूट जैसे विशेष अधिकारों को बनाए रखा गया।

कानूनी आधार: अनुच्छेद 371F और कर छूट

1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371F

यह अनुच्छेद सिक्किम की विशिष्ट पहचान को सुरक्षित रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि सिक्किम के मौजूदा कानून और विशेषाधिकार जारी रहें, जिसमें कर छूट भी शामिल है।

2. सिक्किम आयकर नियमावली, 1948

सिक्किम का कर ढांचा पहले से ही 1948 की सिक्किम आयकर नियमावली द्वारा संचालित था। भारत में विलय के बाद, इसे धीरे-धीरे राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप लाया गया, लेकिन स्थानीय सिक्किमी निवासियों के लिए विशेष कर छूट जारी रखी गई।

2008 में कर कानून में बदलाव: धारा 10(26AAA)

2008 के केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) जोड़ी गई, जिससे सिक्किम के निवासियों के लिए कर छूट को औपचारिक रूप दिया गया।

धारा 10 (26AAA) के प्रमुख प्रावधान:

  • आयकर छूट: सिक्किम के निवासी राज्य के भीतर अर्जित आय, लाभांश और प्रतिभूतियों (securities) से प्राप्त ब्याज पर आयकर से मुक्त हैं।
  • SEBI छूट: सिक्किम के निवासियों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निवेश के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता से मुक्त कर दिया गया।

सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय और प्रभाव

1. पुराने भारतीय निवासियों का अपवर्जन (Exclusion of Old Indian Settlers)

शुरुआत में, धारा 10 (26AAA) ने 1975 से पहले सिक्किम में बसे भारतीय नागरिकों को कर छूट से बाहर रखा था। इसके खिलाफ सिक्किम के पुराने भारतीय निवासियों के संघ (AOSS) ने याचिका दायर की, जिसमें इसे भेदभावपूर्ण बताया गया।

2. सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि सिक्किम के सभी निवासियों को कर छूट का लाभ मिलना चाहिए, चाहे वे पुराने भारतीय निवासी हों या वे महिलाएं जिन्होंने 1 अप्रैल 2008 के बाद गैर-सिक्किमी पुरुषों से विवाह किया हो। कोर्ट ने अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव निषेध) और 21 (जीवन का अधिकार) का हवाला देते हुए इस अपवर्जन को असंवैधानिक करार दिया।

वर्तमान स्थिति और कर-मुक्त स्थिति के लाभ

1. कर छूट का सार्वभौमिक विस्तार

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद, कर छूट का लाभ सभी पात्र सिक्किम निवासियों को दिया जा रहा है, जिसमें शामिल हैं:

  • आयकर छूट: सिक्किम के भीतर अर्जित आय पर कोई कर नहीं।
  • निवेश लाभ: भारतीय प्रतिभूति बाजार में निवेश के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता समाप्त

2. सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

सिक्किम की कर-मुक्त स्थिति से राज्य के आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में वृद्धि हुई है। यह नीति:

  • निवेश को आकर्षित करती है
  • पर्यटन को बढ़ावा देती है
  • अधोसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) के विकास में सहायक होती है

निष्कर्ष

सिक्किम की कर-मुक्त स्थिति ऐतिहासिक, कानूनी और सामाजिक कारणों से स्थापित की गई है। अनुच्छेद 371F और धारा 10 (26AAA) के तहत, सिक्किम को विशिष्ट कर लाभ दिए गए हैं, जिससे राज्य की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को गति मिली है। सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय ने समानता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हुए इस नीति को और अधिक समावेशी बना दिया है।

सिक्किम टैक्स-फ्री क्यों है? |_3.1