आईपीएल मिनी-नीलामी में उस समय इतिहास रच गया जब ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर कैमरन ग्रीन पर कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने ₹25.20 करोड़ की रिकॉर्ड बोली लगाई। यह आईपीएल नीलामी में किसी विदेशी खिलाड़ी के लिए अब तक की सबसे ऊँची बोली है। हालांकि, सुर्खियाँ बटोरने वाली इस राशि के बावजूद कैमरन ग्रीन को वास्तव में ₹18 करोड़ ही मिलेंगे। यह विरोधाभास भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा लागू किए गए एक नए नियम के कारण है, जिसका उद्देश्य विदेशी खिलाड़ियों की कमाई को नियंत्रित करना और फ्रेंचाइज़ियों के बीच वित्तीय संतुलन बनाए रखना है।
कैमरन ग्रीन नीलामी सूची में सबसे बड़ा नाम बनकर उतरे, हालांकि चोट के कारण वह मेगा ऑक्शन में हिस्सा नहीं ले पाए थे। ₹2 करोड़ के बेस प्राइस के साथ उनसे मजबूत प्रतिस्पर्धा की उम्मीद थी—और वैसा ही हुआ। बोली की शुरुआत सीमित पर्स होने के बावजूद मुंबई इंडियंस ने की, जिसके बाद राजस्थान रॉयल्स और फिर कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) इस रेस में शामिल हो गए। जैसे ही मुंबई बाहर हुई और राजस्थान अपनी वित्तीय सीमा तक पहुँच गया, मुकाबला KKR और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के बीच और तेज हो गया—ये दोनों ही फ्रेंचाइज़ियाँ उस समय सबसे बड़े शेष पर्स वाली थीं। रणनीतिक ज़रूरतों से प्रेरित होकर—KKR आंद्रे रसेल के आईपीएल से संन्यास के बाद एक रिप्लेसमेंट ऑलराउंडर की तलाश में था, जबकि CSK को पावर-हिटिंग ऑलराउंड फिनिशर चाहिए था—बोली में जबरदस्त उछाल आया और अंततः यह ₹25 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई।
कैमरन ग्रीन को पूरे ₹25.2 करोड़ नहीं मिलने का कारण BCCI द्वारा मिनी-ऑक्शन के लिए हाल ही में लागू किया गया एक नया नियम है, जो विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी को नियंत्रित करता है। इस नियम के अनुसार, किसी भी विदेशी खिलाड़ी को मिनी-ऑक्शन से मिलने वाली अधिकतम राशि निम्न में से जो कम हो, उसी तक सीमित रहेगी—
वर्तमान चक्र में, भले ही ऋषभ पंत ₹27 करोड़ में खरीदे गए हों, लेकिन सबसे ऊँची रिटेंशन राशि ₹18 करोड़ है। इसी वजह से मिनी-ऑक्शन में चुने गए किसी भी विदेशी खिलाड़ी के लिए ₹18 करोड़ ही प्रभावी वेतन सीमा बन जाती है। इस नए प्रावधान का उद्देश्य फ्रेंचाइज़ियों के बीच वित्तीय संतुलन बनाए रखना और मिनी-ऑक्शन में असंतुलित बोली को नियंत्रित करना है।
यदि किसी विदेशी खिलाड़ी की ऑक्शन बोली ₹18 करोड़ की निर्धारित सीमा से अधिक होती है, तो अतिरिक्त राशि न तो खिलाड़ी को मिलती है और न ही फ्रेंचाइज़ी के पास रहती है। यह राशि सीधे BCCI के पास जमा हो जाती है। कैमरन ग्रीन के मामले में—
यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि फ्रेंचाइज़ियाँ खुलकर प्रतिस्पर्धी बोली लगा सकें, लेकिन विदेशी खिलाड़ियों की कमाई निर्धारित वेतन सीमा से अधिक न हो।
BCCI ने यह नियम इसलिए लागू किया क्योंकि हाल के मिनी-ऑक्शनों में यह देखा गया कि कुछ विदेशी खिलाड़ी असमान रूप से बहुत ऊँची बोलियाँ हासिल कर रहे थे, जो कई बार शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों को मिलने वाली रिटेंशन राशि से भी अधिक होती थीं। इस नियम के पीछे मुख्य उद्देश्य हैं—
विदेशी खिलाड़ियों के वेतन को रिटेंशन सीमा से जोड़कर, BCCI ने टीम निर्माण में भारतीय कोर खिलाड़ियों की प्राथमिकता को और मज़बूत किया है।
KKR जैसी फ्रेंचाइज़ियों के लिए इसका मतलब यह है कि वे बड़े विदेशी सितारों को टीम में शामिल तो कर सकती हैं, लेकिन स्क्वाड के भीतर लंबे समय की वेतन असमानता की चिंता नहीं रहेगी। वहीं खिलाड़ियों, खासकर विदेशी स्टार खिलाड़ियों के लिए, यह संकेत है कि रिकॉर्ड बोली हमेशा रिकॉर्ड भुगतान में नहीं बदलेगी। समग्र रूप से देखें तो यह नियम IPL इकोसिस्टम में वित्तीय अनुशासन लाता है, साथ ही ऑक्शन की रोमांचक और प्रतिस्पर्धी प्रकृति को भी बनाए रखता है।
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