अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट के अनुसार, विस्तारित ब्रिक्स (BRICS) समूह—जिसमें अब सऊदी अरब, मिस्र, यूएई, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान भी शामिल हैं—2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने जा रहा है।
इन देशों में इथियोपिया 7.2% की अनुमानित दर के साथ सबसे आगे है, जबकि भारत 6.6% की वृद्धि दर के साथ दूसरा सबसे तेज़ उभरता हुआ अर्थतंत्र बना हुआ है। चीन और यूएई दोनों की अनुमानित वृद्धि दर 4.8% है। तेल आधारित अर्थव्यवस्थाएँ जैसे सऊदी अरब (4.0%) और मिस्र (4.3%) भी मजबूत रफ्तार बनाए हुए हैं।
वहीं, ब्राज़ील (2.4%), रूस (0.6%), और ईरान (0.6%) की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रहने की संभावना है।
कुल मिलाकर, ब्रिक्स देशों की औसत जीडीपी वृद्धि दर 3.8% रहने का अनुमान है—जो G7 देशों (1.0%) की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है। यह दर्शाता है कि उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अब वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार की प्रमुख चालक बन रही हैं, जबकि विकसित देश मुद्रास्फीति, वृद्ध होती जनसंख्या और उत्पादकता की मंदी से जूझ रहे हैं।
दूसरी ओर, G7 देशों—कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका—की औसत वृद्धि दर 2025 में केवल 1.0% रहने की संभावना है।
अमेरिका (2.0%) इस समूह में सबसे आगे है।
यूके (1.3%), कनाडा (1.2%), और जापान (1.1%) इसके बाद आते हैं।
यूरोज़ोन की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ संघर्ष कर रही हैं — फ्रांस (0.7%), इटली (0.5%), और जर्मनी (0.2%) सबसे कमजोर प्रदर्शन करेंगे।
IMF की रिपोर्ट के अनुसार, कठोर मौद्रिक नीतियाँ, कम मांग, और भू-राजनीतिक तनाव इन देशों की विकास दर को सीमित कर रहे हैं। उच्च ब्याज दरें और सुस्त उपभोग के कारण अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाओं में विस्तार सीमित रहेगा।
| देश | अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर (%) |
|---|---|
| ब्राज़ील | 2.4 |
| रूस | 0.6 |
| भारत | 6.6 |
| चीन | 4.8 |
| दक्षिण अफ्रीका | 1.1 |
| सऊदी अरब | 4.0 |
| मिस्र | 4.3 |
| यूएई | 4.8 |
| इथियोपिया | 7.2 |
| इंडोनेशिया | 4.9 |
| ईरान | 0.6 |
| औसत (Average) | 3.8 |
| देश | अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर (%) |
|---|---|
| कनाडा | 1.2 |
| फ्रांस | 0.7 |
| जर्मनी | 0.2 |
| इटली | 0.5 |
| जापान | 1.1 |
| यूनाइटेड किंगडम | 1.3 |
| संयुक्त राज्य अमेरिका | 2.0 |
| औसत (Average) | 1.0 |
(स्रोत: IMF World Economic Outlook, अक्टूबर 2025 अपडेट)
ब्रिक्स (3.8%) और G7 (1.0%) के बीच यह बड़ा अंतर वैश्विक आर्थिक शक्ति संतुलन में परिवर्तन को दर्शाता है।
उभरती अर्थव्यवस्थाएँ घरेलू बाजारों के विस्तार, डिजिटल नवाचार और औद्योगिक विविधीकरण के माध्यम से वृद्धि कर रही हैं।
इसके विपरीत, विकसित अर्थव्यवस्थाएँ जनसंख्या वृद्धावस्था, मुद्रास्फीति नियंत्रण, और कम उत्पादकता के कारण धीमी गति में हैं।
उदाहरण के तौर पर —
भारत (6.6%) दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
इथियोपिया (7.2%) सभी विकासशील देशों में शीर्ष पर है।
चीन (4.8%) की वृद्धि दर भले कम हो, लेकिन यह अब भी अधिकांश G7 देशों से कहीं अधिक है।
यदि ये अनुमान सही साबित होते हैं, तो 2025 वह वर्ष बन सकता है जब वैश्विक आर्थिक केंद्र एशिया और अफ्रीका की ओर शिफ्ट हो जाएगा।
ब्रिक्स देश, जो दुनिया की लगभग आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, वैश्विक वृद्धि का सबसे बड़ा योगदान देंगे।
वहीं, G7 देश मुद्रास्फीति नियंत्रण और स्थिर रोजगार बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
IMF की रिपोर्ट का मुख्य संदेश स्पष्ट है —
“दुनिया की विकास गति अब पश्चिम नहीं, बल्कि पूर्व और दक्षिण की ओर झुक रही है।”
यह दशक संभवतः पारंपरिक आर्थिक शक्तियों का नहीं, बल्कि ब्रिक्स देशों का दशक होगा — जहाँ उपभोग, बुनियादी ढाँचा और प्रौद्योगिकी, परिवर्तन की नई धारा को आगे बढ़ा रहे हैं।
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