हवाई यात्रा ने ग्रह पर संचार के तरीकों को बदल दिया है। आज हम कुछ ही घंटों में देशों के बीच संदेश और पार्सल भेज सकते हैं। लेकिन कई वर्षों पूर्व, लोग केवल जहाज़ों, ट्रेनों और सड़क परिवहन पर निर्भर थे, जो काफी समय लेते थे। डाक वितरण में हवाई जहाजों का उपयोग करने का सोचना एक नवीन और रोमांचक कदम था जिसने त्वरित वैश्विक संचार के द्वार खोले।
विश्व की पहली आधिकारिक हवाई डाक सेवा भारत में प्रारंभ हुई। यह घटना 18 फरवरी 1911 को ब्रिटिश शासन के दौरान हुई। हेनरी पेक्वेट नामक एक फ्रांसीसी पायलट ने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से नैनी तक एक छोटे हंबर बाइप्लेन में उड़ान भरी। उनके पास लगभग 6,500 पत्र और पोस्टकार्ड थे। यह उड़ान केवल कुछ मिनटों की थी, लेकिन विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बन गई।
कुंभ मेले के समय यह विशेष उड़ान संचालित की गई थी। इसका लक्ष्य दान के लिए धन इकट्ठा करना था। सभी पत्रों पर “पहली हवाई डाक” नाम का एक विशेष स्टाम्प लगा हुआ था। दूरी भले ही कम थी, लेकिन इस कार्यक्रम ने सिद्ध कर दिया कि हवाई जहाज सुरक्षित रूप से डाक भेज सकते हैं।
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