मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता बढ़ाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। ये फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधार, टीकाकरण को बढ़ावा देने तथा नवजात शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। सरकार के इस फैसले से न केवल इन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच भी बेहतर होगी।
आशा कार्यकर्ता (ASHA Workers)
प्रमाणित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHA) भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं। ये समुदाय और स्वास्थ्य सेवाओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती हैं। उनकी जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
पोषण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना
मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सहायता करना
सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी देना
ममता कार्यकर्ता (Mamta Workers)
ममता कार्यकर्ता मुख्यतः महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवक होती हैं, जो विशेष रूप से निम्न कार्यों पर केंद्रित रहती हैं:
सुरक्षित प्रसव पद्धतियों को बढ़ावा देना
माताओं को पोषण और नवजात शिशु देखभाल पर परामर्श देना
नियमित प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर जांच सुनिश्चित करना
परिवार नियोजन और बाल टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाना
प्रोत्साहन राशि में वृद्धि के विवरण
आशा कार्यकर्ताओं के लिए:
पहले मानदेय: ₹1,000 प्रति माह
नया मानदेय: ₹3,000 प्रति माह
लाभ: तीन गुना वृद्धि, जो उनके ग्रामीण स्वास्थ्य में अहम योगदान को सीधे मान्यता देती है।
ममता कार्यकर्ताओं के लिए:
पहले प्रोत्साहन: प्रति सुरक्षित प्रसव ₹300
नया प्रोत्साहन: प्रति सुरक्षित प्रसव ₹600
लाभ: प्रोत्साहन राशि दुगनी कर दी गई है, जिससे गांवों में मातृ एवं शिशु देखभाल को प्रोत्साहन मिलेगा।
ग्रामीण स्वास्थ्य पर प्रभाव:
सरकार के इस निर्णय से निम्नलिखित लाभ होने की उम्मीद है:
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा, जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी
ग्रामीण बिहार में सुरक्षित मातृत्व प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा
महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा में भागीदारी बढ़ेगी
दूरदराज़ के गांवों में सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिलेगी
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