2024 में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट “ब्लू कार्बन और कार्बन पृथक्करण में इसकी भूमिका” ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में मैंग्रोव वनों की अपार क्षमता को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, मैंग्रोव अकेले प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जिससे वे प्राकृतिक कार्बन भंडार के रूप में अत्यंत प्रभावी साबित होते हैं। यह खोज जलवायु परिवर्तन को कम करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों में ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र के महत्व को दर्शाती है।
ब्लू कार्बन क्या है?
परिभाषा और क्षेत्र
ब्लू कार्बन उस कार्बन को संदर्भित करता है जो महासागरीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा अवशोषित और संग्रहीत किया जाता है। इनमें मैंग्रोव वन, समुद्री घास (सीग्रास) के मैदान, लवणीय दलदल और ज्वारीय दलदल शामिल हैं। ये तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, स्थलीय (जमीनी) वनों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी ढंग से कार्बन पृथक (सेक्वेस्टर) और संग्रहीत करते हैं, जिससे वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं।
ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका
ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी के सबसे प्रभावी कार्बन भंडारों में से एक हैं। ये स्थलीय वनों की तुलना में अधिक तेजी से कार्बन अवशोषित और संग्रहीत करते हैं। ये पारिस्थितिक तंत्र न केवल CO₂ को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करते हैं, बल्कि कई अन्य पारिस्थितिक लाभ भी प्रदान करते हैं, जैसे –
तटीय सुरक्षा – तूफानों, सुनामियों और समुद्री जलस्तर वृद्धि से बचाव।
जैव विविधता संरक्षण – कई समुद्री और स्थलीय प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करना।
आजीविका सहायता – तटीय समुदायों को मछली, लकड़ी और शहद जैसे संसाधन उपलब्ध कराना।
मैंग्रोव का कार्बन पृथक्करण में योगदान
मैंग्रोव – कार्बन भंडारण के पावरहाउस
रिपोर्ट के अनुसार, मैंग्रोव वनों की कार्बन संग्रहीत करने की क्षमता अत्यधिक प्रभावी होती है। ये प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जो अधिकांश स्थलीय वनों की तुलना में कहीं अधिक है। मैंग्रोव पेड़ अपने जमीनी और भूमिगत दोनों भागों में कार्बन को संग्रहीत करते हैं, जिनमें से अधिकतर उनकी मृदा में संरक्षित रहता है।
ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरे
इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों को मानव गतिविधियों से गंभीर खतरा है। प्रमुख कारणों में शामिल हैं –
जल कृषि (एक्वाकल्चर) – मैंग्रोव को झींगा पालन में बदलना।
कृषि विस्तार – तटीय भूमि पर खेती के लिए अतिक्रमण।
अत्यधिक कटाई – मैंग्रोव वनों का अनियंत्रित दोहन।
प्रदूषण – स्थलीय और समुद्री स्रोतों से अपशिष्ट और रसायनों का फैलाव।
शहरी और औद्योगिक विकास – तटीय बुनियादी ढांचे का निर्माण।
मैंग्रोव पुनर्स्थापन से आर्थिक लाभ
भारत में मैंग्रोव संरक्षण से आर्थिक विकास
भारत में मैंग्रोव पुनर्स्थापन परियोजनाओं ने पारिस्थितिक तंत्र को सुधारने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। 2023 में कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) नीति के तहत सरकारी सुधारों और वित्तीय सहायता ने मैंग्रोव वनों को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
वैश्विक आर्थिक प्रभाव
विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट (जून 2023) के अनुसार, एकीकृत बहाली विधियों (इंटीग्रेटेड रिस्टोरेशन मेथड्स) से तटीय GDP में 15% तक की वृद्धि हो सकती है।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने 2024 में बताया कि ब्लू कार्बन पुनर्स्थापन में 1 डॉलर निवेश करने से 6 डॉलर का आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
मैंग्रोव पुनर्स्थापन के लिए सरकारी पहल
MISHTI: मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंगिबल इनकम्स
MISHTI योजना भारत और अन्य देशों में 540 किमी के मैंग्रोव वनों को पुनर्स्थापित करने के लिए शुरू की गई है।
इस कार्यक्रम का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक 250 किमी² क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
इसके तहत तटीय पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय आजीविका में सुधार किया जाएगा।
भारत की तटीय नियमन नीति (CRZ) सुधार
मुख्य प्रावधान
CRZ क्षेत्र की परिभाषा
- उच्च ज्वार रेखा (HTL) से 500 मीटर तक का तटीय क्षेत्र और ज्वार रेखाओं के बीच का क्षेत्र CRZ क्षेत्र घोषित किया जाता है।
- HTL को अधिकृत संस्थानों द्वारा वसंत ज्वार (स्प्रिंग टाइड) के उच्चतम जल स्तर के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
CRZ क्षेत्रों का वर्गीकरण
CRZ-I – राष्ट्रीय उद्यान, मैंग्रोव, मूंगा चट्टानें, बाढ़ प्रवण क्षेत्र।
CRZ-II – नगर पालिका सीमा के भीतर विकसित तटीय क्षेत्र।
CRZ-III – ग्रामीण और अपेक्षाकृत अप्रभावित तटीय क्षेत्र।
CRZ-IV – अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और अन्य द्वीपीय क्षेत्र।
CRZ में निषिद्ध गतिविधियाँ
उद्योगों की स्थापना या विस्तार (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर)।
खतरनाक पदार्थों का उत्पादन, भंडारण या निपटान।
अनुपचारित अपशिष्ट या सीवेज का समुद्र में प्रवाह।
भूमि पुनर्ग्रहण या समुद्री जल प्रवाह को बाधित करने वाली गतिविधियाँ।
HTL से 200 मीटर के भीतर भूजल निकासी।
CRZ में अनुमत गतिविधियाँ
CRZ-I – प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ (जैसे – ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे)।
CRZ-II – इमारतों का निर्माण या पुनर्निर्माण।
CRZ-III – HTL से 200 मीटर के भीतर कोई विकास नहीं, केवल आवश्यक मरम्मत की अनुमति।
CRZ-IV – सीवेज उपचार संयंत्र, पारंपरिक मत्स्य पालन संरक्षण और तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना।
निष्कर्ष
ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक हैं, बल्कि वे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सरकारों और संगठनों द्वारा इन पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा और पुनर्स्थापन के लिए सक्रिय प्रयास करने से पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक लाभ दोनों सुनिश्चित किए जा सकते हैं।
विषय | विवरण |
क्यों चर्चा में? | 2024 की रिपोर्ट “ब्लू कार्बन और कार्बन पृथक्करण में इसकी भूमिका” के अनुसार, मैंग्रोव प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जिससे वे सबसे प्रभावी प्राकृतिक कार्बन भंडार बनते हैं। |
ब्लू कार्बन क्या है? | महासागर और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा अवशोषित और संग्रहीत कार्बन, जिसमें मैंग्रोव, समुद्री घास (सीग्रास) के मैदान, लवणीय दलदल और ज्वारीय दलदल शामिल हैं। |
ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र की भूमिका | ✅ स्थलीय वनों की तुलना में अधिक गति से CO₂ अवशोषित करते हैं। ✅ तटीय सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण और आजीविका समर्थन प्रदान करते हैं। |
मैंग्रोव का महत्व | ✅ प्रति हेक्टेयर 1,000+ टन कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं। ✅ भूमि और मिट्टी दोनों में कार्बन संग्रह करते हैं। |
पारिस्थितिक और आर्थिक लाभ | ✅ कार्बन पृथक्करण: वायुमंडलीय CO₂ कम करता है। ✅ तटीय सुरक्षा: तूफानों और समुद्री जलस्तर वृद्धि से बचाव। ✅ जैव विविधता संरक्षण: समुद्री और स्थलीय जीवों के लिए आश्रय। ✅ आजीविका सहायता: मछली, लकड़ी और शहद जैसे संसाधन। |
ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र को खतरे | ❌ जल कृषि और कृषि (मैंग्रोव भूमि का खेती के लिए अतिक्रमण)। ❌ मैंग्रोव वन कटाई (अनियंत्रित वनों की कटाई)। ❌ प्रदूषण और औद्योगिक विकास (तटीय क्षरण)। |
विनाश का वैश्विक प्रभाव | ❌ ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र की हानि से संग्रहित कार्बन मुक्त होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन बढ़ता है। ❌ तटीय कटाव और जैव विविधता की हानि होती है। |
मैंग्रोव पुनर्स्थापन के आर्थिक लाभ | ✅ इकोटूरिज्म वृद्धि: स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा। ✅ वैश्विक आर्थिक लाभ: OECD (2024) – $1 निवेश करने पर $6 का लाभ। ✅ WEF (2023): एकीकृत पुनर्स्थापन से तटीय GDP में 15% वृद्धि। |
सरकारी पहल | ✅ MISHTI योजना (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes) – 540 किमी मैंग्रोव पुनर्स्थापन का लक्ष्य। – दिसंबर 2024 तक 250 किमी² मैंग्रोव पुनर्स्थापन। ✅ तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) नीति – तटीय विकास को नियंत्रित कर पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा। |
CRZ नीति के प्रमुख प्रावधान | ✅ CRZ क्षेत्र: उच्च ज्वार रेखा (HTL) से 500 मीटर तक का तटीय क्षेत्र। ✅ CRZ वर्गीकरण: पारिस्थितिक संवेदनशीलता और विकास स्तर के आधार पर चार श्रेणियाँ (I-IV)। ✅ निषिद्ध गतिविधियाँ: औद्योगिक विस्तार, खतरनाक कचरे का निपटान, अनुपचारित सीवेज का निस्तारण। ✅ अनुमत गतिविधियाँ: बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ, पारंपरिक मत्स्य पालन, संरक्षण कार्यक्रम। |
जलवायु कार्रवाई में प्रासंगिकता | ✅ मैंग्रोव पुनर्स्थापन वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है। ✅ कार्बन तटस्थता, जैव विविधता संरक्षण और तटीय लचीलेपन को बढ़ावा देता है। |