केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ”विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)” की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य विज्ञान और तकनीक की मदद से भारतीय कृषि में बदलाव लाना है। इसे ओडिशा के साक्षीगोपाल, पुरी में और बाद में ICAR-CIFA केंद्र, भुवनेश्वर में लॉन्च किया गया।
इस अभियान का लक्ष्य है कि भारत को “विश्व का अन्न भंडार (Food Basket of the World)” बनाया जाए। इसके लिए वैज्ञानिकों को किसानों से सीधा जोड़ा जाएगा ताकि वे उन्हें उन्नत खेती के तरीकों की जानकारी दे सकें। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “लैब से लैंड” विजन और “विकसित भारत” की सोच का समर्थन करता है।
29 मई से 12 जून 2025 तक:
वैज्ञानिक देश के 700 से अधिक जिलों में जाएंगे
वे लगभग 1.5 करोड़ किसानों से मिलेंगे
किसानों को नई कृषि तकनीकों के बारे में सिखाएंगे
ज़मीनी फीडबैक इकट्ठा करेंगे
यह भारत में पहली बार है जब इतना बड़ा अभियान किसानों के लिए चलाया जा रहा है।
मंत्री चौहान ने कहा कि सरकार इस अभियान के लिए पूरी मदद देगी।
कृषि अनुसंधान के लिए पैसों की कोई कमी नहीं होगी
उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि गांवों में जाना देश के अन्नदाताओं की सेवा है
किसानों से अपील की गई कि वे वैज्ञानिकों से बात करें,
नई तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करें
इससे उत्पादन और आय दोनों में वृद्धि होगी
उन्होंने ICAR वैज्ञानिकों का आभार जताया जिन्होंने बेहतर बीज विकसित किए हैं
भुवनेश्वर स्थित ICAR-CIFA में मंत्री चौहान ने मत्स्य पालन क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला:
कहा कि मत्स्य पालन से किसानों की आय और खाद्य सुरक्षा बढ़ सकती है
उन्होंने ‘CIFA Argu VAX-I’ नामक नई मछली वैक्सीन लॉन्च की
यह मछलियों को बीमारियों से बचाएगी और मत्स्य पालकों को नुकसान से बचाएगी
मंत्री ने बताया कि इस साल भारत ने 3,539.59 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन किया है, जो कि पिछले साल से 216.61 लाख टन अधिक है। उन्होंने कहा कि भारत अब अपने 145 करोड़ नागरिकों का पेट भर सकता है।
अभियान की शुरुआत पुरी, भगवान जगन्नाथ की पवित्र भूमि से हुई
मंत्री ने कहा कि इस शुरुआत से अभियान को आध्यात्मिक ऊर्जा मिली
उन्होंने जगन्नाथ मंदिर में दर्शन, तिरंगा यात्रा में भाग, और वृक्षारोपण कर स्थिरता और राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया
निष्कर्ष:
विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA) भारतीय किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाने का एक ऐतिहासिक कदम है। इसका लक्ष्य केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि खेती को सम्मानजनक, लाभकारी और टिकाऊ बनाना है।
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